डीआरडीओ ने बनाये वेंटिलेटर, सॅनिटायझर

नयी दिल्ली – “रक्षा संशोधन और विकास संस्था” (डीआरडीओ) ने कोरोनावायरस की चुनौती का मुक़ाबला करने की तैयारी की है। देशभर के अस्पतालों में होनेवाली वेटिलेटर की अपर्याप्तता को मद्देनज़र रखते हुए डीआरडीओ ने नया व्हेंटिलेटर विकसित किया होकर, ऐसा व्हेंटिलेटर बनाने का तंत्रज्ञान इस क्षेत्र की कंपनियों को दिया है। इससे पहले डीआरडीओ ने मास्क और सॅनिटायझर तैयार किये होकर, रक्षा दल और स्वास्थ्य मंत्रालय तथा दिल्ली पुलीस को उसकी सप्लाई की है।

 

देशभर में वेंटिलेटर के अपर्याप्तता को ध्यान में लेकर डीआरडीओ ने “सोसायटी फॉर बायोमेडिकल टेक्नॉलॉजी” (एसबीएमटी) के सहयोग से एक वेंटिलेटर विकसित किया और उसका तंत्रज्ञान मैसूरस्थित वेंटिलेटर उद्योग को हस्तांतरित किया। इन कंपमियों के पास महीने में पाँच हज़ार वेंटिलेटर तैयार करने की क्षमता है, लेकिन डीआरडीओ ने साझा किये तंत्रज्ञान के कारण ये कंपनियाँ अब दस हज़ार वेंटिलेटर बना सकतीं हैं, ऐसी जानकारी डीआरडीओ के संचालक डॉ. सतीश रेड्डी ने दी है।

कोरोनावायरस का मुक़ाबला करने में देश के लिए रोड़ा बन रही सॅनिटायझर तथा मास्क की कमी को पूरा करने का काम डीआरडीओ ने शुरू किया है। डीआरडीओ ने अबतक बीस हज़ार से अधिक सॅनिटायझर की बॉटल्स बनायीं होकर, तीनों रक्षादल तथा स्वास्थ्य मंत्रालय को उनकी सप्लाई की है। उसीके साथ सॅनिटायझर तैयार करने का तंत्रज्ञान इस क्षेत्र की कंपनियों के साथ साझा किया होकर, इससे ये कंपनियाँ प्रतिदिन दस हज़ार लीटर सॅनिटायझर तैयार कर सकेंगी। उसीके साथ बीस हज़ार मास्क भी बनाकर दिये हैं, ऐसा सतीश रेड्डी ने कहा है।

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