चीन से कर्ज़ पानेवाले देशों को इसके लंबे परिणाम भुगतने पडेंगे – अमरिकी कोषागार विभाग की चेतावनी

चीन से कर्ज़वॉशिंग्टन – वैश्विक बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और पैरिस क्लब इन तीनों बड़ी वित्तसंस्थाओं ने अब तक गरीब और विकसनशील देशों को दिए नहीं होंगे, इतना कर्ज़ा अकेले चीन ने इन देशों को प्रदान किया है। लेकिन, परंपरागत व्यवस्था से बाहर जाकर चीन ने दिया कर्ज़ा इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं का भार अधिक बढ़ाए बिना नहीं रहेगा। इसके परिणाम काफी लंबे समय तक इन देशों को भुगतने पडेंगे’, ऐसी चेतावनी अमरिकी कोषागार विभाग की मंत्री जेनेट येलेन ने दी।

चीन से कर्ज़ा पानेवाले श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल एवं अफ्रीकी देशों की अर्थव्यवस्था संभलने की स्थिति में नहीं है। कर्ज़ के बदले में इन देशों ने चीन के साथ किए समझौते भी चिंता का विषय बन रहे हैं। चीन गरीब और विकसनशील देशों को अपने कर्ज़े के फंदे में फंसा रहा है, ऐसी आलोचना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। इस पृष्ठभूमि पर ‘पीटरसन इन्स्टीट्यूट फॉर इंटरनैशनल इकोनॉमिक्स’ द्वारा आयोजित समारोह में बोलते हुए अमरिकी कोषागार विभाग की प्रमुख जेनेट येलेन ने चीन की कर्ज़पद्धति को निशाना बनाया।

‘परंपरागत व्यवस्था के बाहर जाकर चीन ने गरीब और विकसनशील देशों को प्रदान किया कर्ज़ संबंधित देशों की अर्थव्यवस्था का भार बढ़ाएगा। विश्व के सबसे बड़ा कर्ज़दार चीन समय के चलते इन देशों को अपने कर्ज़पद्धति से रिहा करे। वरना इन देशों को इसके परिणाम काफी लंबे समय तक भुगतने पड़ सकते हैं, ऐसा इशारा येलेन ने दिया। चीन ने गरीब और विकसनशील देशों को ५०० अरब से एक ट्रिलियन डॉलर्स तक कर्ज़ प्रदान करने का दावा किया जा रहा है।

चीन से कर्ज़ प्राप्त करनेवाले अधिकांश देशों की अर्थव्यवस्था कोरोना के दौर में ही कमज़ोर पड गई। पिछले छह महीनों से चल रहे रशिया-यूक्रेन युद्ध के कारण निर्माण हुई अनाज और ईंधन की किल्लत इन देशों की आर्थिक मुश्किलें बढ़ा रही है। अब तक विश्व पर आर्थिक संकट टूटा नहीं है। लेकिन, स्थानीय स्तर की असुरक्षा संबंधित देशों की अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक साबित हो सकती है, ऐसी चेतावनी येलेन के सलाहकार ब्रेंट नेमन ने दी।

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