लोकतांत्रिक देश क्रिप्टोकरन्सी गलत हाथों में पड़ने ना दें – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आवाहन

नवी दिल्ली – डिजिटल युग सभी क्षेत्रों में बदलाव कर रहा है| राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्र की संप्रभुता, शासन व्यवस्था, नैतिकता, अधिकार और सुरक्षा से संबंधित नए सवाल इस डिजिटल क्रांती की वजह से खड़े हुए हैं| तकनीक की विशाल ताकत विधायक कार्य के लिए ही इस्तेमाल हो, इस पर जोर देते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विषय को लेकर लोकतांत्रिक देशों से आवाहन किया| क्रिप्टोकरन्सी या बिटकॉईन गलत हाथों में जाना नहीं चाहिये, यह सभी लोकतांत्रिक देशों को ध्यान देने की जरुरत है, यह संदेश प्रधानमंत्री मोदी ने ‘सिडनी डायलॉग’ नामक परिषद को संबोधित करते समय दिया|

क्रिप्टोकरन्सीअपने युवा वर्ग को गलत रास्ते पर जाने से रोकने के लिए सभी लोकतांत्रिक देशों ने क्रिप्टोकरन्सी या बिटकॉईन गलत हाथों में ना जाए, इसके लिए एकजुट होकर काम करना बड़ा ज़रूरी होगा, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा| इस मोर्चे पर अधिक सावधानी की आवश्यकता है और तकनीक के अलग अलग मोर्चों पर भारत न्याय, विधायक और नैतिकता के दायरे में रहकर प्रगति कर रहा है, इसका दाखिला प्रधानमंत्री ने इस दौरान दिया| वर्तमान दौर में दो देशों की स्पर्धा में तकनीक और डाटा का हथियार की तरह इस्तेमाल हो सकता है| पारदर्शिता ही लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है| लेकिन, मुठ्ठीभर लोगों के स्वार्थ के लिए इस पारदर्शिता का गलत इस्तेमाल किया जा सकता है और यह बात कभी भी बर्दाश्त नहीं की जा सकती, यह बयान भारत के प्रधानमंत्री ने ड़टकर किया|

इसके साथ ही भारत में शुरू हुई डिजिटल क्रांती का प्रधानमंत्री ने बड़े गर्व से ज़िक्र किया| १३० करोड़ जनसंख्या के भारत में सबको डिजिटल पहचान प्राप्त है| भारत के छह लाख गांव ब्रौडबैण्ड से जोड़े जा रहे हैं| भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल करनेवालों की संख्या ८० करोड़ है और देश में ७५ करोड़ स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल हो रहा है| प्रति व्यक्ति सबसे अधिक डाटा का इस्तेमाल और सबसे सस्ता डाटा उपलब्ध कराने जैसे दोनों मुद्दों पर भारत सबसे आगे है| भारत की ‘युनिफाईड पेमेंटस् इंटरफेस’ यानी ‘यूपीआय’ का प्रचंड़ मात्रा में इस्तेमाल हो रहा है, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री ने इस पर संतोष व्यक्त किया|

५ जी और ६ जी जैसे टेलिकॉम क्षेत्र की तकनीक को लेकर आत्मनिर्भर होने के लिए भारत बड़ी मात्रा में निवेश कर रहा है| आर्टिफिशल इंटेलिजन्स, मशीन लर्निंग के क्षेत्र में भी भारत नैतिकता के दायरे में रहकर प्रगति कर रहा है| ऐसे ऐतिहासिक समय में हमें सबके सामने सहयोग या संघर्ष, चयन की आज़ादी या जोर-जबरदस्ती, विकास या वर्चस्ववाद, अवसर या दबावनीति में से कौनसे विकल्प का चयन करना है, यह हमें तय करना होगा, यह संदेश प्रधानमंत्री मोदी ने दिया| सिडनी डायलॉग के अवसर पर भारत का ऑस्ट्रेलिया के साथ सहयोग का ज़िक्र करके प्रधानमंत्री मोदी ने यह विश्‍वास व्यक्त किया कि, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया भारत का अहम भागीदार देश है और दोनों देश अपनी ज़िम्मेदारी निश्चितरूप से संभालेंगे|

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