हिंद महासागर क्षेत्र के पास चीन की ड्रोन पनडुब्बियों की तैनाती

नई दिल्ली/बीजिंग – लद्दाख की एलएसी पर बना तनाव कम करने के लिए भारत-चीन के बीच चर्चा का नौंवाँ सत्र जल्द ही शुरू होगा। इस मामले में दोनों देशों की चर्चा जारी होने की जानकारी चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने दी। इस संदर्भ में ख़बर आ रही थी कि तभी चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र के पास ड्रोन पनडुब्बियाँ तैनात करके, यहाँ की जितनी संभव हो उतनी ख़ुफ़िया जानकारी हासिल करने की तैयारी दिख रही है। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की गतिविधियों पर भारत नज़र रखे हुए है, ऐसा कुछ हफ़्तें पहले रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने कहा था।

हिंद महासागर क्षेत्र

इंडोनेशिया के एक मच्छिमार ने अपने सागरी क्षेत्र में चीन के ‘युयुव्ही-अनमॅन्ड अंडरवॉटर व्हिकल’ के फोटोग्राफ्स खींचे थे। यह चीन की मानवरहित पनडुब्बी है, ऐसा शक़ ज़ाहिर किया जाता है। यह ड्रोन पनडुब्बी का प्रकार होकर, चीन ने विकसित किये ‘सी किंग’ सागरी ड्रोन्स का भाग होगा, ऐसी भी चर्चा शुरू हुई है।

चीन ने इसकी तैनाती हिंद महासागर क्षेत्र में की है। सागरी क्षेत्र की जानकारी का संकलन करने के लिए और संशोधन के लिए यह तैनाती होने के दावे चीन द्वारा किये जाते हैं। लेकिन वास्तव में इसके ज़रिये चीन उसे सामरिक दृष्टि से आवश्यक होनेवाली जानकारी हासिल कर रहा है, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है।

ख़ासकर अपनी पनडुब्बी का इस्तेमाल करने से पहले उस क्षेत्र की सारी आवश्यक जानकारी हासिल करने के लिए चीन इस ड्रोन पनडुब्बी का इस्तेमाल करता होगा, ऐसा गहरा शक़ ज़ाहिर किया जा रहा है। इस मामले में जारी हुईं ख़बरें यही दर्शा रहीं हैं कि चीन भारत के साथ भाईचारा स्थापित करने के लिए गंभीर नहीं है। भारत के साथ की एलएसी पर बड़े पैमाने पर लष्करी तैनाती करके भी, चीन भारत पर दबाव डालने में पूरी तरह असफल रहा है। उल्टे इस क्षेत्र में भारत की स्थिति चीन की तुलना में बहुत ही मज़बूत है, ऐसा दुनियाभर के सामरिक विश्‍लेषकों का कहना है। इसी कारण, भारत के सागरी क्षेत्र के नज़दीक गतिविधियाँ बढ़ाकर चीन भारत पर हावी होने की कोशिश में है, ऐसा इससे सामने आ रहा है।

आज तक चीन भारत पर दबाव डालने के लिए एलएसी पर घुसपैंठ की कोशिशें करता आया है। इसमें भारत को उलझा रखने की योजना चीन ने बनाई थी। लेकिन वास्तव में, चीन की असली महत्त्वाकांक्षा हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के वर्चस्व को चुनौती देना यही है। यह क्षेत्र अपने वर्चस्व में हों, यह चीन का हेतु होकर, इसके ज़रिये चीन अपने सामरिक लक्ष्य पूरी कर सकता है, इसपर विश्‍लेषक ग़ौर फ़रमा रहे हैं। लेकिन भारतीय नौसेना के पास चीन को टक्कर देने की क्षमता है और इस क्षेत्र में अपनीं हरक़तें भारत हरगिज़ बर्दाश्त नहीं करेगा, इसका भी चीन को भली-भाँति एहसास है।

इसीलिए चीन सागरी संशोधन की मुहिम अथवा समुद्री तस्करी के खिलाफ़ मुहिम, ऐसे बहाने बनाकर हिंद महासागर क्षेत्र की अपनीं हरक़तें बढ़ा रहा है। भारत ने चीन की इन हरक़तों की गंभीर दखल ली है। कुछ हफ़्ते पहले भारत के रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने, हिंद महासागर क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करने के लिए प्रमुख देशों में होड़ लगी है, ऐसा सूचक बयान किया था। साथ ही, भारत इस सागरी क्षेत्र में होनेवाले अपने हितसंबंधों की रक्षा के लिए चौकन्ना है, ऐसा भी जनरल रावत ने आगे कहा था। उसके भी आगे जाकर नौदलप्रमुख ऍडमिरल करमबिर सिंग ने, चीन का सामना करने के लिए भारतीय नौसेना सुसज्जित है, ऐसा घोषित किया था।

सागरी क्षेत्र में भारत की सुरक्षा के लिए होनेवालीं चुनौतियों का पूरी तरह अन्दाज़ा भारतीय नौसेना को है और उनका मुक़ाबला करने की संपूर्ण सिद्धता भारतीय नौसेना ने की है, ऐसा ऍडमिरल करमबिर सिंग ने महीनेभर पहले माध्यमों से बातचीत करते हुए स्पष्ट किया था। इससे ये संकेत मिले थे कि हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के इन ख़ुराफ़ातों का एहसास भारतीय नौसेना को बहुत पहले से हुआ है।

चीन ऐसीं ख़ुराफ़ातें कर रहा है कि तभी भारतीय नौसेना अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलियन नौसेनाओं के साथ संयुक्त युद्धअभ्यास में शामिल हुई थी। यह चीन के लिए चिन्ता में बढ़ोतरी करनेवाली बात साबित हुई थी। उसी समय साऊथ चायना सी क्षेत्र में वियतनाम की नौसेना के साथ भारतीय नौसेना का युद्धअभ्यास यह चीन के लिए चेतावनी की घंटी मानी जाती है।

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