चीन की परमाणु पनडुब्बी हुई दुर्घटना का शिकार – ५५ सैनिकों की मौत होने का ब्रिटिश माध्यमों का दावा

लंदन – अमरीका और ब्रिटेन के युद्धपोतों के विरोध में लगाए जाल में चीन की पनडुब्बी ही फंसी। ‘यलो सी’ के क्षेत्र में चीन की परमाणु पनडुब्बी दुर्घटना का शिकार हुई और इसमें मौजूद ५५ सैनिकों की मौत हुई है। इस दुर्घटना में पनडुब्बी का नेतृत्व कर रहे कर्नल पद के वरिष्ठ अधिकारी की भी मौत होने की खबर ब्रिटिश माध्यमों ने गुप्तचर यंत्रणा के दाखिले से दी है। कुछ हफ्ते पहले ताइवान के माध्यमों ने भी इस दुर्घटना की जानकारी प्रसिद्ध करके सनसनी फैलाई थी। लेकिन, चीन ने इससे नकार दिया था।

चीन की परमाणु पनडुब्बीसाउथ चाइना सी एवं ताइवान की खाड़ी में सफर कर रहे अमरीका एवं मित्र देशों के युद्धपोतों के लिए चीन ने समुद्री जाल लगाया था। इन युद्धपोतों को फंसाने के लिए चीन ने कई जगहों पर जाल बिछाए हैं। २१ अगस्त के दिन यलो सी में लगाए अपने ही एक जाल में चीन के ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी नेव्ही’ के बेड़े में मौजूद शैंग वर्ग की ‘टाईप ०९३-४१७’ पनडुब्बी एँकर और चेन के लगे जाल में फंसी। इससे पनडुब्बी में बड़ी समस्या निर्माण हुई। इससे पनडुब्बी को सतह पर लागने के लिए छह घंटे देरी हुई।

बिल्कुल इसी दौरान पनडुब्बी की अन्य यंत्रणा में बिगाड़ हुआ और ऑक्सिजन की सप्लाई बाधित हुई, यह जानकारी ब्रिटिश गुप्तचर यंत्रणा के अधिकारी ने स्थानिय माध्यमों से साझा की। पनडुब्बी में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने के कारण ५५ जवानों की ‘हाइपोक्सिया’ का शिकार होने से मौत हुई। इनमें पनडुब्बी का नेतृत्व कर रहे कर्नल शू याँग-पेंग के साथ २१ अधिकारी, १६ कनिष्ठ अधिकारी और १७ नौसैनिकों का समावेश हैं।

शैन्दाँग प्रांत के करीब एवं शांघाय शहर के उत्तरी ओर यह दुर्घटना होने का ब्रिटिश माध्यमों का दावा है। इस दुर्घटना की जानकारी दुनिया में सार्वजनिक ना हो, इसके लिए चीन ने बड़ी गुप्तता रखी थी। फिर भी पिछले महीने से चीन के सोशल मीडिया पर इससे जुड़ी जानकारी सामने आती रही। इस दुर्घटना का शिकार हुए सैनिकों के परिवार जनों ने इस खबर को लेकर पुछना शुरू करने से इस दुर्घटना को छुपाकर रखना चीन के लिए कठिन हुआ था। लेकिन, अब ब्रिटिश माध्यमों ने अपनी गुप्तचर यंत्रणा के खुफिया रपट का दाखिला देकर यह खबर प्रसिद्ध की है। लेकिन, चीन ने अब फिर से इस खबर को ठुकराया है।

यलो सी में हादसे का शिकार हुई चीन के इस पनडुब्बी का भार ६,०९६ टन बताया जा रहा हैं। चीन के ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी नेव्ही’ की सेवा में पिछले दशक से मौजूद यह परमाणु पनडुब्बी ‘५५३ एमएम’ विध्वंसक विरोधी टोर्पेडो से लैस थी। यह परमाणु पनडुब्बी होने के बावजूद काफी आवाज़ करती थी, ऐसे दावे विश्लेषकों ने किए थे। इस वजह से चीन की परमाणु पनडुब्बी भी उन्नत देशों के नौसैनिक बेड़े का हिस्सा होने वाले डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी के समान थी, ऐसी आलोचना सैन्य विश्लेषकों ने की थी।

पनडुब्बी इस तरह की दुर्घटना का शिकार होने पर या इसमें ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित हुई तो कार्बन डाय ऑक्साईड खींच लेने की प्रगत तकनीक उन्नत पनडुब्बियों में होती हैं। इससे कुछ अधिक समय तक पनडुब्बी में ऑक्सीजन की मात्रा बनी रहती हैं, ऐसा दावा ब्रिटिश अधिकारी कर रहे हैं। लेकिन, चीन की परमाणु पनडुब्बी में ऐसी तकनीक की कमी थी, इसपर यह अधिकारी आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं।

चीन अपनी नौसेना का सामर्थ्य तेज़ी से बढ़ा रहा हैं। चीन के बेड़े में युद्धपोत, विध्वंसक और पनडुब्बियों की संख्या प्र्रचंड़ मात्रा में बढ़ाई जा रही हैं। इसके बावजूद चीन की नौसेना उन्नत क्षमता नहीं रखती, यह बात लगातार साबित हुई थी। इस पनडुब्बी की दुर्घटना ने चीनी नौसेना की क्षमता और व्यावसायिकता को लेकर नए सवाल खड़े किए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.