आर्मेनिया-अज़रबैजान संघर्ष की पृष्ठभूमि पर अमरिकी संसद की सभापति नैन्सी पेलोसी ने की आर्मेनिया की यात्रा

वॉशिंग्टन/येरेवान – अमरिकी संसद के प्रतिनिधि सदन की सभापति नैन्सी पेलोसी ने रविवार को आर्मेनिया की यात्रा की। इस दौरान आर्मेनिया की संसद को संबोधित करते समय पेलोसी ने यह नया संघर्ष अज़रबैजान ने किए हमले के कारण ही शुरू हुआ और यह हमले अवैध एवं घातक होने का आरोप लगाया। साथ ही आर्मेनिया की संप्रभुता को अमरीका का पूरा समर्थन है और इस देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक सभी सहायता प्रदान करने के लिए अमरीका प्रतिबद्ध है, यह गवाही भी उन्होंने दी।

पिछले हफ्ते मंगलवार की रात अज़रबैजान की सेना ने आर्मेनिया पर हमले किए। इसके बाद दो दिन आर्मेनिया और अज़रबैजान की सरहद पर जोरदार संघर्ष हो रहा था। इसके बाद ‘कलेक्टिव सिक्युरिटी ट्रीटि ऑर्गनाइजेशन’ (सीएसटीओ) नामक रशिया प्रायोजित संगठन का दल आर्मेनिया पहुँचा था। इस संगठन में आर्मेनिया का समावेश है। यह संघर्ष बंद नहीं किया तो ‘सीएसटीओ’ के सदस्य देशों की सेना आर्मेनिया में उतर सकती है, ऐसे संकेत दिए गए थे। इस इशारे के बाद रशिया की मध्यस्थता से युद्धविराम किया गया।

युद्धविराम के बाद दोनों देशों ने सैन्यकी नुकसान की जानकारी सार्वजनिक की। इसके अनुसार अज़रबैजान के ७७ सैनिक मारे गए और २८२ सैनिक घायल हुए हैं। वहीं, आर्मेनिया के १३५ सैनिक मारे गए हैं और घायलों का आँकड़ा प्राप्त नहीं हुआ है। अज़रबैजान के खिलाफ इस संघर्ष की पृष्ठभूमि पर रशिया की भूमिका के कारण आर्मेनिया में नाराज़गी जताई जा रही है।  इस नाराज़गी की पृष्ठभूमि पर अमरिकी सभापति ने शिष्टमंड़ल के साथ आर्मेनिया का दौरा करना ध्यान आकर्षित कर रहा है।

पेलोसी ने अपनी इस यात्रा में आर्मेनिया की संसद के साथ अमरिकी दूतावास पहुँचीं। आर्मेनिया की संसद में भाषण के दौरान उन्होंने अज़रबैजान की कड़ी आलोचना की। नए संघर्ष के लिए अज़रबैजान के हमलें की ज़िम्मेदार होने का खुलेआम आरोप लगाकर उन्होंने इसका संज्ञान लिया होने का दावा भी किया। अज़रबैजान की इस हरकत का अमरीका तीव्र शब्दों में निषेध करती है और आर्मेनिया की संप्रभुता को अमरीका का समर्थन है, यह गवाही पेलोसी ने दी। साथ ही आर्मेनिया के नेतृत्व के साथ अमरीका की बातचीत जारी है और उनकी रक्षा संबंधित ज़रूरतें पूरी करने के लिए पहल करेंगे, यह वादा भी उन्होंने किया।

आर्मेनिया और रशिया के सहयोग का ज़िक्र करते हुए उन्होंने इस बार हुए संघर्ष के बाद आर्मेनिया को रशिया से उम्मीद के अनुसार सहयोग प्राप्त ना होने का बयान किया। आर्मेनिया में लोकतंत्र सुरक्षित रहे इसके लिए अमरीका यकीनन प्राथमिकता देगी, यह भी पेलोसी ने इस दौरान कहा। आर्मेनिया रशिया के प्रभाव में रहनेवाले देश के तौर पर जाना जाता है। साल २०१८ में इस देश में ‘वेलवेट रिवोल्युशन’ के ज़रिये सत्ता परिवर्तन हुआ था। इसके बाद तीन बार आर्मेनिया और अज़रबैजान में बड़ा संघर्ष हुआ। इस देश पर रशिया का प्रभाव कम हो रहा है, यह दावे भी किए जा रहे हैं।

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