बीजिंग परिषद की पृष्ठभूमि पर यूरोपिय महासंघ और चीन के मतभेद सामने आए – संयुक्त निवेदन के बजाय स्वतंत्र वार्ता परिषदों का हुआ आयोजन

ब्रुसेल्स/बीजिंग – चीन की राजधानी बीजिंग में आयोजित ‘ईयू-चाइना समिट’ की पृष्ठभूमि पर यूरोपिय महासंघ और चीन के मतभेद सामने आए हैं। बुधवार को इस परिषद के उद्घाटन के अवसर पर महासंघ के प्रमुख ने चीन को दो टुक सुनाई थी। वहीं, चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने यह इशारा दिया था कि, यूरोप चीन के साथ विवाद खड़ा न करें। यह परिषद खत्म होने के बाद दोनों पक्षों ने स्वतंत्र वार्ता परिषद आयोजित करके मतभेद तीव्र होने के संकेत दिए हैं।

बीजिंग परिषद की पृष्ठभूमि पर यूरोपिय महासंघ और चीन के मतभेद सामने आए - संयुक्त निवेदन के बजाय स्वतंत्र वार्ता परिषदों का हुआ आयोजनपिछले कुछ सालों से कोरोना की महामारी, साउथ चाइना सी में शुरू गतिविधियां, हाँगकाँग की हो रही घटनाएं, उइगरवंशियों के अत्याचार और नए कानून के मुद्दे पर चीन और यूरोपिय महासंघ के बीच लगातार विवाद होता दिखाई दिया था। यूरोपिय महासंघ ने इन मुद्दों पर अपनी नाराज़गी जताकर प्रतिबंध लगाने का कदम भी उठाया था। चीन से हो रही भारी आयात एवं निवेश रोकने के लिए महासंघ ने आक्रामक निर्णय करने के संकेत दिए थे। इस वजह से यूरोपिय बाजार में चीन के प्रभाव को नुकसान पहुंचना शुरू हुआ था। दूसरी ओर चीन ेन अपने बाजार में यूरोपिय कंपनियों के लिए मुक्त माहौल देने से इनकार किया था।

बीजिंग परिषद की पृष्ठभूमि पर यूरोपिय महासंघ और चीन के मतभेद सामने आए - संयुक्त निवेदन के बजाय स्वतंत्र वार्ता परिषदों का हुआ आयोजनइसके मद्देनज़र बुधवार की परिषद में तनाव दूर करने के लिए कदम उठाए जाएंगे, ऐसे दावे विश्लेषकों ने किए थे। लेकिन, वास्तव में दोनों के बीच मतभेद कायम रहने की बात स्पष्ट हुई है। यूरोपिय महासंघ की वरिष्ठ नेता उर्सुला वैन डेर लेयेन और चार्ल्स माइकल ने राजधानी बीजिंग में अपने दफ्तर में वार्ता परिषद का आयोजन करके अपनी भूमिका स्पष्ट की। वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी वैंग लुटाँग ने अपने विभाग के दफ्तर में पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए।

व्यापार में बना असंतुलन, सबसिडी, यूक्रेन, ताइवान और मानव अधिकारों के मुद्दों पर दोनों पक्षों ने अपनी अपनी भूमिका का समर्थन करके दूसरे पर सभी आरोप थोपने की कोशिश की। चीन से हो रही भारी आयात को लक्ष्य करते हुए यूरोपियन कंपनियों को खुला बाजार उपलब्ध कराने का वचन चीन ने निभाया नहीं है, ऐसा आरोप महासंघ ने लगाया। साथ ही चीन को लेकर अपनाई ‘डि-रिस्किंग’ नीति का महासंघ ने समर्थन किया। ताइवान के मुद्दे पर ‘जैसे थे’ स्थिति बनाए रखने की मांग कर रहे महासंघ ने यूक्रेन के मुद्दे पर रशिया कोसहायता करना चीन बंद करें, ऐसी भूमिका रखी।बीजिंग परिषद की पृष्ठभूमि पर यूरोपिय महासंघ और चीन के मतभेद सामने आए - संयुक्त निवेदन के बजाय स्वतंत्र वार्ता परिषदों का हुआ आयोजन

चीन के अधिकारियों ने सभी आरोप ठुकराकर महासंघ की भूमिका और निर्णय ही इन मतभेदों का कारण होने का दावा किया। साथ ही यूक्रेन मुद्दे पर यूरोपिय देश ही रशिया से बातचीत करके युद्ध रोकने के लिए ज़रूरी कदम बढ़ाएं, ऐसी सलाह भी चीन ने दी है। परिषद की पृष्ठभूमि पर यूरोपिय महासंघ और चीन के बीच मतभेद कायम रहने की वजह से आगे के समय में भी दोनों के बीच जारी तनाव आसानी से खत्म होने की संभावना नहीं है, ऐसा दावा विश्लेषक और माध्यमों ने किया है।

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