२२ सैनिकों के मारे जाने के बाद आर्मेनिया-अज़रबैजान ने किया युद्धविराम का ऐलान

ceasefire-armenia-azerbaijan-1येरेवन – सरहद पर तनाव की वजह से आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच संघर्ष के दौरान २२ सैनिक मारे गए हैं| इसके बाद रशिया ने तुरंत मध्यस्थता करके आर्मेनिया-अज़रबैजान के बीच युद्धविराम करवाया| इस वजह से मध्य एशिया के पड़ोसी देशों का यह संघर्ष कुछ समय के लिए टल गया है| लेकिन, काफी संवेदनशील सीमा से आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच फिर से संघर्ष होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता, यह इशारा अंतरराष्ट्रीय विश्‍लेषक दे रहे हैं|

आर्मेनिया और अज़रबैजान की सेनाओं ने एक-दूसरे के खिलाफ घुसपैठ एवं हमले करने का आरोप लगाया है| अज़रबैजान की सेना ने दो दिन पहले ही हमारी सीमा में घुसपैठ करके सैनिकों का अपहरण किया, इसके अलावा हमारे सरहदी क्षेत्र के गांवों पर तोप से हमला करने का आरोप आर्मेनिया की सेना ने लगया है| इस संघर्ष में १५ सैनिक मारे गए और १३ सैनिकों का अपहरण किया गया| इसके साथ ही २४ सैनिकों से संपर्क नहीं हो पाया है और वे भी लापता हैं, ऐसी चिंता आर्मेनिया व्यक्त कर रही है|

तो, आर्मेनिया की सेना ने केलबजार-गेघारकुनीक और लाचिन-स्युनिक इलाकों में रॉकेट एवं तोप के हमले करने का दावा अज़रबैजान कर रहा है| इस दौरान हमारे सात सैनिक मारे गए और दो घायल हुए, यह आरोप अज़रबैजान ने लगाया| लेकिन, कुछ वृत्तसंस्थाओं में जारी हुई जानकारी के अनुसार इस दौरान आर्मेनिया की सेना ने अज़रबैजान के कम से कम ७० सैनिक मारे हैं या वे लापता हैं|

ceasefire-armenia-azerbaijan-2आर्मेनिया या अज़रबैजान ने इन दावों की पुष्टी नहीं की है| लेकिन, सीमा पर हुए इस संघर्ष के बाद आर्मेनिया ने रशिया से मध्यस्थता करने का आवाहन किया था| इसके बाद मंगलवार देर समय दोनों देशों ने युद्धविराम का ऐलान किया| आर्मेनिया और अज़रबैजान युद्धविराम का पालन रखें, यह आवाहन अमरीका, ब्रिटेन, ईरान एवं यूरोपिय महासंघ ने किया है| लेकिन, इसकी वजह से सालभर पहले आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच हुए संघर्ष की यादें ताज़ा हुई हैं|

ठीक एक साल पहले आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच ४४ दिनों तक संघर्ष चला था| नागोर्नो-काराबाख के नियंत्रण को लेकर भड़के इस संघर्ष में ६,५०० से अधिक लोगों के मारे जाने का दावा किया जा रहा है| अज़रबैजान ने इस संघर्ष में जीत हासिल की थी| आर्मेनिया के खिलाफ हुए इस संघर्ष में तुर्की और पाकिस्तान ने अज़रबैजान की सहायता की थी, ऐसा आरोप उस समय लगाया गया था| रशिया की मध्यस्थता से ही वह संघर्ष रुका था|

लेकिन, अब भी आर्मेनिया और अज़रबैजान का सीमा विवाद गरम हैं| अज़रबैजान की सेना हमारी सीमा में घुसपैठ करती है, यह आरोप आर्मेनिया लगातार लगाता आ रहा है| आर्मेनिया की तरह ईरान ने भी अज़रबैजान की सेना की आक्रामकता पर पहले ही आलोचना की है| आर्मेनिया जा रहे अपने व्यापारी वाहनों के सामने अज़रबैजान की सेना रोड़े डालती है, यह आरोप ईरान ने कुछ हफ्ते पहले ही लगाया था| इस वजह से ईरान और अज़रबैजान के बीच में भी तनाव निर्माण हुआ था|

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