अमरीका के दबाव के बाद युएई में चीन की लष्करी गतिविधियाँ रुकीं

वॉशिंग्टन – विदेश के व्यापारी बंदरगाहों का इस्तेमाल अपनी लष्करी महत्वाकांक्षा के लिए करनेवाले चीन का पर्दाफाश हुआ है। युएई के बंदरगाह में अरबों डॉलर्स का निवेश करनेवाला चीन यहाँ पर लष्करी गतिविधियाँ कर रहा है, इस बात पर अमरीका ने युएई का गौर फरमाया। उसके बाद चीन को युएई के बंदरगाह में अपनी लष्करी गतिविधियाँ रोकनी पड़ीं, ऐसी खबर अमरीका के अख़बार ने प्रकाशित की है।

अमरीका के दबावअपनी आर्थिक ताकत का इस्तेमाल करके चीन दुनियाभर के लगभग ९० से अधिक व्यवसायिक बंदरगाहों पर नियंत्रण रखे है। इनमें से सामरिक दृष्टि से अहम साबित होनेवाले कुछ बंदरगाहों का इस्तेमाल चीन अपनी लष्करी महत्वाकांक्षाओं के लिए कर रहा है, यह बात सामने आई थी। उसके बाद डेन्मार्क, बांग्लादेश और मालदीव इन देशों ने, चीन को दिए अपने बंदरगाहों के संदर्भ में किया समझौता ख़ारिज किया था। उसके बाद अब युएई जैसे खाड़ी क्षेत्र के देश के बंदरगाह का इस्तेमाल भी चीन लष्करी गतिविधियों के लिए कर रहा है, यह बात सामने आने के बाद चीन का फिर से पर्दाफाश हुआ है।

चीन की ‘कॉस्को’ इस शिपिंग कंपनी ने चार साल पहले युएई के खलीफा बंदरगाह में एक अरब डॉलर्स का निवेश किया था। व्यापार के लिए चीन इस बंदरगाह का इस्तेमाल करेगा, ऐसा चीन ने कहा था। लेकिन कुछ महीने पहले अमरीका के सेटेलाइट ने खींचे फोटोग्राफ्स में, इस बंदरगाह में चीन ने बड़े पैमाने पर लष्कर की गतिविधियाँ शुरू करने की बात सामने आई थी। इसका पता ना चलें इसके लिए चीन ने इस इलाके में मिट्टी के बड़े ढेर खड़े किए हैं।

अमरीका के दबावअमरीका ने यह सारी जानकारी युएई को प्रदान की तथा उस पर अपनी नाराज़गी भी जाहिर की, ऐसा दावा अमरिकी अख़बार ने किया। खलीफा बंदरगाह से कुछ ही दूरी पर युएई स्थित अमरीका का लष्करी अड्डा है। खलीफा बंदरगाह में चल रहीं चीन की लष्करी गतिविधियाँ अमरीका के लिए तथा पर्सियन खाड़ी में व्यापारिक जहाजों की यातायात पर असर करने वाली होंगी, ऐसा अमरीका ने डटकर कहा। साथ ही, अगर युएई ने चीन की लष्करी गतिविधियाँ नहीं रोकीं, तो अमरीका से मिलनेवाली सहायता रोकने की चेतावनी भी दी थी, ऐसा अमरिकी अखबार ने कहा है।

उसके बाद युएई ने खलीफा बंदरगाह में चीन को निर्माणकार्य बंद करने पर मजबूर किया। फिलहाल खलीफा बंदरगाह में चिनी अधिकारी हैं अथवा नहीं, यह स्पष्ट नहीं हो सका है। अमरिकी अख़बार की इस खबर पर चीन ने प्रतिक्रिया नहीं दी है। अमरीका स्थित युएई के दूतावास ने भी इस पर बात करना टाला। लेकिन इससे चीन की विश्‍वासार्हता अधिक ही ख़तरे में पड़ी है। इससे पहले भी चीन ने इस प्रकार की हरकतें करके, चीन के साथ सहयोग करनेवाले देशों का विश्वासघात किया होने के उदाहरण सामने आए हैं।

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