रशियन राष्ट्राध्यक्ष के बयान के बाद नैसर्गिक ईंधन के कीमतों की गिरावट

मास्को/वॉशिंग्टन – रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन के बयान के बाद नैसर्गिक ईंधन वायु की कीमतों में २२ प्रतिशत की भारी गिरावट होती सामने आयी है। राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने यह बयान किया है कि, रशिया यूरोप की ईंधन आपूर्ति में बढ़ोतरी करने के लिए तैयार है। यूरोप में नैसर्गिक ईंधन वायु की माँग लगातार बढ़ रही है और इसकी तुलना में आरक्षित भंड़ार भी कम हुआ है। इस वजह से कड़ाके की ठंड़ में यूरोप में ईंधन की किल्लत निर्माण हो सकती है, ऐसे दावे विश्‍लेषक कर रहे थे।

russia-natural-gas-1ऐसे में बुधवार के दिन यूरोप में नैसर्गिक ईंधन वायु का दर उछलकर १,९३७ डॉलर्स प्रति हज़ार घन मीटर तक जा पहुँचा था। सितंबर की तुलना में ईंधन की यह कीमत तिगुनी थी। इन बढ़ती कीमतों की वजह से यूरोपिय देशों की अर्थव्यवस्था पर ईंधन के बढ़ते खर्च का भार बढ़ेगा, ऐसी संभावना जताई जा रही है। इसी बीच कीमतों में उछाल के दौरान रशिया ईंधन की आपूर्ति में कटौती कर रही है, ऐसे दावे यूरोपिय नेता कर रहे थे। इस पृष्ठभूमि पर रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने यूरोप को ईंधन आपूर्ति बढ़ाने के लिए रशिया तैयार होने का बयान किया।

पुतिन ने रशियन कंपनी ‘गाज़ाप्रोम’ को युक्रैन के ज़रिये यूरोपिय देशों को प्रदान हो रहे ईंधन वायु की आपूर्ति पुरी क्षमता से करने के निर्देश देने की बात कही जा रही है। उनके इस बयान के बाद गुरूवार के दिन नैसर्गिक ईंधन वायु की कीमतों में गिरावट शुरू हुई। ‘इंटरकॉन्टिनेन्टल एक्सचेंज’ से प्रदान की गई जानकारी के अनुसार नवंबर के लिए हुए कारोबार के लिए ईंधन का दर ९७३ डॉलर्स प्रति हज़ार घनमीटर रहा। बुधवार बाजार बंद होने के समय तक कीमतों की तुलना में गुरूवार के दिन कुल २२ प्रतिशत गिरावट देखी जाने की जानकारी सूत्रों ने प्रदान की।

russia-natural-gas-2रशिया ईंधन का इस्तेमाल करके यूरोपिय देशों को फिर से बंधक बनाएगी, ऐसे इशारे अमरिकी विश्‍लेषक एवं माध्यम दे रहे हैं। वर्तमान में रशिया की गतिविधियों के पीछे अमरीका के बायडेन प्रशासन की नीति कारण होने का दावा भी किया जा रहा है। रशिया ने इससे पहले भी युक्रैन विवाद का कारण बताकर यूरोपिय देशों की ईंधन सप्लाई कम कर दी थी।

कुछ विश्‍लेषक अब ईंधन को मुद्दा बनकर रशिया यूरोपिय देशों के साथ नज़दिकियाँ बढ़ाने की कोशिश कर सकती है, इस मुद्दे पर भी ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। अफ़गानिस्तान से सेना की वापसी और ‘ऑकस डील’ की वजह से अमरीका और यूरोप के संबंधों में तनाव निर्माण हुआ है। रशिया इसका लाभ उठा सकती है, यह दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं।

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