चीन की कथनी और करनी में संगति रहे – भारतीय विदेश मंत्रालय की फटकार

नई दिल्ली – भारत के साथ बातचीत करके चीन नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने की कोशिश कर रहा है, ऐसा दावा चीन के विदेश मंत्रालय ने किया था। लेकिन, चीन की कथनी और करनी में संगति रहे, ऐसी उम्मीद भारत के विदेश मंत्रालय ने व्यक्त की है। ऊपरी दिखावे के लिए चीन तनाव कम करने की बयानबाज़ी कर रहा है, लेकिन वास्तव में चीन तनाव बढ़ाने की गतिविधियां कर रहा है, यह बात भारतीय विदेश मंत्रालय ने अलग शब्दों में बयान की है।

दोनों देशों के बीच सीमा के मसले पर समझौते का उल्लंघन चीन ने ही किया है। चीन ने अब तक तीन बार इन समझौतों का उल्लंघन करनेवाली गतिविधियां की हैं और इसी वजह से ‘एलएसी’ पर तनाव निर्माण हुआ है, ऐसे सीधे शब्दों में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने चीन को लक्ष्य किया। इसके साथ ही ‘एलएसी’ पर तनाव कम करने के लिए भारत से राजनीतिक और लष्करी स्तर पर चर्चा करने के दावे पर भी श्रीवास्तव ने राजनीतिक भाषा में ही सवाल किया हैं। चीन की कथनी और करनी में संगति हो, ऐसी भारत की उम्मीद है, यह कहकर अनुराग श्रीवास्तव ने फटकार लगाई।

india-chinaबीते दो दिनों से भारत के नेता चीन की विस्तारवादी एवं विश्‍वासघाती नीति पर तीव्र प्रहार कर रहे हैं। विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने, चीन ने लद्दाख में भारतीय सैनिकों पर हमला करके विश्‍वासघात किया है, ऐसी तीखी आलोचना की थी। ऐसी कार्रवाई करके भारत के साथ संबंध ठीक से कायम रखना संभव होगा, इस भ्रम में चीन ने रहना नहीं चाहिये, यह अहसास भी भारतीय विदेशमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में चीन को कराया। साथ ही ‘एलएसी’ से संबंधित चीन की नीति में सातत्य नहीं है और अपनी हरकतों के समर्थन में चीन ने अब तक पांच अलग अलग वजहें बताई हैं, ऐसी फटकार भी जयशंकर ने लगाई। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी आसियान की बैठक में नियम और समझौते पैरों तले कुचल रहे चीन को चेतावनी दी थी।

विदेशमंत्री जयशंकर के बयान पर चीन ने प्रतिक्रिया दर्ज़ की है। चीन को बातचीत के माध्यम से ही सीमा विवाद का हल निकालना है। साथ ही चीन अपनी संप्रभुता के क्षेत्र का अधिकार नहीं छोड़ेगा, यह बयान भी चीनी अफसरों ने किया था। इस पर भारतीय विदेशमंत्रालय ने बयान किया है और चीन को तनाव कम करने में रूचि नहीं है, यह संकेत विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के बयान से प्राप्त हो रहे हैं। लष्करी अधिकारियों की चर्चा के दौरान चीन ने ‘एलएसी’ से पीछे हटने की बात स्वीकार की थी। लेकिन, उसके बाद चीन के वरिष्ठ नेतृत्व ने पीछे हटने से इन्कार करने की खबरें प्राप्त हुई थीं।

लद्दाख की ‘एलएसी’ से पीछे हटने से अपनी प्रतिष्ठा पर दाग लगेगा, ऐसी चिंता चीन को सता रही है। साथ ही लद्दाख में भारतीय सेना ने अहम पहाड़ियों पर कब्ज़ा करने के बाद हुई चर्चा पर भारत ने वर्चस्व बनाया है, यह बात भी विश्‍व के सामने आयी थी। इस वजह से चीन अधिक बेचैन हैं और इस पृष्ठभूमि पर ‘एलएसी’ से पीछे हटना चीन के लिए अधिक कठिन हो रहा है। लेकिन, लद्दाख के मौसम की आदत ना होनेवाले चीन के सैनिक वहां की जमानेवाली ठंड़ में पूरी तरह से जम गए हैं और चीन की सामरिक गलती का परिणाम उनके सैनिकों को भुगतने पड़ रहे हैं, यह बात दिखाई दे रही है।

फिर भी चीन अधिक से अधिक तैनाती करके एवं ‘एलएसी’ के अन्य क्षेत्रों में गतिविधियां करके भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इसी बीच लद्दाख के पैन्गॉन्ग त्सो के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित अहम पहाड़ियों पर अपने सैनिकों ने दुबारा कब्ज़ा किया है, यह भ्रम निर्माण करने की कोशिश चीन कर रहा है। इसके लिए चीन प्रचार युद्ध शुरू करने की तैयारी कर रहा है और इसके ज़रिये भारत को पीछे हटना पड़ा है, चीन ऐसा चित्र खड़ा करने की नाकाम कोशिश कर रहा है। ऐसे सभी मुद्दों से चीन लद्दाख की ‘एलएसी’ पर जारी विवाद में अधिकाधिक फंसता जा रहा है।

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