‘ओपेक’ की मुश्‍किलें और अमरीका में कडाके की ठंड़ की पृष्ठभूमि पर कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल १०० डॉलर्स के करीब

opec-fuel-price-us-1लंदन/न्यूयॉर्क – ‘ओपेक’ सदस्य देशों को कच्चे तेल के उत्पादन बढ़ाने में आ रही मुश्‍किलें और अमरीका में कडाके की ठंड़ की पृष्ठभूमि पर कच्चे तेल की कीमतों में फिर से उछाल आया है। ‘ब्रेंट क्रूड’ एवं अमरीका के ‘डब्ल्यूटीआई’ दोनों प्रकार के तेल की कीमतें प्रति बैरल ९३ डॉलर्स तक जा पहुँची हैं। अगले कुछ ही दिनों में यह कीमत प्रति बैरल १०० डॉलर्स से अधिक होगी, यह इशारा विश्‍लेषकों ने दिया है।

opec-fuel-price-us-3अमरीका में फिलहाल कडाके की ठंड़ है और कई प्रांतों में बर्फबारी ने बड़ा नुकसान पहुँचाया है। देश में विमान सेवा एवं अंदरुनि यातायात की व्यवस्था और बीजली की सप्लाई पर भी असर पडा है। इस वजह से अमरीका में ईंधन उत्पादन कम होने की संभावना जताई जा रही है। दूसरी ओर ‘ओपेक’ एवं सहयोगी देशों के ‘ओपेक प्लस’ गुट ने कच्चे तेल का उत्पादन प्रति दिन चार लाख बैरल बढ़ाने का ऐलान किया है। विश्‍वभर में बढ़ रही ईंधन की माँग पर गुर करें तो उत्पादन की बढ़ोतरी पर्याप्त नहीं है, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है।

opec-fuel-price-us-2इस पृष्ठभूमि पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल बरकरार है और शुक्रवार को ‘ब्रेंट क्रूड’ एवं अमरीका के ‘डब्ल्यूटीआई क्रूड’ दोनों तेलों के कारोबार की कीमत प्रति बैरल ९३ डॉलर्स से अधिक रही। सोमवार को यह कारोबार शुरू होने के दौरान ईंधन की कीमत फिर से बढ़ने के संकेत विश्‍लेषकों ने दिए हैं। वर्ष २०२२ के पहले महीने में ही कच्चे तेल की कीमतों में २० प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। यही रुख जारी रहा तो अगले हफ्ते तक ही इंधन की कीमतें १०० डॉलर्स से अधिक हो जाएंगी, ऐसा कहा जा रहा है।

रशिया-यूक्रैन के तनाव में लगातार हो रही बढ़ोतरी, यूएई पर हौथियों के ड्रोन हमले, येमन के संघर्ष की बढ़ती तीव्रता जैसे मुद्दे भी कच्चे तेल की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी का कारण बने हैं। अंतरराष्ट्रीय वित्तसंस्था एवं ईंधन कंपनियों ने पहले ही ईंधन की कीमत प्रति बैरल १०० डॉलर्स से अधिक होगी, ऐसे अनुमान लगाए थे। पिछले वर्ष दिसंबर में अमरिकी वित्त संस्था गोल्डमन सैक्स ने अगले वर्ष के आरंभ में ही ईंधन की कीमत बढ़कर प्रति बैरल १०५ डॉलर्स तक जा पहुँचेगी, ऐसा कहा था। ‘रायस्टड एनर्जी के विश्‍लेषकों ने १०० डॉलर्स प्रति बैरल का अनुमान सच्चाई में उतर सकता है, इस ओर भी ध्यान आकर्षित किया था।

इससे पहले सन २०११ से २०१४ के दौरान कच्चे तेल की कीमतें प्रति बैरल १०० डॉलर्स तक जा पहुँची थी। इसके बाद कच्चे तेल की कीमतों की गिरावट आई थी। वर्ष २०१६ में कच्चे तेल की कीमतें प्रति बैरल २७ डॉलर्स के निम्नस्तर पर जा पहुँचीं थे।

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