दुनिया और युद्धतंत्र बदलते समय भारत के लिए लष्करी क्षमता में वृद्धि करना अत्यावश्यक बना है – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नौशेरा – ‘सीमा पर आधुनिक बुनियादी सुविधाओं के कारण भारत की लष्करी क्षमता में वृद्धि होगी। पहले का दौर अब बीत चुका है। अब लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक और जैसलमेर से लेकर अंदमान-निकोबार तक ज़मीनी और सागरी सीमा क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ी है। दुनिया बदल रही है और युद्धतंत्र में भी बदलाव आए हैं। इस कारण अपनी लष्करी क्षमता में वृद्धि करना अत्यावश्यक बना है’, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा। प्रधानमंत्री ने दिवाली जम्मू-कश्मीर के नौशेरा में तैनात जवानों के साथ मनाई।

युद्धतंत्रइस समय प्रधानमंत्री मोदी ने, सन २०१६ में पीओके में आतंकवादियों के ठिकानों पर किए सर्जिकल स्ट्राइक का ज़िक्र किया। सर्जिकल स्ट्राइक के लिए एलओसी से पार गया हर एक जवान वापस आने तक मैं प्रतीक्षा कर रहा था। उस दिन को मैं कभी नहीं भूलूँगा, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा। सर्जिकल स्ट्राइक में नौशेरा की अहम भूमिका थी। यह बात प्रधानमंत्री ने अधोरेखांकित की। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी भारत में आतंकवादी हमले हुए और यहाँ की शांति भंग करने की कोशिश हुई। लेकिन हर बार इस आतंकवाद को करारा जवाब मिला, ऐसा सूचक बयान प्रधानमंत्री ने इस समय किया। यह नौशेरा से प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को दी चेतावनी होने के दावे किए जा रहे हैं।

इस समय प्रधानमंत्री ने सीमा पर बड़े पैमाने पर बनाईं जा रहीं बुनियादी सुविधाएँ और रक्षाबलों के लिए किए जानेवाले अत्याधुनिक रक्षा सामग्री के और प्रगत तंत्रज्ञान के इस्तेमाल पर भी गौर फरमाया। सीमा भाग में कनेक्टिविटी मज़बूत हुई है। भू-सीमा और तटवर्ती इलाके के पास सड़कें, सुरंगी मार्ग और ऑप्टिकल फाइबर का नेटवर्क बनाया जा रहा है। सीमा भाग में लष्कर के जवानों की तैनाती शीघ्रतापूर्वक की जा रही है। आक्रमकों के और घुसपैंठियों के विरोध में सीमा भाग मज़बूती से खड़ा हो रहा है, यह बात प्रधानमंत्री मोदी ने अधोरेखांकित की। इसके ज़रिए प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान समेत चीन पर भी निशाना साधा।

सीमा भाग में बुनियादी सुविधाओं का और आधुनिक तंत्रज्ञान का विस्तार रक्षा बलों की क्षमता में वृद्धि करनेवाला साबित होता है। बदलती दुनिया में अब लष्कर की क्षमताओं को बढ़ाने की बड़ी जरूरत निर्माण हुई है, ऐसा प्रधानमंत्री ने आगे कहा। साथ ही, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का महत्व भी प्रधानमंत्री ने अधोरेखांकित किया। इससे पहले रक्षा बलों के लिए रक्षा सामग्रियों की खरीद करते समय बहुत अवधि लगती थी। क्योंकि भारत पूरी तरह दूसरे देशों पर निर्भर था। साथ ही, इस संदर्भ में प्रक्रियाएँ पूरी होने के लिए बहुत समय लगता होने के कारण, आपातकालीन स्थिति में जल्दबाज़ी में खरीद करनी पड़ती थी। लेकिन अब ६५ प्रतिशत इतने प्रमाण में नई रक्षा खरीद के लिए किया प्रावधान, देश में ही खर्च हो रहा है। लगभग २०० रक्षा सामग्रियों की लिस्ट बनाकर उसका भारत में ही उत्पादन करने के प्रयास जारी हैं। इस लिस्ट का आनेवाले समय में अधिक विस्तार होगा, यह भी प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया।

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