इराक की सरकार में आगे से सशस्त्र गिरोहों के लिए स्थान नहीं रहेगा – मुक्तदा अल-सद्र का ऐलान

iraq-govt-al-sadrबगदाद – पिछले वर्ष अक्तुबर में हुए चुनावों के बाद रविवार को पहली बार इराक में संसद का कामकाज शुरू हुआ। इसके साथ ही संसद के नए अध्यक्ष के नाम का भी ऐलान किया गया है और इस वजह से इराक में जल्द ही नई सरकार गठित होगी, यह तय हुआ है। इराक में संगठित हो रही इस नई सरकार में सशस्त्र गिरोहों के लिए बिल्कुल स्थान नहीं रहेगा, यह ऐलान अक्तुबर के चुनावों में विजयी हुए मुक्तदा अल-सद्र ने किया है। लेकिन, इराक में सुन्नी और कुर्द गुटों के साथ हम सरकार गठित करेंगे, यह ध्यान आकर्षित करनेवाला ऐलान भी सद्र ने किया।

तीन महीने पहले, १० अक्तुबर को इराक में आम चुनाव हुए। इस दौरान मुक्तदा अल-सद्र की ‘सद्रिस्ट मुवमेंट’ को सबसे ज्यादा ७३ सीटों पर विजय हासिल हुई। इराक में विदेशी हस्तकों का प्रभाव ना होनेवाली सरकार गठित होने की उम्मीद होने का ऐलान अल-सद्र ने किया था। इराक में अमरिकी सेना की तैनाती एवं ईरान से जुड़े गुटों का राजनीति पर होनेवाले प्रभाव का अल-सद्र ने तीव्र विरोध किया था।

उनकी इस भूमिका को इराकी जनता ने बड़ा समर्थन दिया क्योंकि, सद्दाम हुसेन की हुकूमत का तख्ता पलटने के बाद इराक में शुरू में अमरीका और उसके बाद ईरान के प्रभाव में गठित सरकारों ने राज किया था। इससे परेशान हुई इराकी जनता ने अल-सद्र की भूमिका को बड़ा समर्थन दिया और उनकी पार्टी को चुनावों में बड़ी कामयाबी हासिल हुई थी।

लेकिन, सद्रिस्ट मुवमेंट के प्राप्त हुई इस जीत के खिलाफ पिछले तीन महीनों से इराक में जोरदार प्रदर्शन हो रहे थे। इराक में ईरान से जुड़े राजनीतिक दल एवं सशस्त्र गिरोहों ने इस नतीजे का निषेध किया। साथ ही वोटों की दोबारा गिनती करवाने की माँग भी की थी। लेकिन, फिर से हुई गिनती में भी अल-सद्र की पार्टी को ही सबसे ज्यादा वोट प्राप्त होने की बात स्पष्ट होने के बाद ईरान से जुड़े इन गुटों ने फिर से आम चुनाव कराने की माँग उठाई है।

इसके लिए ईरान से जुड़े गुटों ने जगह-जगह पर हिंसक प्रदर्शन भी किए। इराक के अस्थायी प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-काधीमी के निवास स्थान पर तीन ड्रोन हमले हुए। इराकी सुरक्षा यंत्रणाओं को भी लक्ष्य किया गया था। इस वजह से इराक में तनाव निर्माण हुआ था। इस पर संयुक्त राष्ट्रसंघ ने चिंता जताई थी। इराक के हिंसक प्रदर्शनों की वजह से अल-सद्र लंबे समय तक सरकार गठित नही कर पाए थे।

पिछले हफ्ते अल-सद्र ने सोशल मीडिया पर सरकार का गठन करने के मुद्दे पर अहम जानकारी प्रसिद्ध की। इसके बाद इराक में पंथिय या वांशिक मतभेदों के लिए स्थान नहीं रहेगा, यह भी अस-सद्र ने कहा। साथ ही यह भी ऐलान किया कि, इराक की भावी सरकार में सशस्त्र गिरोहों के लिए भी बिल्कुल स्थान प्राप्त नहीं रहेगा। अल-सद्र ने सीधा ज़िक्र नहीं किया है, फिर भी ईरान और इराक में स्थित ईरान समर्थक गिरोहों को लक्ष्य करने का दावा इराकी और अरब माध्यम कर रहे हैं।

इराक के चुनावों में दूसरा स्थान पानेवाली ‘तकदूम’ और चौथा स्थान पानेवाली ‘कुर्दिस्तान डेमोक्रैटिक पार्टी’ के साथ सरकार गठित करने का ऐलान अल-सद्र ने किया। इनमें से तकदूम इस सुन्नी पंथियों का प्रतिनिधित्व कर रहे राजनीतिक दल का निर्माण २०१९ में हुआ था। इस पार्टी के नेता मोहम्मद अल-हलबौसी को इराक की नई संसद का अध्यक्ष चुना गया है। अल-सद्र ने अल-हलबौसी को संसद के अध्यक्ष का स्थान देकर इराक में शिया और सुन्नी पंथियों में समन्वय स्थापित करने की कोशिश करने की बात दिखती है।

पंथिय संघर्ष में झुलस रहे इराक में अल-सद्र ने ऐसी समन्वय की भूमिका अपनाकर स्थिरता स्थापित करने का निर्णय किया है। फिर भी, ईरान समर्थक गुट और संगठनों को अल-सद्र का नेतृत्व मंजूर नहीं है। किसी समय ईरान समर्थक के तौर पर पहचान रखनेवाले अल-सद्र को अब ईरान विरोधी के तौर पर देखा जा रहा है। साथ ही इराक के इस प्रभावी नेता की सौदी अरब से नज़दिकीयाँ बढ़ रही हैं, यह आरोप भी लगाए जा रहे हैं।

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