‘एलएसी’ के तनाव के लिए पूरी तरह से चीन ही ज़िम्मेदार – भारतीय विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला

लंदन – चीन ने लद्दाख की ‘एलएसी’ की स्थिति में एकतरफा बदलाव करने की कोशिश करने से ही दोनों देशों के संबंध बिगड़े हैं, यह आरोप भारतीय विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने किया है। साथ ही अपनी अखंड़ता और संप्रभुता से भारत किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा, इस पर भारत कायम है, यह इशारा श्रृंगला ने दिया। तभी, चीन का बढ़ता विस्तार और वैश्विक गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर भारत ने अब इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर अधिक ध्यान केंद्रीत किया है, यह बात भारतीय विदेश सचिव ने स्पष्ट की।

india-shringlaभारत के विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला यूरोप की यात्रा पर हैं और उन्होंने फ्रान्स, जर्मनी और ब्रिटेन के साथ भारत के द्विपक्षीय एवं सामरिक सहयोग पर चर्चा की। इन देशों ने भी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की भूमिका का स्वागत किया और वहां पर नए गुट का हिस्सा होने का ऐलान किया है। इस यूरोप यात्रा के दौरान भारतीय विदेश सचिव ने ‘एलएसी’ के मुद्दे पर चीन के विस्तारवाद को निशाना किया। जर्मन वृत्तसंस्था से बातचीत करते समय श्रृंगला ने ‘एलएसी’ के तनाव के लिए चीन ही ज़िम्मेदार होने का आरोप किया।

बीते कई वर्षों से भारत और चीन के बीच सीमा रेखा को लेकर सहमति ना होने की बात श्रृंगला ने स्वीकार की। लेकिन, लष्करी ताकत पर सीमा रेखा में बदलाव करने की कोशिश हुई तो इसका दोनों देशों के संबंधों पर सीधा असर पडेगा, यह कहकर विदेश सचिव ने चीन की आलोचना की। लद्दाख की ‘एलएसी’ पर चीन ने की हुई आक्रामक गतिविधियां चिंताजनक हैं और कुछ भी हो जाए पर भारत अपनी अखंड़ता एवं संप्रभुता से समझौता नहीं होने देगा, यह बात श्रृंगला ने ड़टकर रखी। साथ ही हाँगकाँग में बनी स्थिति पर भारत की नज़र होने का बयान भी श्रृंगला ने किया। हाँगकाँग में भारतीय वंशियों की संख्या बड़ी होने से वहां की गतिविधियों पर भारत की नज़र हमेशा रहेगी, इन शब्दों में श्रृंगला ने हाँगकाँग को लेकर भारत की भूमिका रखी।

ins-vikramadityaतभी, ब्रिटेन के ‘पॉलिसी एक्स्चेंज’ नामक अभ्यासगुट ने आयोजित की हुई बैठक में बोलते समय भारत के विदेश सचिव ने इंडो-पैसिफिक को लेकर भारत की भूमिका रखी। इंडो-पैसिफिक समुद्री क्षेत्र से विश्‍व की करीबन ६५ व्यापारी यातायात होती है। भारत का अधिकांश व्यापार भी इसी समुद्री क्षेत्र से होता है। ऐसी स्थिति में इस क्षेत्र में चीन का प्रभाव बढ़ने से नियमों पर आधारित समुद्री सुरक्षा और स्थिरता तय करने के लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों के साथ सहयोग बढ़ाना आवश्‍यक है, यह कहकर श्रृंगला ने चीन को लक्ष्य किया। तभी सुरक्षा प्रदान करनेवाले देश के तौर पर भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा और यातायात की आज़ादी दृढ करने के लिए कोशिश कर रहा है, यह बयान श्रृंगला ने किया।

इसी बीच, भारत ने पहल किए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के सहयोग में ब्रिटेन, फ्रान्स और जर्मनी ने शामिल होने का ऐलान किया है और जर्मनी ने अगले वर्ष से हिंद महासागर में गश्‍त लगाने के लिए विध्वंसक रवाना करने का ऐलान किया है। तभी, फ्रान्स ने भी ऐसे ही संकेत दिए। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को लेकर भारत और यूरोपिय देशों के बीच बढ़ रहे सहयोग पर चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के मुखपत्र ने कुछ दिन पहले ही प्रतिक्रिया दर्ज़ की थी। यह सहयोग कामयाब नहीं होगा, यह दावा भी चीन के मुखपत्र ने किया था।

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