सेना अधिकारियों की चर्चा का नौंवां दौर शुरू होने से पहले भारतीय सेनाप्रमुख ने चीन को आगाह किया

नई दिल्ली – लद्दाख के ‘एलएसी’ पर तनाव कम करने के लिए रविवार के दिन भारत और चीन के सेना अधिकारियों की चर्चा शुरू हो रही है। इससे पहले भारतीय सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकूंद नरवणे ने चीन को चेतावनी दी है। लद्दाख के ‘एलएसी’ पर यदि चीन की सेना ड़टी रही तो भारतीय सेना भी वैसा ही करेगी, यह इशारा जनरल नरवणे ने दिया। साथ ही ‘एलएसी’ के करीब चीन की तैनाती और गतिविधियाँ अभी भी चिंता का विषय हैं, ऐसा कहकर जनरल नरवणे ने ‘एलएसी’ पर तनाव अभी भी बरकरार है और कम भी नहीं हुआ है, इसकी याद दिलाई।

भारतीय सेनाप्रमुखचीन ने बीते कुछ हफ्तों से ‘एलएसी’ पर अपनी उकसानेवाली गतिविधियाँ बढ़ाई हुई दिखाई दे रही हैं। अगस्त के अन्त में उत्तराखंड़ के बाराहोटी के ‘एलएसी’ से घुसपैठ करके वहां के एक पुल को नुकसान पहुँचाने की कोशिश चीन के सैनिकों ने किया था। इसी बीच १०-१२ दिन पहले चीन के सैंकड़ों सैनिक अरुणाचल प्रदेश के तवांग में स्थित यांगत्से के ‘एलएसी’ पर घुसपैठ करने की तैयारी में थे, तभी भारतीय सेना ने उन्हें रोका था। इस दौरान हुई मुठभेड़ में भारतीय सेना की जरासी भी क्षति नहीं हुई। लेकिन, चीन के सैनिकों को बड़ा सबक सिखाया गया, ऐसे दावे माध्यमों ने किए हैं। इसकी पूरी जानकारी सामने नहीं आई है, फिर भी सेना अधिकारियों की चर्चा होने पहले चीन अपना सामर्थ्य साबित करने की बड़ी कोशिश करने में जुटा होने की बात इससे सामने आयी थी।

इस पृष्ठभूमि पर एक समारोह में बोलते समय सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने चीन को फिर से आगाह किया है। ‘एलएसी’ पर चीन ने बड़ी मात्रा में तैनाती कर रखी है। यह चिंता का विषय है। लद्दाख के ‘एलएसी’ पर तनाव कुछ हद तक कम हुआ है, फिर भी वहां की समस्या अभी खत्म नहीं हुई है। लेकिन, चीन की सेना लद्दाख के ‘एलएसी’ पर पैर जमाए बैठती है तो भारतीय सेना भी वैसा ही करगी, यह इशारा भी भारतीय सेनाप्रमुख ने इस दौरान दिया। ठंड़ शुरू होने से पहले भारतीय सेनाप्रमुख ने चीन को दिया हुआ यह इशारा यानी रणनीतिक स्तर पर दिया गया सख्त संदेश है।

बीते वर्ष भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए चीन की सेना ने लद्दाख के ‘एलएसी’ पर तैनाती बरकरार रखी थी। लेकिन, वहां की ठंड़ की आदत ना होने की वजह से चीन के सैनिक वहां पर लगातार बिमार हो रहे थे। उनका इलाज करने के लिए चीन को बड़े कष्ट उठाने पड़े। केवल इतना ही नहीं, बल्कि इस क्षेत्र में तैनात चीन के अधिकारी मौसम बर्दाश्‍त ना होने से मृत होने की खबर प्राप्त हुई है। उनके स्थान पर नियुक्त किए गए दूसरे अधिकारी का स्वास्थ भी बिगड़ने की जानकारी सामने आयी है। ऐसी स्थिति में लद्दाख के ‘एलएसी’ से पीछे हटना अब चीन के लिए बड़ी अहम बात साबित होती है। लेकिन, इससे भारत के सामने अपना अपमान होगा और इस अप्रतिष्ठा से बचने के लिए चीन वहां पर तैनात अपने सैनिकों को पीछे हटाने के लिए तैयार नहीं है।

इसी कारण भारतीय सेना लद्दाख के ‘एलएसी’ पर ड़टी रह सकती है। लेकिन, चीन की सेना में यह क्षमता नहीं है। इससे चीन की बड़ी क्षति होगी, इस बात पर भारतीय सेनाप्रमुख चीन का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। भारत के विदेशमंत्री ने भी अब ठंड़ के दूसरे मौसम में प्रवेश कर रहे हैं, यह चीन को ठंड़ से जमानेवाला सूचक बयान किया है। चीन ने भारत के साथ किए गए समझौते का भंग करके लद्दाख के ‘एलएसी’ पर घुसपैठ करने के मुद्दे पर विवाद नहीं है। लेकिन, अपनी सीमा की सुरक्षा करने का वज्रनिर्धार और क्षमता की भारत के पास कमी नहीं है, यह बयान भी विदेशमंत्री जयशंकर ने किया है। बिल्कुल इसी की कमी चीन की सेना को महसूस हो रही है। लद्दाख के मौसम में ड़टे रहने के लिए आवश्‍यक शारीरिक क्षमता और उच्च कोटी का मनोबल चीन की सेना नहीं रखती। यह बात विदेशमंत्री जयशंकर राजनीतिक भाषा में स्पष्ट कर रहे हैं।

चीन ने इस तरह से लद्दाख के ‘एलएसी’ के करीब इतनी बड़ी लष्करी तैनाती किस कारण की है, इसका पता नहीं लगाया जा सकता। यह बात समझ से परे होने का बयान सेनाप्रमुख एवं विदेशमंत्री ने अलग अलग समारोहों में किया था। चीन की इस तैनाती के पीछे भारतीय सेना के प्रति ड़र हो सकता है, यह संकेत सेनाप्रमुख जनरल नरवणे और विदेशमंत्री जयशंकर के बयानों से दिया जा रहा है।

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