रशियन सीमा के नज़दीक नाटो का व्यापक युद्धाभ्यास – युक्रेन समेत स्वीडेन और फिनलैंड का सहभाग

NATO-military-exercises-russia-1तालिन/ब्रुसेल्स – रशिया-युक्रेन युद्ध अधिक से अधिक तीव्र होता चला जा रहा है, ऐसे में नाटो ने रशियन सीमा से सटे इस्टोनिया में व्यापक युद्धाभ्यास शुरू किया है। इस अभ्यास में 11 देशों के 15 हज़ार से भी अधिक जवान सहभागी हुए हैं। रशिया के ख़िलाफ़ युद्ध जारी रहनेवाले युक्रेन समेत, नाटो में सहभागी होने की तैयारी दर्शानेवाले फिनलैंड तथा स्वीडेन की लष्करी टुकड़ियाँ भी इस अभ्यास में शामिल हुई हैं। इस कारण, यह अभ्यास यानी रशिया पर दबाव बढ़ाने के प्रयासों का भाग माना जा रहा है। यह अभ्यास शुरू हुआ है कि तभी नाटो के प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने, युक्रेन रशिया के ख़िलाफ़ युद्ध जीत सकता है, ऐसा दावा किया है।

रशिया ने युक्रेन में शुरू की लष्करी मुहिम के लगभग 80 से अधिक दिन बीत चुके हैं। इस कालवधि में रशिया ने पूर्वी और दक्षिणी युक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा किया है। लेकिन पश्चिमी माध्यम तथा यंत्रणाओं के दावों के अनुसार, रशिया को युक्रेन युद्ध में अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। युक्रेन की सेना ने किये प्रखर संघर्ष के कारण रशिया का बड़ा नुकसान हुआ है और अधिक से अधिक इलाक़ों पर कब्ज़ा करने के रशिया के इरादे मिट्टी में मिल चुके हैं, ऐसा कहा जाता है। अमरीका और नाटो देशों ने युक्रेन को की रक्षासहायता के कारण यह मुमक़िन हुआ, ऐसा बताया जा रहा है।

NATO-military-exercises-russia-2इसी पृष्ठभूमि पर, नाटो ने युक्रेन से किये जा रहे रक्षा सहयोग को अधिक से अधिक बढ़ाने का फ़ैसला किया है। युक्रेन को किये जानेवाली हथियारों की सप्लाई के मामले में कई नियम शिथिल किये गये होकर, हथियारों की सप्लाई भी तेज़ की गई है। उसी समय, नाटो युक्रेन का साथ दे रहा है यह दर्शाने के लिए रशिया से सटे देशों में व्यापक युद्धाभ्यास आयोजित करके रशिया पर दबाव बढ़ाने की गतिविधियाँ भी जारी हैं।

पिछले हफ़्ते में युरोप के नॉर्थ मॅसिडोनिया में ‘स्विफ्ट रिस्पॉन्स 22′ अभ्यास का आयोजन किया गया था। यह अभ्यास ख़त्म होने के महज़ दो दिनों में ही, रशियन सीमा से सटकर होनेवाले इस्टोनिया में ‘हेजहॉग’ नामक युद्धाभ्यास शुरू हुआ है। यह अभ्यास 3 जून तक जारी रहनेवाला होकर, उसमें 11 देश सहभागी हुए हैं। इस्टोनिया में होनेवाला यह अब तक का सबसे बड़ा अभास होकर, इसमें लड़ाकू विमान, युद्धपोत, हेलिकॉप्टर्स, टैंक्स, क्षेपणास्त्र तथा इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेअर सिस्टिम्स का सहभाग होने की बात बतायी जा रही है।

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