सीपीईसी मसले पर चीन पाक़िस्तान पर नाराज़

इस्लामाबाद, दि. १८ (वृत्तसंस्था) – ‘पाक़िस्तान का उज्ज्वल भवितव्य’ ऐसा जिक्र किये जानेवाली ‘चायना पाक़िस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ (सीपीईसी) परियोजना में रुकावटें आने के कारण चीन पाक़िस्तान पर नाराज़ हुआ है| पाक़िस्तान की ओर से इस परियोजना में हो रही देरी पर नाराज़गी जताते हुए चीन ने पाक़िस्तान पर दबाव बढाया है| इसी दौरान, इस अहम परियोजना की वजह से भी पाक़िस्तान सरकार और सेना में मतभेद पैदा हुए हैं, ऐसी जानकारी ‘द डॉन’ इस पाक़िस्तान के दैनिक अखबार ने दी है|

सीपीईसी प्रधानमंत्री नवाझ शरीफ इलाज के लिए काफी समय तक लंडन में थे| इस दौरान ‘सीपीईसी’ का काम ठप्प हो चुका था| इससे पहले भी, ‘पाक़िस्तान की ‘रेड टेप’ की वजह से इस परियोजना में देरी हो रही है’ ऐसी आलोचना चीन द्वारा की जा ही रही थी| लेकिन अब इस परियोजना में हो रही देरी को देखते हुए अस्वस्थ हुए चीन ने अलग ही कदम उठाने शुरू किये हैं| पाक़िस्तानस्थित चिनी राजदूत ‘सन वाईड़ाँग’ ने पिछले महीने में पाक़िस्तान के सेनाप्रमुख जनरल राहिल शरीफ के साथ चर्चा की थी| इस चर्चा में ‘सीपीईसी’ का मुद्दा अहम था, ऐसा घोषित किया गया था| प्रधानमंत्री नवाझ शरीफ की सरकार द्वारा तेज़ी से फैसले नहीं किये जा रहे हैं, ऐसी आलोचना जब की जा रही है, तभी पाक़िस्तानी लष्करप्रमुख के साथ चीन के राजदूत ने की हुई चर्चा ग़ौरतलब दिखायी दे रही है|

raheelप्रधानमंत्री नवाझ शरीफ सत्ता में आने के बाद पाक़िस्तान का आर्थिक अध:पतन हो रहा है, ऐसी आलोचना की जा रही है| पाक़िस्तान में हो रहे विदेशी निवेश में कटौती हुई है और अर्थव्यवस्था की हालत खराब है| इस स्थिति में, ‘सीपीईसी’ जैसी परियोजना में चीन द्वारा किये गए निवेश के पूरे श्रेय के लिए दावा करना प्रधानमंत्री शरीफ की सरकार के लिए काफी अहम है| इस कामयाबी का हक़ शरीफ सेना को सौंपने के लिए तैयार नहीं हैं|

इस वजह से, सरकार और सेना के बीच इस परियोजना को लेकर बहस जारी है, ऐसा ‘द डॉन’ ने कहा| इसी समय, इस परियोजना में पाक़िस्तानी लष्कर को बडी दिलचस्पी है, ऐसा दावा इस दैनिक ने किया है|

इस परियोजना की रक्षा के लिए अलग पथक तैनात करने की घोषणा सेनाप्रमुख जनरल शरीफ ने की है| साथ ही, ‘इस परियोजना पर पाक़िस्तान का भवितव्य निर्भर है और इस परियोजना के खिलाफ़ की जा रहीं साज़िशों के बावजूद भी यह परियोजना पूरी की जायेगी’ ऐसा जनरल शरीफ ने कहा था| पर इतनी अहम परियोजना में हो रही देरी की वजह से पाक़िस्तानी लष्कर भी अस्वस्थ हुआ है| लेकिन इस परियोजना को केवल प्रशासकीय वजह से देरी नहीं हो रही| बल्कि, इस परियोजना के खिलाफ़ पाक़िस्तानी जनता की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं|

जिस बलुचिस्तान प्रांत के ग्वादर बंदरगाह से यह परियोजना शुरू की जा रही है, उसी बलुचिस्तान की जनता इस परियोजना का सख़्त विरोध कर रही है| इस इलाक़े में काम कर रहे चिनी अभियंता पर हमले होने की घटना सामने आयी है| ‘इस परियोजना के मार्ग में बदलाव करके, पंजाब प्रांत को ज़्यादा लाभ मिलें ऐसे प्रावधान किये गये हैं’ ऐसी आलोचना अन्य प्रांत के नेता कर रहे हैं| उसी समय, विश्लेषक ऐसी चिंता जता रहे हैं कि ‘कुछ समय पहले तक अमरीका की ग़ुलामी करनेवाला पाक़िस्तान, इस परियोजना की वजह से चीन की गुलामी में अटकेगा।’

‘चीन पाक़िस्तान का मित्र देश अवश्य है, लेकिन आनेवाले समय में इस परियोजना की वजह से, अपने ही देश में पाक़िस्तानी जनता की संख्या कम और चिनी लोग ज़्यादा ऐसी स्थिती हो सकती है’ ऐसी चेतावनी भी कुछ विश्‍लेषक दे रहे हैं| ‘इस परियोजना की वजह से पाक़िस्तान ने अमरीका की नाराज़गी को न्योता दिया है और आनेवाले समय में इसके गंभीर परिणाम पाक़िस्तान को भुगतने पड सकते हैं’ ऐसा कुछ पत्रकार और विश्‍लेषक पाक़िस्तान सरकार को आगाह कर रहे हैं।

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