लगातार दो दिनों की गिरावट के बाद कच्चे तेल की कीमत १०० डॉलर्स के नीचे

वॉशिंग्टन – वैश्विक मंदी का ड़र और कोरोना संक्रमण में बढ़ोतरी की पृष्ठभूमि पर कच्चे तेल की कीमतें दो दिनों में कुल १० प्रतिशत कम हुई हैं। इस गिरावट के कारण कच्चे तेल की कीमत प्रतिबैरल १०० डॉलर्स से कम हुई हैं। फ़रवरी के अन्त में रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पहली बार कच्चे तेल की कीमत १०० डॉलर्स से कम हुई हैं। अमरीका और यूरोप समेत प्रगत देशों को मंदी का झटका लगने पर कच्चे तेल की कीमत इस साल के अंत तक प्रतिबैरल ६५ डॉलर्स से भी कम हो सकती हैं, ऐसा अनुमान ‘सिटीग्रूप’ नामक शीर्ष वित्तसंस्था ने व्यक्त किया है।

कच्चे तेल की कीमतफ़रवरी में रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू छिडने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी उछाल आया था। पश्चिमी देशों ने रशिया पर प्रतिबंध लगाने से रशिया के कच्चे तेल के निर्यात पर असर पड़ा था। इस लिए मार्च में कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल १२८ डॉलर्स तक उछली थी। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का हमला जारी रहने के बाद रशिया ने कच्चे तेल का उत्पादन और निर्यात कम करने का इशारा दिया था। रशिया ने यह निर्णय किया तो कच्चे तेल की कीमत कुल ३८० डॉलर्स प्रति बैरल तक बढेगी, ऐसी चेतावनी शीर्ष वित्तसंस्था ‘जे.पी.मॉर्गन चेस’ ने हाल ही में दी थी।

लेकिन, पिछले कुछ दिनों में पश्चिमी देशों समेत शीर्ष देशों में मंदी के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। विक्रमी स्तर की महंगाई और इसे रोकने के प्रावधानों की वजह से प्रगत देशों के अलावा उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को भी मंदी से नुकसान पहुँचेगा, ऐसा ड़र अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, वर्ल्ड बैंक समेत कई वित्तसंस्थाएं एवं आर्थिक विशेषज्ञ व्यक्त कर रहे हैं। साथ ही चीन, जापान, दक्षिण कोरिया समेत पश्चिमी देशों में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, इस ओर वैश्विक स्वास्थ्य संगठन ने ध्यान आकर्षित किया है। इस पृष्ठभूमि पर कच्चे तेल की माँग कम हो रही है और इसका असर इसकी कीमत पर पड़ा है।

मंगलवार और बुधवार, लगातार दोनों दिन कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ‘ब्रेंट क्रूड’ की कीमत गुरुवार को प्रतिबैरल ९७.३१ डॉलर्स तक नीचे गिरी। अमरीका में इसी दौरान ‘डब्ल्यूटीआई क्रूड’ की कीमत ९३.७० डॉलर्स तक गिरी। मार्च के बाद यह न्यूनतम स्तर बना है। पश्चिमी देशों को मंदी ने नुकसान पहुँचाने पर यह गिरावट जारी रहने के संकेत शीर्ष वित्तसंस्था ने दिए हैं। सिटीग्रूप’ की रपट के अनुसार साल २०२२ के अन्त में ईंधन की कीमत प्रति बैरल ६५ डॉलर्स और अगले साल ४५ डॉलर्स तक गिर सकती है।

इसी बीच, कच्चे तेल की कीमतों की इस गिरावट के दौरान रशिया को ईंधन बिक्री से प्राप्त हो रहे आय में बढ़ोतरी होने का बयान ‘इंटरनैशनल एनर्जी एजेन्सी’ (आईईए) ने किया है। जून में रशिया को ईंधन बिक्री से २० अरब डॉलर्स से अधिक महसूल प्राप्त होने की बात ‘इंटरनैशनल एनेर्जी एजेन्सी’ ने कही। मई की तुलना में रशिया के उत्पन्न में ७० करोड़ डॉलर्स की बढ़ोतरी होने की बात ‘आईईए’ ने स्पष्ट की।

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