ईंधन कारोबार के लिए चीन युआन का इस्तेमाल करने पर देगा जोर – ‘गल्फ समिट’ में राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग का दावा

रियाध/बीजिंग – ‘चीन आगे भी खाड़ी देशों से बड़ी मात्रा में कच्चे तेल की आयात जारी रखेगा। नैसर्गिक ईंधन वायु का व्यापार भी बढ़ाया जाएगा। इस ईंधन कारोबार के लिए चीन ‘शंघाई पेट्रोलियम ऐण्ड नैशनल गैस एक्सेंज का बतौर व्यासपीठ इस्तेमाल करेगा। इस माध्यम से होने वाले कच्चे तेल और ईंधन वायु के कारोबार यूआन के ज़रिये होंगे’, इन शब्दों में चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने अगले समय में अरब देशों के साथ युआन के ज़रिये ईंधन कारोबार करने के संकेत दिए।

युआन का इस्तेमालचीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग बुधवार से सौदी अरब के दौरे पर हैं। इस दौरान चीन और सौदी अरब के बीच अरबों डॉलर्स के समझौते किए गए और इसमें ईंधन संबंधी समझौतों का भी समावेश है। चीन विश्व में शीर्ष ईंधन आयातक देश है और सबसे ज्यादा ईंधन की खरीदारी खाड़ी देशों से करता है। यह व्यापार अधिकाधिक बढ़ाने पर चीन जोर दे रहा है। पिछले साल से अमरीका और खाड़ी के प्रमुख अरब देशों के संबंधों में बड़ा तनाव निर्माण हुआ है। इस पृष्ठभूमि पर चीन और रशिया ने अरब देशों से सहयोग अधिक बढ़ाने की कोशिश शुरू की है और जिनपिंग का सौदी दौरा इसी का हिस्सा है।

युआन का इस्तेमालसौदी अरब ने भी अमरीका के साथ तनाव बढ़ने के बाद रशिया, चीन, भारत जैसे देशों से संबंध मज़बूत करने की कोशिश शुरू की है। राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग सौदी के दौरे पर थे तब सौदी हुकूमत ने पहल करके अरब देशों ने दो स्वतंत्र बैठकों का आयोजन किया। इसमें ‘गल्फ को-ऑपरेशन कौनिस्ल’ और ‘अरब लीग’ इन दो गुटों का समावेश था। इनमें से गल्फ को- ऑपरेशन कौन्सिल की बैठक में चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने ईंधन कारोबार बढ़ाने के साथ ही इसके लिए युआन का इस्तेमाल बढ़ाने के संकेत दिए।

चीन और खाड़ी देशों के ईंधन कारोबार में युआन का इस्तेमाल शुरू हो जाए तो यह अमरिकी डॉलर के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। पिछली शताब्दी में अमरिकी डॉलर को अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रमुख आरक्षित मुद्रा के तौर पर मंजूरी प्रदान करने में ईंधन कारोबार का प्रमुख योगदान रहा। ईंधन उत्पादक देशों ने डॉलर में कारोबार करना स्वीकारने से ही इसका इस्तेमाल बढ़कर यह आम मुद्रा के तौर पर स्थापित हुआ था। पिछले कुछ सालों से चीन ने भी युआन को अंतरराष्ट्रीय स्तर की मुद्रा के तौर पर स्वीकृति प्रदान करने के लिए बड़ी कोशिश की है और विश्व के कई देशों के साथ इस विषय पर समझौते भी किए हैं। कई देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार में चीन ने युआन का इस्तेमाल करने की शर्त रखकर इसका इस्तेमाल और वैश्विक कारोबार में हिस्सा बढ़ाने में सफलता पाई है।

खाड़ी देशों ने युआन का इस्तेमाल शुरू किया तो वैश्विक स्तर पर इसे स्वीकृति मिलेगी और इसका इस्तेमाल काफी बढ़ सकता है। इसकी वजह से जिनपिंग ने खुलेआम खाड़ी देशों की बैठक में इसके संकेत दिए हैं। इस बयान के पीछे अमरीका-चीन मुकाबला और अमरीका और खाड़ी देशों के बीच बढ़ते मतभेदों की पृष्ठभूमि होने की ओर भी विश्लेषकों ने ध्यान आकर्षित की। अंतरराष्ट्रीय स्तर के ईंधन कारोबार में ‘पेट्रोयुआन’ का इस्तेमाल होने का मुद्दा वैश्विक स्तर पर अमरीका के महासत्ता के पद को भी खतरा निर्माण कर सकता है, यह इशारा विश्लेषकों ने दिया है।

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