राष्ट्राय स्वाहा, राष्ट्राय इदं न मम।

राष्ट्राय स्वाहा,  राष्ट्राय इदं न मम।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ४४   श्रीगुरुजी के निर्वाण का वृत्त सर्वत्र फ़ैल  गया और  ६ जून को उनके अंतिम दर्शन करने नागपूर के ‘महाल’ कार्यालय में भारी मात्रा में भीड़ इकट्ठा हुई। गुरुजी से प्रेम करनेवालों पर तो माने दुख का पहाड़ ही टूट पड़ा था। अपने निर्वाण से पहले पूजनीय डॉक्टर […]

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गुरुजी का महानिर्वाण

गुरुजी का महानिर्वाण

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ४३ सन १९६५  में हुआ युद्ध और सन १९७१ में हुआ युद्ध, इनमें एक मूलभूत फर्क था। सन १९७१ में भारत का सेनादल युद्ध के लिए पूरी तरह सिद्ध था। चीन ने जब सन १९६२ में आक्रमण किया, उस समय भारत सतर्क नहीं था। उस समय के राजनीतिक नेतृत्व […]

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गुरुजी का वास्तव्य

गुरुजी का वास्तव्य

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ४२ ‘गुरुजी, आपका वास्तव्य कहाँ पर रहता है?’ – ऐसा किसी ने पूछा। ‘रेल के डिब्बे में!’, गुरुजी ने एकदम सहजता से उत्तर दिया। यह गुरुजी द्वारा किया हुआ हँसीमज़ाक नहीं था। वाक़ई गुरुजी ने अपने जीवन का बहुत समय प्रवास में व्यतीत किया है। कई बार देशभ्रमण करनेवाले […]

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उदार एवं व्यापक

उदार एवं व्यापक

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ४१ सन १९६९ में कर्नाटक के उडिपी शहर में ‘विश्व हिंदु परिषद’ का सम्मेलन आयोजित किया गया था। यह सम्मेलन ऐतिहासिक साबित हुआ। इस सम्मेलन में हिंदु धर्म के सभी पंथों के आचार्य एकत्रित हुए थे और इसमें बहुजन समाज के पीठाधीश भी मंच पर विराजमान थे। सम्मेलन के […]

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संगठनशास्त्र का विज्ञान

संगठनशास्त्र का विज्ञान

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ४० ‘शारदापीठ’ के ‘शंकराचार्य’ का देहान्त हो गया और उनका स्थान रिक्त हो गया। यह स्थान अब कौन विभूषित करेगा, इसपर विचारविनिमय शुरू हुआ। उस समय द्वारकापीठ के शंकराचार्य ‘अभिनव सच्चितानंदजी’ ने श्रीगुरुजी के सामने प्रस्ताव रखा। ‘शारदापीठ के ‘शंकराचार्य’पद का स्वीकार करने के लिए गुरुजी जैसा अन्य सुयोग्य […]

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अशोकजी सिंघल

अशोकजी सिंघल

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ३९ जब भी विश्‍व हिंदु परिषद के कार्य का ज़िक्र होता है, तब ‘अशोकजी सिंघल’ आँखों के सामने आ जाते हैं। ‘विश्‍व हिंदु परिषद’ का कार्य देशविदेश में जोरों-शोरों से आगे बढ़ रहा था। ऐसी परिस्थिति में सन १९८२ में अशोकजी पर विश्‍व हिंदु परिषद की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी। […]

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सर्वधर्मसद्भाव – ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’

सर्वधर्मसद्भाव  –  ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ३८ ‘विश्‍व हिन्दु परिषद’ की स्थापना यह ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव था। संघ की स्थापना सन १९२५  में हुई और ‘विश्‍व हिन्दु परिषद’ की स्थापना का वर्ष था, सन १९६४। इस तक़रीबन चार दशकों की कालावधि में संघ का कार्य अलग अलग क्षेत्रों में […]

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विश्‍व हिन्दु परिषद

विश्‍व हिन्दु परिषद

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ३७ सन १९६४  की जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर स्थापन हुई ‘विश्‍व हिन्दु परिषद’ ने स्थापना के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। पूरी दुनिया में इस संगठन का विस्तार हुआ। आज ‘विश्‍व हिन्दु परिषद’ सही मायने में ‘विश्‍वव्यापी’ बनी दिखायी दे रही है। पचास देशों में इस संगठन का […]

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संघ का विदेश में विस्तार एवं विकास

संघ का विदेश में विस्तार एवं विकास

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ३६ सन १९८७ में पूर्व अ़फ्रीका के संघकार्य के ४० साल पूरे हो गये। इस कार्यक्रम का मुझे विशेष निमंत्रण मिला था। ‘हिंदु कौन्सिल ऑफ  केनिया’ नामक एक और संगठन संघ ने शुरू किया था। इस प्रकार युगांडा और टांझानिया में भी अलग अलग नामों से ऐसे ही संगठन […]

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संघ का विदेश प्रवास

संघ का विदेश प्रवास

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ – भाग ३५ सन १९४६  का सितम्बर महीना शुरू था। ‘एस. एस. वसना’ नामक एक जहाज़, मुंबई के ‘बेलार्ड पिअर’ से केनिया के ‘मुंबासा’ के लिए रवाना हुआ था। इस जहाज़ में कई भारतीय अपना नसीब आज़माने के लिए अ़फ्रीका जा रहे थे। एक शाम को, जहाज़ के डेक पर ‘जगदीशचंद्र […]

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