‘ब्लडी फ्रायडे’ का निषेध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर ईरानी रक्षा यंत्रणा ने की सख्त कार्रवाई

तेहरान – महसा अमिनी नामक युवती की हत्या के बाद शुरू हुए प्रदर्शनों को खत्म करने के लिए ईरानी यंत्रणा ने अमानुष दमन करके सौ से भी अधिक लोगों को शिकार बनाया था। इस घटना का एक वर्ष पूरा होने के बाद शनिवार को ईरान के अत्याचार के खिलाफ न्याय मांगने के लिए फिर से प्रदर्शन होने लगे हैं। ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में फिर एक बार सौ से अधिक प्रदर्शनकारियों को ईरानी यंत्रणा ने हिरासत में लिया। उस समय ईरान के अन्य क्षेत्रों में प्रदर्शन न भड़के, इसके लिए यह यंत्रणा सख्त कदम बढ़ाती दिख रही है। 

‘ब्लडी फ्रायडे’पिछले वर्ष के १६ सितंबर के दिन महसा अमिनी नामक २२ वर्ष की कुर्दवंशी युवती ने हिज़ाब का इस्तेमाल न करने का ऐलान किया था। उसे ईरानी यंत्रणा ने शीघ्रता से गिरफ्तार किया और जेल में उसकी मौत हुई। इसके बाद ईरानी महिलाओं का गुस्सा फुटा और इन महीलाओं ने तीव्र प्रदर्शन शुरू किए। यह प्रदर्शन ईरान की महीला और युवा वर्ग तक सीमित नहीं रहा और इसमें व्यापारी, कामगार और समाज के अन्य हिस्सों का भी समावेश हुआ। महिलाओं के अधिकारों के लिए शुरू हुए इन प्रदर्शनों की वजह से ईरानी हुकूमत को बड़ा झटका लगा था। इसकी गूंज दुनियाभर में सुनाई पड़ी थी। 

‘ब्लडी फ्रायडे’ईरानी यंत्रणा इन प्रदर्शनों को खत्म करने में कुछ दिन बाद कामयाब हुई है, फिर भी ईरानी सुरक्षा यंत्रणा अभी भी चौकन्ना दिख रही है। खास तौर पर ३० सितंबर २०२२ के दिन प्रदर्शनों को कुचलने के लिए ईरानी रक्षाबलों ने भीषण कार्रवाई की और इसका एक वर्ष पुरा होने के समय इस ‘ब्लडी फ्रायडे’ का निषेध करने के लिए प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आए। सिस्तान-बलोचिस्तान प्रांत में शुक्रवार से ही यह प्रदर्शन शुरू हुए। लेकिन, शनिवार को इन प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया। इनमें महिलाओं की मात्रा काफी बताई जा रही है। 

‘ब्लडी फ्रायडे’कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आंसू गैस और लाठीचार्ज का प्रयोग होने की खबरें हैं। इसमे कुछ लोग घायल हुए हैं और इनमें बच्चे भी है। गिरफ्तारी हुए लोगों की संख्या १०० से अधिक होने का दावा किया जा रहा हैं। इसका अंतरराष्ट्रीय माध्यमों ने संज्ञान लिया हैं और इस मामले को लेकर ईरान की कड़ी आलोचना हो रही है। लेकिन, ईरानी हुकूमत इस आलोचना की परवाह करने के लिए तैयार नही है उल्टा महिलाओं पर अधिक प्रतिबंध लगाकर हमारी हुकूमत इस मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता करने के लिए तैयार न होने का संदेश दे रही है। इसके विरोध में ईरान के सीर्फ युवावर्ग के साथ समाज के अन्य हिस्से में भी असंतोष होने के दावे किए जा रहे हैं। पिछले वर्ष की तरह इस असंतोष का विस्फोट न हो, इसके लिए ईरान ने अपनी नीति और कानून बड़े सख्त किए दिख रहे हैं।

ईरान की बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी एवं ज़रूरी चीजों की कमी के कारण ईरानी जनता हुकूमत पर नाराज़ होने की बात सामने आ रही है। हिज़ाब विरोधी प्रदर्शनों के पीछे ईरानी हुकूमत ने अपनाई आर्थिक एवं राजनीतिक नीति का विरोध करने वाले भी शामिल होने की बात पिछले वर्ष सामने आयी थी। इसी वजह से हिजाब पहनी महिलाएं भी इन हिज़ाब विरोधी प्रदर्शनों का हिस्सा होते दिखे थे। इस वजह से ईरान में फिर से उसी तरह के प्रदर्शन भड़कने की कड़ी संभावना कुछ विश्लेषक जता रहे हैं। वहीं, ईरानी हुकूमत इन प्रदर्शनों को जनता की आवाज़ के तौर पर नहीं तो शत्रु देशों की साज़िश के तौर पर देख रही है। इस साज़िश के पुख्ता सबूत हमारे हाथों में होने का दावा ईरानी हुकूमत ने किया था।

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