चीन की आक्रामक गतिविधियों से उभरे तनाव के बीच कंबोडिया में भारत और अमरिकी विदेशमंत्री की हुई चर्चा

नॉम पेन्ह – अमरीका की सभापति नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा और इसके बाद चीन की आक्रामक सैन्य गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर गुरुवार को भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने कंबोडिया में अमरीका के विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन के बीच चर्चा हुई। कंबोडिया में ‘आसियान’ की बैठक जारी है। इस बैठक की पृष्ठभूमि पर मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने इंडो-पैसिफिक के तनाव के साथ यूक्रेन की गतिविधियों पर चर्चा की, ऐसी जानकारी विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने साझा की। गुरुवार को भारत और आसियान के विदेशमंत्रियों की बैठक भी हुई और इसमें सायबर सुरक्षा, आतंकवाद, कोरोना, समुद्री यातायात के नियम और म्यांमार की स्थिति पर चर्चा होने की जानकारी भारतीय विदेशमंत्री ने प्रदान की।

कंबोडियाअमरीका के करीबी भागीदार देशों में भारत का स्थान है, ऐसा अमरिकी विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन ने कहा। साथ ही भारत के विदेशमंत्री से मुलाकात के दौरान श्रीलंका और म्यांमार की चुनौतियाँ एवं इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिति पर विदेशमंत्री ब्लिंकन ने चिंता जतायी। चीन और ताइवान के बीच उभरे तनाव का मुद्दा दोनों देशों के विदेशमंत्री की चर्चा में काफी उपर था। भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का क्वाड संगठन गठित हुआ है। तब से पूरे विश्व में काफी गतिविधियाँ शुरू हुई हैं, ऐसा ध्यान आकर्षित करनेवाला बयान करके विदेशमंत्री जयशंकर ने इन गतिविधियों पर अमरिकी विदेशमंत्री से चर्चा होने की जानकारी भी प्रदान की।

तभी, भारत और अमरीका की इंडो-पैसिफिक की सुरक्षा और स्वतंत्रता पर सहमति होने की बात पर अमरिकी विदेशमंत्री ने गौर किया। इससे संबंधित मुद्दों पर विदेशमंत्री जयशंकर से हमारी बातचीत हुई, यह जानकारी विदेशमंत्री ब्लिंकन ने प्रदान की। इसी बीच, अमरिकी सिनेट की सभापति नैन्सी पेलोसी ने ताइवान की यात्रा करके चीन की उकसानेवाली हरकत को सीधा जवाब दिया। इसके लिए उनकी पूरे विश्व में सराहना हो रही है। खास तौर पर ताइवान और चीन का यह संघर्ष यानी लोकतंत्र और तानाशाही में संघर्ष होने का बयान करके अमरीका लोकतंत्र का साथ देगी, ऐसी गवाही पेलोसी ने अपनी ताइवान यात्रा में दी थी। लेकिन, पेलोसी की भूमिका को बायडेन प्रशासन का उचित समर्थन प्राप्त ना होने की आलोचना होने लगी है।

राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने सत्ता की बागड़ोर संभालने के बाद चीन की इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में गतिविधियाँ काफी बढ़ने की बात सामने आयी थी। इसे रोकने में बायडेन प्रशासन पूरी तरह से नाकाम हुआ, ऐसी आलोचना अमरीका में ही हो रही हैं। बायडेन प्रशासन की कमज़ोर नीति के कारण ही चीन ने ताइवान पर कब्ज़ा करने की तैयारी शुरू की हैं और किसी भी क्षण ताइवान पर चीन सैन्य कार्रवाई करेगा, ऐसी चिंता अमरिकी नेता और सामरिक विश्लेषक व्यक्त कर रहे हैं। पेलोसी ने ताइवान की यात्रा करने के बाद भी उनके बयानों से बायडेन प्रशासन ने दूरी बनाई थी। उनके बयान से वाईट हाऊस सहमत नहीं है, यह ऐलान बायडेन प्रशासन ने किया था।

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