लष्कर, नौसेना और वायुसेना स्वार्म एवं सुसाईड ड्रोन्स की खरीद करेंगे – लष्कर द्वारा १०० स्वार्म ड्रोन्स का ऑर्डर

नई दिल्ली – ‘नो कॉन्टॅक्ट वॉरफेअर’ के लिए भारत सुसज्जित हो रहा है और लष्कर ने १०० स्वार्म ड्रोन्स की खरीद करने का फैसला किया है। आर्टिफीशियल इंटेलिजन्स (एआय) तंत्रज्ञान पर आधारित इन अत्याधुनिक ड्रोन्स के लिए लष्कर ने बंगळुरू स्थित एक कंपनी को ऑर्डर दिया होने की खबर है। चीन ने स्वार्म ड्रोन तंत्रज्ञान में बढ़त ली है। अपने लष्कर के बेड़े में चीन स्वार्म ड्रोन्स की संख्या बढ़ा रहा है। ऐसे में भारत भी इस मोरचे पर अपनी सिद्धता बढ़ा रहा है। स्वार्म ड्रोन के साथ लष्कर सुसाईड ड्रोन्स की भी खरीद कर रहा है। इसके अलावा वायुसेना और नौसेना ने भी ऐसे ही ड्रोन्स के लिए ऑर्डर दिया होने की खबर है। यह सारी खरीद तीनों रक्षा बलों को दिए गए इमरजेंसी अधिकार के तहत की जा रही है।

swarm-suicide-drones‘नो कॉन्टॅक्ट वॉरफेअर’ यानी जान का जोखिम न उठाते हुए किए जानेवाले युद्धतंत्र का महत्व बढ़ रहा है। अमरीका, इस्रायल, रशिया, ब्रिटेन जैसे देश अपने बेड़े में मानवरहित ड्रोन की संख्या बढ़ा रहे हैं। छोटे आकार के और कम ऊंचाई पर उड़ान भरकर दुश्मन के रडार को चकमा दे सकनेवाले स्वार्म ड्रोन्स आनेवाले समय में युद्ध में महत्वपूर्ण साबित होंगे। इस कारण स्वार्म ड्रोन्स की संख्या भी ये देश बढ़ा रहे हैं। चीन ने भी इसमें बढ़त ली है। पिछले साल चीन ने एकसाथ २०० स्वार्म ड्रोन उड़ाकर परीक्षण किए थे।

इस पृष्ठभूमि पर जनवरी महीने में भारतीय लष्कर ने ‘आर्मी डे’ के उपलक्ष्य में आयोजित संचलन में अपनी इस स्वार्म ड्रोन शक्ति के दर्शन कराए थे और भारत भी नईं चुनौतियों के लिए आधुनिक युद्ध तंत्र से सिद्ध हो रहा है, यह दुनिया को दिखाया था। ‘आर्मी डे’ परेड के दौरान ७५ स्वार्म ड्रोन्स ने उड़ान भरते हुए थरारक प्रदर्शन किए थे। इन प्रदर्शनों में दुश्मन के एयरस्ट्रिप्स, अहम लष्करी अड्डे, टैंक्स ध्वस्त किए गए। मदर ड्रोन सिस्टिम का इस्तेमाल किया गया था। थोड़े बड़े आकार के ड्रोनशीप में से यानी मदर ड्रोन के पेट से बाहर निकलने मवाले चाईल्ड ड्रोन यानी छोटे ड्रोन्स ने प्रदर्शन के दौरान अपने लक्ष्यों को सटीकता से छेदा था।

भारतीय लष्कर खरीद कर रहे स्वार्म ड्रोन्स ये २५ किलोमीटर की दूरी पर से ही अपने लक्ष्य को छेद सकते हैं। साथ ही, ५ से १० किलो के विस्फोटकों का वहन करके ले जा सकते हैं। उसी प्रकार युद्ध के दौरान दवाइयाँ तथा अन्य आवश्यक सामग्री की आपूर्ति भी जवानों को इस माध्यम से की जा सकती है, ऐसी जानकारी लष्कर के अधिकारी ने दी है। इन १०० ड्रोन्स की, हर चरण में ५०, ऐसी पद्धति से दो पड़ावों में बंगळुरू स्थित कंपनी द्वारा लष्कर को सप्लाई की जानेवाली है, ऐसी जानकारी भी लष्करी सूत्रों के हवाले से जारी हुई है। लेकिन इस बारे में अधिक विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया है।

इसी बीच, भारतीय लष्कर ने लॉइटरिंग म्युनिशन श्रेणी के १०० ड्रोन्स का आर्डर भी दिया होने की जानकारी है। इस ड्रोन को सुसाईड ड्रोन अथवा कामिकाझे ड्रोन इन नामों से भी जाना जाता है। ये ड्रोन्स लक्ष्य का मुआयना करके, उनके लिए निर्धारित किया गया लक्ष्य नष्ट करने के लिए विस्फोटकों समेत उसपर टकरा जाते हैं। इस कारण इसे सुसाइड ड्रोन कहा जाता है। कुछ महीने पहले अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच हुए युद्ध में ऐसे ड्रोन्स का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हुआ था। नौसेना ने भी ऐसे ड्रोन्स का आर्डर देने की खबर है।

साथ ही, भारतीय वायुसेना स्कायस्ट्रायकर इस सुसाइड ड्रोन की खरीद कर रही है। १२० स्कायस्ट्रायकर के लिए वायुसेना ने एक भारतीय कंपनी को आर्डर दिया है। विदेशी कंपनी और भारतीय कंपनी संयुक्त उपक्रम के अंतर्गत यह आर्डर पूरी करनेवाली हैं।

पिछले साल चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद भारतीय लष्कर को इमरजेंसी स्थिति में रक्षा सामग्री की खरीद करने के लिए दिए गए आर्थिक अधिकारों में वृद्धि की गई थी। इसी इमरजेंसी अधिकार के तहत यह खरीद की जा रही होकर, चीन और पाकिस्तान सीमा पर बनी चुनौतियों को देखते हुए इस खरीद का महत्व बढ़ा है। 

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