इजिप्ट, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और फ्रान्स के राष्ट्रप्रमुख जल्द ही करेंगे भारत का दौरा

नई दिल्ली – रशिया-यूक्रेन युद्ध और अन्य भू-राजनीतिक गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर इस साल भारत में ‘जी २०’ परिषद का आयोजन हो रहा हैं। साथ ही इस साल जर्मनी, फ्रान्स, ऑस्ट्रेलिया और इजिप्ट के राष्ट्रप्रमुख भारत दौरे पर आ रहे हैं। ‘जी २०’ परिषद के पहले ही इन देशों के राष्ट्रप्रमुख भारत का दौरा करेंगे। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि, यूक्रेन युद्ध के कारण उभरी स्थिति इन देशों के राष्ट्रप्रमुखों के भारत से होने वाली चर्चा में सबसे अहम मुद्दा होगा।

राष्ट्रप्रमुखयूक्रेन युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनिश्चितता का माहौल बना हैं। इस वजह से अनाज़ और ईंधन की कीमतों का हुआ उछाल और किल्लत की भीषण समस्या विश्व के सामने खड़ी हुई है। साथ ही वैश्विक स्तर पर उत्पादन के लिए आवश्यक सप्लाई चेन भी रशिया-यूक्रेन युद्ध के कारण बाधित हुई हैं। इसी में चीन जैसे देश की महत्वाकांक्षा प्रचंड़ मात्रा में बढ़ी हैं और चीन की बेलगाम हरकतों की वजह से इंडो-पैसिफिक जैसे अहम क्षेत्र में असंतुलन बना हैं। ऐसी स्थिति में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की ओर ही संतुलन स्थापित करने की क्षमता की शक्ति के तौर पर बड़ी उम्मीद से देखा जा रहा हैं। इसकी छबि इस साल भारत दौरे पर आ रहे प्रमुख देशों के दौरे पर पड़ती दिख रही है।

राष्ट्रप्रमुखइजिप्ट के राष्ट्राध्यक्ष अब्देल फताह अल-सीसी गणतंत्र दिवस समारोह के प्रमुख अतिथी के तौर पर भारत आएंगे। उन्हें गणतंत्र दिवस के प्रमुख अतिथी के तौर पर आमंत्रित करके भारत ने काफी बड़ी दूरदर्शिता दिखाई हैं, ऐसा दावा पाकिस्तान के एक विश्लेषक ने किया है। इजिप्ट भारत से लड़ाकू ‘तेजस’ विमान खरिदने के लिए उत्सुक हैं। इसका भारत को काफी बड़ा रणनीतिक लाभ प्राप्त होकर ही रहेगा, ऐसा दावा इस पाकिस्तानी विश्लेषक ने किया है। साथ ही भारत दौरे पर आ रहे जर्मनी, फ्रान्स और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रप्रमुख अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही भारत की अहमियत रेखांकित कर रहे हैं, ऐसा इस विश्लेषक का कहना है।

राष्ट्रप्रमुखपाकिस्तान जैसा देश कुछ अरब डॉलर्स पाने के लिए प्रमुख देशों के सामने हाथ फैला रहा हैं। लेकिन, जिन देशों से पाकिस्तान मदद की गुहार लगा रहा हैं वह देश भारत को अपने प्रमुख सहयोगी के तौर पर देख रहे हैं। यह भारत को प्राप्त हुई काफी बड़ी सफलता है, इसकी कबुली इस पाकिस्तानी विश्लेषक ने दी। भारत के पड़ोसी पाकिस्तान की असफलता इससे बड़ी तीव्रता से विश्व के सामने आ रही हैं, ऐसा अफ़सोस भी इस विश्लेषक ने जताया। भारत की आर्थिक प्रगति और प्रभावी विदेश नीति के कारण यह सफलता प्राप्त होने के दावे इस विश्लेषक ने किए हैं। रशिया-यूक्रेन युद्ध में किसी एक देश के पक्ष में खड़े हुए बिना भारत ने स्वयं को शांति के पक्ष में होने का ऐलान करके अपनी तटस्थता दिखाई है। साथ ही रशिया से ईंधन खरीद करके हम पश्चिमी देशों के दबाव का शिकार नहीं होंगे, यह संदेश भी विश्व को दिया हैं, इसका संज्ञान अब पाकिस्तानी माध्यमों के साथ ही अन्य नेताओं ने भी लिया है।

इसी बीच, यूक्रेन युद्ध की वजह से उभरी समस्या निपटने के लिए भारत काफी अहम भूमिका निभा सकता हैं, यह विश्वास यूरोपिय देशों को भी होने लगा हैं। फ्रान्स के नेता और राजनीतिक अधिकारी यूक्रेन समस्या पर हमारी भारत से चर्चा जारी होने का बयान लगातार कर रहे हैं। दोनों देशों का यह सहयोग यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए सहायक साबित हो सकता हैं, यह दावा भारत में नियुक्त फ्रान्स के राजदूत ने कुछ ही हफ्ते पहले किया था। इस पृष्ठभूमि पर फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन का भारत दौरा करना ध्यान आकर्षित कर रहा हैं। इसी बीच जर्मनी के चान्सलर ओलफा शोल्झ की भारत यात्रा मे दोनों देशों का सभी स्तरों पर सहयोग बढ़ाने पर गहरी चर्चा होने की उम्मीद है। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के भारत यात्रा में दोनों देशों के व्यापारी, राजनीतिक और सैन्य सहयोग के साथ ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र से संबंधित सहयोग का मुद्दा भी चर्चा का प्रमुख विषय रहेगा।

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