ईरान का ईंधन उत्पादन प्रतिबंधों से पहले के स्तर पर पहुंचेगा

तेहरान – ईरान ने ईंधन का उत्पादन बढाया है और अपने ईंधन का निर्यात ४० प्रतिशत बढाने की जानकारी दी है। युक्रैन में युद्ध के दौरान खाडी के देश ईंधन का उत्पादन बढाएं और ईंधन का दर नियंत्रित रखें, ऐसा आवाहन अमेरिका कर रही है। मगर ओपेक के सदस्य देशों ने अमेरिका की यह मांग नामंज़ूर कर दी। ऐसी स्थिति में ईरान ने अपने ईंधन का उत्पादन और निर्यात बढान की घोषणा की है। ईंधन की आघाडी पर ईरान अमेरिका द्वारा सन २०१८ के प्रतिबंध लगाने से पहले की स्थिति तक पहुंचा है।

ईरान का ईंधन उत्पादन प्रतिबंधों से पहले के स्तर पर पहुंचेगाईरान के ईंधनमंत्री जवाद ओवजी और ईरान के ’नैशनल ईरानियन ऑईल कंपनी’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहसेन खोजास्तेमेहर ने ईरान के ईंधन उत्पादन एवं निर्यात में हुई बढोतरी घोषित की। इन दिनों ईरान प्रतिदिन ३८ लाख बैरल ईंधन का उत्पादन करता है। यह क्षमता चार बरस पहले के अर्थात अमेरिका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लादे गए प्रतिबंधों के दौर के होने की बात ओवजी ने स्पष्ट की।

परंतु ईरान के ईंधन उत्पादन में यह बढोतरी यहांत तक ही नहीं रुकेगी और अगले वर्ष ईंधन उत्पादन तथा निर्यात, ईंधनवायु एवं अन्य संबंधित चीज़ों का उत्पादन बढेगा, ऐसा दावा ओवजी ने किया। इसके लिए ईरान नए ग्राहक, बाजार पा रहा है, यह जानकारी ओवजी ने दी। पिछले आठ महीनों में ईरान के ईंधनवायु का निर्यात चार गुना बढने की घोषणा ओवजी ने पिछले सप्ताह की थी।

तत्पश्चात, ईरान ’नैशनल ईरानियन ऑईल कंपनी’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहसेन खोजास्तेमेहर ने ईंधन निर्यात के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। ईरान का ईंधन निर्यात भी ४० प्रतिशत बढा और प्रतिबंधों से पहले के स्तर पर पहुंचने की बात कही गई है। सबसे कठिन दौर में ईरान के इस ईंधन निर्यात में बढोतरी होने की बात खोजास्तेमेहर ने स्पष्ट की। अमेरिका प्रतिबंध होते हुए ईरान के ईंधन निर्यात में फर्क ना पडने की बात खोजास्तेमेहर ने कही।

ईरान का ईंधन उत्पादन प्रतिबंधों से पहले के स्तर पर पहुंचेगायुक्रैन में युद्ध छिडा है और रशिया से मिलनेवाले ईंधनवायु की आपूर्ति पर निर्भर युरोपिय देशों पर ईंधन संकट आन पड़ा है। ऐसी स्थिति में ईंधन उत्पादक देशों का ’ओपेक’ संगठन ईंधन का उत्पादन बढाए, ऐसा आवाहन अमेरिका ने किया था। पर ओपेक का नेतृत्व करनेवाले सौदी अरेबिया और युएई ने हौथी आतंकियों के बढते हमलों की ओर ध्यान आकर्षित करके अमेरिका की यह मांग नामंज़ूर कर दी थी। सौदी से ईंधन का आयात बढाने में ब्रिटेन भी असफल रहा।

ऐसी स्थिति में ईरान अपना ईंधन का उत्पादन एवं निर्यात सन २०१८ के प्रतिबंधों से पहले के स्तर पर पहुंचाने की घोषणा करके विश्व का ध्यान आकर्षित किया है। इसलिए अमेरिका के साथ प्रमाणु समझौता होने के बाद, ईरान वैश्विक बाजार में अपने स्थान पुख्ता करने के लिए आक्रामक नीति अपनाएगा ऐसे संकेत मिलने लगे हैं। इसका ईंधन बाजार पर अमेरिका को अपेक्षित प्रभाव पड़ सकता है। ईरान का ईंधन अधिक पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में आने के बाद, आवक बढकर ईंधन के दाम नियंत्रण में आ सकते हैं। इसका इस्तेमाल करके ईंधन का उत्पादन बढाने से इनकार करने वाले सौदी और अन्य ईंधन उत्पादक देशों को धक्का देने की कोशिश अमेरिका द्वारा की जाएगी।

पर इसके लिए ईरान के साथ प्रमाणु समझौता करना जरुरी है। इस्रायल तथा ईरान के खिलाफ अन्य खाडी के देशों का विरोध ध्यान में रखते हुए, अमेरिका के ईरान के साथ परमाणु समझौता करना उतना आसान नहीं रहा, इस बात का पिछले कुछ दिनों में पता चला है।

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