म्यानमार स्थित आतंकवादी संगठनों को चीन की सहायता – म्यानमार के लष्करप्रमुख का आरोप

मॉस्को/नेप्यितौ – म्यानमार के उत्तरी प्रांत में सक्रिय होनेवाले आतंकवादी संगठनों को चीन से सहायता मिल रही है, ऐसा आरोप म्यानमार के लष्करप्रमुख ने खुलेआम किया है। एक रशियन वृत्तवाहिनी को हाल ही में दिए इंटरव्यू में यह आरोप करते समय, म्यानमार में चल रहीं आतंकी हरकतों को ख़त्म करने के लिए आंतर्राष्ट्रीय समुदाय सहायता करें, ऐसा आवाहन भी लष्करप्रमुख जनरल मिन आँग हलँग ने किया। कोरोना के साथ ही, चीन की वर्चस्ववादी हरकतों के विरोध में भी आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचंड ग़ुस्सा होकर, छोटे देशों ने भी चीन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की शुरुआत की है। चीन का ठेंठ नामोल्लेख ना करते हुए जनरल हलँग ने किये ये आरोप आंतर्राष्ट्रीय माध्यमों का ग़ौर फ़रमा रहे हैं।

Myanmar-Chinaम्यानमार के लष्करप्रमुख जनरल मिन आँग हलँग ने हाल ही में रशियन वृत्तवाहिनी ‘झ्वेझ्दा’ से बातचीत की। इस बातचीत के दौरान उन्होंने म्यानमार के ‘आराकान आर्मी’ तथा ‘आराकान रोहिंग्या सॅल्व्हेशन आर्मी’ इन दोनों आतंकवादी संगठनों को चीन से बड़े पैमाने पर सहायता की आपूर्ति की जा रही होने का आरोप किया। देश में सक्रिय होनेवाले आतंकी संगठनों को प्रबल विदेशी ताक़तें सहायता की आपूर्ति कर रहीं होने के कारण, अकेला म्यानमार इन आतंकी संगठनों को परास्त नहीं कर सकता, ऐसा जनरल मिन आँग हलँग ने कहा।

म्यानमार के लष्करप्रमुख ने हालाँकि ठेंठ नाम लेकर किसी भी देश का उल्लेख नहीं किया, फिर भी लष्कर ने की कार्रवाई में आतंकियों के पास से चिनी हथियार बरामद हुए होने की जानकारी देकर, इसके पीछे चीन ही होने के स्पष्ट संकेत दिए। कुछ महीने पहले एक जापानी अख़बार को दिए इंटरव्यू में भी, जनरल हलँग ने म्यानमार स्थित आतंकीवादी तथा विद्रोही संगठनों को चीन द्वारा हथियारों की सप्लाई की जा रही होने का आरोप किया था।

Myanmar-Armyम्यानमार के लष्करी अधिकारियों और सूत्रों द्वारा भी चीन की हरक़तों की पुष्टि की गयी है। हिंद महासागर क्षेत्र में वर्चस्व प्राप्त करने के लिए, साथ ही भारत पर दबाव डालने के लिए चीन ने दक्षिण एशियाई देशों में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। चीन ने अपने महत्त्वाकांक्षी ‘बेल्ट अँड रोड इनिशिएटिव्ह’ के तहत म्यानमार में भी अरबों डॉलर्स का निवेश किया है। उसमें इस देश की खदान, ऊर्जा, परिवहन तथा बंदरगाह क्षेत्रों की परियोजनाओं का समावेश है। इन परियोजनाओं समेत अन्य उद्दिष्ट पूर्ण करने के लिए म्यानमार पर दबाव डालने की कोशिशें जारी होकर, उसके लिए चीन आतंकी संगठनों का इस्तेमाल कर रहा है, ऐसा दावा लष्करी अधिकारियों द्वारा किया गया।

Myanmar-Terrorचीन के इस दबाव को प्रत्युत्तर देने के लिए म्यानमार ने भारत के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए कदम उठाये हैं। पिछले साल म्यानमार के लष्करप्रमुख जनरल मिन आँग हलँग ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल से मुलाक़ात की थी। इस मुलाक़ात के दौरान, आतंकवादविरोधी कार्रवाई तथा रक्षासहयोग इन मुद्दों पर चर्चा हुई थी। पिछले हफ़्ते रशिया में एक कार्यक्रम के दौरान, म्यानमार के लष्करप्रमुख ने भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंग से स्वतंत्र मुलाक़ात कर चर्चा की होने की बात भी सामने आयी है। म्यानमार ने अपनी पहली पनडुब्बी भारत से ली है, इसपर भी सूत्रों ने ग़ौर फ़रमाया।

इस पृष्ठभूमि पर, म्यानमार के लष्करप्रमुख ने देश में चल रहीं आतंकी हरक़तों के पीछे चीन होने का आरोप करना ग़ौरतलब साबित हो रहा है। यह आरोप, म्यानमार जैसे देश भी आनेवाले समय में चीन की वर्चस्ववादी हरक़तों को चुनौती दे सकते हैं, इसके संकेत देनेवाला साबित हो रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.