भारत और चीन के संबंधों में तनाव है – विदेश मंत्री एस.जयशंकर

सैंटो डोमिंगो – अमरीका, यूरोप, रशिया और जापान के साथ भारत के अच्छे ताल्लुकात हैं। लेकिन, चीन को लेकर हम यह कह नहीं सकते, चीन अगल वर्ग का हिस्सा बनता हैं। सीमा विवाद के कारण भारत और चीन के संबंधों में तनाव भरा है। दोनों देशों ने किए सीमा संधि का उल्लंघन होने के कारण यह स्थिति बनी हैं, ऐसा बयान विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने किया। अगले कुछ दिनों में भारत में ‘एससीओ’ के विदेश मंत्रियों की बैठक का आयोजन होगा। इससे पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन के साथ भारत के जारी संबंध सामान्य ना होने का ऐलान करके चीन पर दबाव बढ़ाया है। 

भारत और चीनगोवा में ४ मई को ‘शांघाय को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन’ (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक शुरू होगी। चीन के विदेश मंत्री क्विन गैन्ग इस बैठक के लिए भारत पहुंच रहे हैं। इससे पहले भी भारत-चीन के संबंध सामान्य नहीं हैं, इसमें तनाव होने की बात विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने स्पष्ट की। लैटिन अमरिकी देशों के दौरे पर पहुंचे जयशंकर ने पहले भी भारत-चीन संबंधों में तनाव होने की चेतावनी दी थी। इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में आयोजित हुई ‘एससीओ’ की बैठक में चीन को तीखा संदेश दिया था। सीमा पर शांति और सद्भाव स्थापित किए बिना द्विपक्षीय संबंधों में सुधार नहीं होगा, यह इशारा राजनाथ सिंह ने चीन को दिया था।

एससीओ की बैठक के दौरान भारत के रक्षा मंत्री के बयान का रुख काफी सख्त और भड़काऊ था, ऐसी आलोचना चीन से हुई थी। इसके कुछ ही दिन बाद भारतीय विदेश मंत्री ने भी उतना ही सख्त बयान करके भारत की चीन संबंधित भूमिका स्पष्ट की। अमरीका, यूरोप, रशिया और जापान इन सभी देशों के साथ भारत के ताल्लुकात काफी अच्छे हैं और इन देशों से भारत का सहयोग भी बढ़ रहा है। लेकिन, चीन अगल ही वर्ग का हिस्सा बना है, क्यों कि सीमा विवाद के कारण भारत और चीन के संबंधों में तनाव भरा है, यह दावा जयशंकर ने सोमवार को किया।

लद्दाख के एलएसी पर की हुई पुरी तैनाती चीन की सेना ने अभी तक हटाई नहीं हैं। जब तक चीन वहां से अपनी सेना नहीं हटाता तब तक भारत से साथ द्विपक्षीय सहयोग करने के सपने चीन ना देखें, ऐसी कड़ी चेतावनी भारत ने समय समय पर दी थी। लेकिन, चीन इसे हर तरह से नज़रअंदाज कर रहा हैं। सीमा विवाद होने के बावजूद द्विपक्षीय सहयोग शुरू रह सकता है, ऐसा चीन का कहना है। लेकिन, भारत ने सीमा विवाद पर सख्त भूमिका अपनाकर चीन को इसके नतीज़ों का अहसास कराया। इससे लद्दाख में तैनाती सेना की वापसी अब चीन की प्रतिष्ठा का मुद्दा बना है। इसी वहज से भारत जैसे आर्थिक नज़रिये से बड़े अहम देश का सहयोद दांव पर लगा हैं और ऐसी स्थिति में चीन लद्दाख की सीमा से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। साथ ही भारत भी एलएसी के मुद्दे से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं और चीन पर अधिक दबाव बढ़ाता दिख रहा है।

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