तालिबान के बरादर-हक्कानी गुटों के बीच तनाव में बढ़ोतरी – इस्रायली अखबार का दावा

काबुल – पिछले साल अगस्त में तालिबान ने अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा किया था| लेकिन, बीते कई दशकों के इतिहास पर गौर किया जाए तो आनेवाले दिनों में तालिबान को अफ़गानिस्तान में हुकूमत स्थापित करके एकछततले कारोबार करना नामुमकिन होगा, यह इशारा चुनिंदा विश्‍लेषकों ने दिया था| तालिबान के मुल्ला बरादर और सिराजुद्दीन हक्कानी के बीच तनाव निर्माण होने की खबरें यही इशारा सच्चाई में उतर रहा है, इस बात पर ‘टाईम्स ऑफ इस्रायल’ नामक अखबार ने ध्यान आकर्षित किया है|

taliban-baradar-haqqani-networkपिछले छह महीनों से तालिबान अफ़गानिस्तान में अपनी सत्ता स्थापित करने की कोशिश कर रहा है| लेकिन, अंदरुनि विवाद, वांशिक मतभेद तालिबान की हुकूमत को झटके दे रहे हैं, यह दावा वर्णित इस्रायली अखबार ने किया| इसलिए इस अखबार ने लोया कंदहार और लोया पाकतिया के बीच तनाव का दाखिला दिया है| लोया कंदहारी यानी तालिबानी हुकूमत का उप-प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के नेतृत्व का गुट| इसके अलावा पाकिस्तान नियंत्रित सिराजुद्दीन हक्कानी के हक्कानी नेटवर्क नामक आतंकी संगठन के गुट को लोया पाकतिया के नाम से जाना जाता है|

तालिबानी हुकूमत के अंदरुनि सुरक्षा मंत्रि घोषित हुए सिराजुद्दीन हक्कानी का गुट पुख्ता पश्तो समर्थक है| हक्कानी नेटवर्क की नीति के कारण तालिबान के अन्य गुटों में काबुल के नेतृत्व के खिलाफ अविश्‍वास बढ़ने का दावा किया जा रहा है| इसके अलावा, सिराजुद्दीन हक्कानी तालिबानी हुकूमत में अन्य वंश के गुटों के नेताओं को स्थान देने के लिए तैयार ना होने की बात मुल्ला बरादर को चुभ रही है, इस ओर टाईम्स ऑफ इस्रायल ने ध्यान आकर्षित किया|

इससे पहले बरादर और हक्कानी गुटों में तालिबान के नेतृत्व के मुद्दे पर संघर्ष हुआ था| पिछले वर्ष सितंबर में राष्ट्राध्यक्षीय निवास स्थान में हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों का मुल्ला बरादर से संघर्ष होने से कुछ लोग घायल होने की खबरें सामने आयी थीं| इस घटना के बाद बरादर ने कुछ हफ्तों के लिए काबुल से संपर्क तोड़ दिया था|

लेकिन, बरादर और हक्कानी नेटवर्क के इस तनाव के साथ ही तालिबान में वांशिक मतभेद भी अब सामने आ रहे हैं| पिछले साल दिसंबर में उत्तरी अफ़गानिस्तान में तालिबान के ताजिक और उज़बेक गुटों ने कुछ पश्तो गुट के सदस्यों को हिरासत में लिया था| पश्तो गुट के सदस्यों के ‘आयएस’ से ताल्लुकात होने का आरोप ताजिक और उज़बेक गुटों ने लगाया था|

ऐसे में इस वर्ष १३ जनवरी के दिन अफ़गानिस्तान के फरयाब प्रांत में तालिबान के प्रभावी उज़बेक कमांडर मखदूम आलम रब्बानी को हक्कानी गिरोह ने गिरफ्तार किया था| मखदूम का अपहरणों में हाथ है और उसने ३०० से अधिक राइफल्स छुपाई हैं, यह आरोप सिराजुद्दीन हक्कानी ने लगाया था| इसके अगले ही दिन सिराजुद्दीन ने तालिबान के प्रभावी ताजिक कमांडर कारी वकिल को भी हिरासत में लिया था|

इन दोनों घटनाओं के बाद अफ़गानिस्तान के उत्तरी एवं वायव्य कोण इलाके में तालिबान के ताजिक-उज़बेक गुटों ने हक्कानी के पश्तो गुट के खिलाफ विद्रोह करने की तैयारी की थी| सिराजुद्दीन हक्कानी ने आत्मघाती हमले करने के लिए बनाए हुए बद्री युनिट के ३०० से अधिक आतंकियों को रवाना करके ताजिक-उज़बेक गुटों को इशारा दिया था| इसके बाद उत्तरी अफ़गानिस्तान का तनाव खत्म हुआ| लेकिन, अब भी तालिबान के ताजिक-उज़बेक गुटों का पाकिस्तान के नियंत्रण वाले हक्कानी गुट के खिलाफ असंतोष कम नहीं हुआ है, यह दावा इस्रायली अखबार ने किया है|

आनेवाले दिनों में हक्कानी नेटवर्क को लेकर नाराज़ हुए ताजिक-उज़बेक गुट उत्तरी अफ़गानिस्तान के प्रभावी नेतृत्व अहमद मसूद की ‘नॉर्दन रेज़िस्टन्स फ्रंट’ का हिस्सा बन सकते हैं, ऐसी कड़ी संभावना इस इस्रायली अखबार ने जताई है|

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