चीन की ईंधन कंपनियों का म्यांमार की भूमि पर कब्ज़ा

यांगून – म्यांमार में ईंधन पाइपलाइन लगा रहे चीन की कंपनियों ने इस देश की भूमि पर अवैध कब्ज़ा किया है| म्यांमार की स्थानीय संगठन ने अपनी रपट के ज़रिये जुंटा हुकूमत का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है| रशिया-यूक्रैन में छिडे संघर्ष का लाभ उठाकर चीन हमारे देश में घुसपैठ कर सकता है, ऐसी आशंका अब चीन के समर्थन पर सत्ता हथियाने वाली म्यांमार की सैन्य हुकूमत को भी हो रही है| इस पृष्ठभूमि पर म्यांमार की सेना ने शीघ्रता से बैठक का आयोजन किया है|

china-myanmar-fuel-companies‘चायना नैशनल पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन’ (सीएनपीसी) और ‘साऊथ ईस्ट एशिया ऑईल पाईपलाईन को लिमिटेड’ (एसईएओपी) एवं ‘साऊथ ईस्ट एशिया गैस पाईपलाईन को लिमिटेड’ (एसईएजीपी) इन चीनी कंपनियों ने म्यांमार में इस पाईपलाईन का काम किया है| इसके लिए चीनी कंपनियों ने म्यांमार में ढ़ाई अरब डॉलर्स का निवेश किया है| ‘म्यांमार-चायना ऑईल ऍण्ड गैस पाईपलाईन’ नामक इस प्रकल्प के माध्यम से चीन को ईंधन और नैसर्गिक वायु की आपूर्ति होती है|

म्यांमार के राखीन प्रांत से शुरू हो रही यह पाईपलाईन चीन पड़ोस के नाम खाम तक पहुँची है| ७९३ किलोमीटर लंबी यह चीनी पाईपलाईन म्यांमार को दो हिस्सों में विभाजन करती है, ऐसी आलोचना ‘म्यांमार-चायना पाईपलाईन वॉच कमिटी’ (एमसीपीडब्ल्यूसी) संगठन ने की| ‘एमसीपीडब्ल्यूसी’ संगठन ने लगभग सौ गावों में सर्वेक्षण करके एक रपट तैयार की है|

चीनी कंपनियों ने सीधे म्यांमार के किसानों से समझौते करके उनकी ज़मीन पर कब्ज़ा करने की जानकारी इस रपट में साझा की गई है| इसके लिए चीनी कंपनियों ने म्यांमार के सभी नियमों को अनदेखा किया है, ऐसे आरोप इस संगठन ने लगाए हैं| इस समझौते के माध्यम से चीनी कंपनियों ने किसान एवं म्यांमार की जुंटा हुकूमत को ठगा है, यह आरोप भी इस संगठन की रपट में लगाया गया है| जुंटा हुकूमत एवं म्यांमार के किसानों को यह ठगने का मामला होने की आलोचना इस रपट में है|

म्यांमार की जुंटा हुकूमत ने भी इसका गंभीर संज्ञान लिया हुआ दिख रहा है| चीन की यह पाईपलाईन म्यांमार को दो हिस्सों में बांटती है, यह चिंता जुंटा हुकूमत के कुछ अधिकारियों को सता रही है| फिलहाल रशिया-यूक्रैन संघर्ष जारी है| इस वजह से पूरे विश्‍व का ध्यान इसी संघर्ष की ओर लगा है| इसका लाभ उटाकर चीन म्यांमार की भूमि पर कब्ज़ा कर सकता है, ऐसी आशंका जुंटा हुकूमत को भी सताने लगी है, यह बात ध्यान आकर्षित कर रही है| फिर भी चीन के खिलाफ कार्यवाही करने का साहस यह सैन्य हुकूमत दिखाएगी इसकी संभावना ज्यादा नहीं है| क्योंकि, म्यांमार की लोकनियुक्त सरकार का तख्ता पलटने के लिए चीन ने ही म्यांमार की सेना को पूरी सहायता प्रदान की थी|

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