द्रौपदी मुर्मू बनीं भारत की राष्ट्रपति

नई दिल्ली – द्रौपदी मुर्मू सोमवार को भारत की १५वीं राष्ट्रपति बनीं। देश के मुख्य न्यायाधीश एन.रमण्णा ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके बाद द्रौपदी मुर्मू ने राजभवन पहुँचकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पद की बागड़ोर संभाली। ‘हमें प्राप्त हुआ राष्ट्रपति पद हमारी निजी सफलता नहीं है बल्कि, यह भारत के प्रत्येक गरीब की कामयाबी है। ओड़िशा के एक दुर्गम आदिवासी गांव से जहां पर प्राथमिक शिक्षा पाना भी एक सपना था, ऐसे स्थान से अपना सफर शुरू करनेवाली लड़की देश की राष्ट्रपति बनीं। यह जनतंत्र की जननी भारत का बढ़प्पन है’, ऐसा कहकर राष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण करने के बाद मुर्मू नेअपने भाषण में भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को लेकर गौरवोद्गार बयान किए। पूरे विश्व से राष्ट्रपति मुर्मू के लिए शुभकामनाओं का संदेश प्राप्त हो रही हैं।

भारतीय संसद के सेंट्रल हॉल में सोमवार को मुर्मू को शपथ ग्रहण समारोह हुआ। इस अवसर पर उप-राष्ट्रपति व्यंकय्या नायडु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिर्ला समेत सभी केंद्रीय मंत्री, विपक्षी नेता एवं विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री उपस्थित थे। द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समाज से राष्ट्रपति बनीं भारत की पहली महीला हैं। ओड़िशा के संथाल नामक आदिवासी समूदाय कीं मुर्मू ने सोमवार को शपथ ग्रहण के दौरान भी संथाल समूदाय की विरासत दिखानेवाली साड़ी पहनी थी। गुरूवार २१ जुलाई को राष्ट्रपति पद के चुनावों की गिनती हुई थी। देश के विधायक एवं सांसदों के कुल ६.७३ लाख मूल्य के ६० प्रतिशत वोट पाकर मुर्मू की राष्ट्रपति पद के चुनावों में जीत हुई। उनकी जीत लगभग तय ही थी और इस वजह से आदिवासी बांधवों में भी उत्साह का माहौल था। कई स्थानों पर समारोह का आयोजन करके उनकी जीत का जश्न मनाया गया।

आम गरीब भारतीय नागरिकों ने देखे सपने भी पूरे हो सकते हैं, हमारा राष्ट्रपति पद के लिए हुआ चयन इसका सबूत है, ऐसा मुर्मू ने इस दौरान कहा। भारत आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आज़ादी के ७५ साल पूरे हो रहे हैं और इन दिनों हमें यह ज़िम्मदारी सौंपी गई है। यह समय नई संकल्पों का है, यह बात मुर्मू ने रेखांकित की। देश की स्वतत्रंता के लिए बलिदान देनेवाले, इसमें योगदान देनेवाले सभी स्वतंत्रता सैनिकों की यादें राष्ट्रपति मुर्मू ने इस दौरान ताज़ा कीं।

साथ ही स्वतंत्र भारत में जन्मीं हम पहली राष्ट्रपति हैं, इस पर भी उन्होंने ध्यान आकर्षित किया। लेकिन, स्वतंत्र भारत के नागरिकों से स्वतंत्रता सैनिकों की उम्मीदें पूरी करने के लिए हमें अमृतमहोत्सवी काल में तेज़ी से काम करना पडेगा। अगले २५ साल बाद देश की आज़ादी के १०० साल पूरे होंगे। इस दौरान सफलता की चोटी पर पहुँचने के लिए विकास की आस अहम साबित होगी। लेकिन, कर्तव्य का अहसास रखकर सामूहिक कोशिशों से विकास करना होगा, ऐसा राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा। ‘मो जीवन पछे नर्के पड़ी थाऊ, जगत उद्धार हेउ’ काव्य की यह पंक्ति पेश करके उन्होंने अपना ध्येय रेखांकित किया। विश्व के कल्याण के लिए काम करते रहना अपने हित से कई गुना अधिक बड़ा है, ऐसा इस काव्य पंक्ति का मतलब स्पष्ट करते हुए उन्होंने अपना भाषण पूरा किया।

इसी बीच, राष्ट्रपति बनने के बाद द्रौपदी मुर्मू पर देश-विदेश से शुभकामनाओं की बौछार हो रही है। द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना आम भारतीय नागरिकों के लिए एवं जनसाधारण के लिए ऐतिहासिक क्षण है, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने भी मुर्मू को शुभकामनाएं दीं। भारत और रशिया के संबंध मुर्मू के कार्यकाल में अधिक समृद्ध होंगे, यह विश्वास उन्होंने व्यक्त किया। चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने भी राष्ट्रपति मुर्मू का अभिनंदन किया और मुर्मू के कार्यकाल में एक-दूसरे पर भरोसा और सहयोग बढ़ेगा, यह उम्मीद जिनपिंग ने व्यक्त की। मालदीव, नेपाल और श्रीलंका के नेतृत्व ने भी राष्ट्रपति मुर्मू को शुभकामनाएं प्रदान कीं।

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