वायु सेना के लिए ५६ ‘सी-२९५ एमडब्ल्यू’ विमानों की खरीद के लिए रक्षा मंत्रालय ने किया ‘एअरबस’ के साथ समझौता

नई दिल्ली – यातायात के लिए उपयोगी प्रगत ‘सी-२९५ एमडब्ल्यू’ विमान खरीदने के लिए रक्षा मंत्रालय और ‘एअरबस’ के बीच २० हज़ार करोड़ रुपयों का समझौता हुआ है। इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल की रक्षा संबंधी समिती ने ५६ ‘सी-२९५ एमडब्ल्यू’ विमान खरीदने के लिए समझौते को मंजूरी प्रदान की थी। इसके पश्चात मात्र दो हफ्तों में यह समझौता किया गया है। इन ५६ में से १६ विमान सीधे स्पेन से ‘फ्लाय वे’ स्थिति में अगले दो वर्षों के दौरान भारत को प्राप्त होंगे। इनके अलावा अन्य विमानों का निर्माण भारत में ही होगा। गुरूवार के दिन ही रक्षा मंत्रालय ने थलसेना के लिए ११ ‘अर्जुन मार्क १ ए’ टैंक खरीदने का ‘ऑर्डर’ ‘ऑर्डनन्स फैक्टरी’ को प्रदान किया था।

c295-MW-plane-1भारतीय वायु सेना के बेड़े में ‘सी १३०’, ‘एएन ३२’ और ‘एवरो-७३८’ जैसे भारी सामान की यातायात की क्षमता वाले विमानों का समावेश है। सैनिकों का परिवहन एवं लष्करी सामान और भंड़ार की आपूर्ति के लिए इन विमानों का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन, ‘एव्हरो-७३८’ विमान अब पुराने हुए हैं और उनके स्थान पर धीरे धीरे ‘सी २९५ एमडब्ल्यू’ विमानों की तैनाती होगी। यह विमान ५ से १० टन भार उठा सकते हैं। ७१ सैनिक या ५० पैराकमांड़ों के साथ अन्य ज़रूरी सामान का इस विमान के ज़रिये परिवहन करना मुमकिन होगा। यह लड़ाकू विमान छोटी और कच्चे रनवे से भी उड़ान भर सकते हैं। इस वजह से यह विमान आगे के दिनों में लष्करी परिवहन एवं सामान की आपूर्ति करने के लिए अहम भूमिका निभा सकते हैं। खास तौर पर उत्तरी, ईशान्य क्षेत्र के साथ अंड़मान निकोबार जैसें द्विपों इन विमानों की बड़ी सहायता हो सकती हैं, यह जानकारी रक्षा मंत्रालय ने प्रदान की है।

c295-MW-plane-2भारत में निर्माण होनेवाले इन ४० विमानों का निर्माण टाटा कंपनी करेगी। इसके लिए टाटा कन्सोर्टियम और एअरबस ने पहले ही समझौता कर लिया है। टाटा कंपनी को एअरबस के विमानों के रखरखाव का कान्ट्रैक्ट पहले ही प्राप्त हुआ है। इसलिए नए प्रकल्प का निर्माण करने की आवश्‍यकता नहीं रहेगी। शुक्रवार के दिन रक्षा मंत्रालय और एअरबस के बीच हुए इस समझौते के अलावा मेसर्स एअरबस डिफेन्स ऐण्ड स्पेस के साथ एक ऑफसेट समझौता भी होने की जानकारी संबंधित अधिकारी ने प्रदान की है। इसके अनुसार एअरबस कंपनी को समझौते के हिस्सा वाली भारतीय कंपनियों से आवश्‍यक उत्पादन एवं सेवा खरीदना आवश्‍यक होगा। इस वजह से विमानों के पुर्जे बनानेवाली ‘एमएसएमई’ कंपनियों को भी इससे लाभ प्राप्त होगा। इस प्रकल्प के तहत हैंगर्स, बिल्डिंग, अप्रोन और टैक्सी-वे जैसी विशेष बुनियादी सुविधाओं का भी निर्माण किया जाएगा, ऐसा रक्षा मंत्रालय ने कहा है।

इसी बीच इन ५६ विमानों में भारतीय इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेअर सूट लगाए जाएँगे। सभी विमान भारत को हस्तांतरित होने के बाद भारत में विमान उत्पादकों द्वारा तैयार किए हुए विमान, भारत सरकार द्वारा मंजूरी प्रदान किए हुए देशों को भी निर्यात करना मुमकिन होगा। यानी कि टाटा कंपनी यहां पर इन विमानों का निर्माण करेगी और इन्हें निर्यात भी कर सकेगी। इस वजह से देश के रक्षा सामान की निर्यात को अधिक बढ़ावा मिलेगा। देश का एअरोस्पेस इकोसिस्टम अधिक मज़बूत होगी, यह दावा किया जा रहा है।

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