फ्रान्स के विदेश मंत्री भारत दौरे पर

नई दिल्ली – फ्रान्स के विदेश मंत्री जीन-येस ली द्रियान तीन दिन के भारत दौरे पर आ रहे हैं। मंगलवार से उनका दौरा शुरू होनेवाला होकर, वे विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ चर्चा करेंगे। साथ ही, फ्रान्स के विदेश मंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी भेंट करनेवाले है। दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा, हवामान बदल, स्थलांतरितों का आवागमन, शिक्षा और स्वास्थ्य इन क्षेत्रों में दोनों देशों की साझेदारी अधिक मजबूत करनेपर इस समय चर्चा होगी, ऐसी जानकारी भारत के विदेश मंत्रालय ने दी है।

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और फ्रेंच विदेश मंत्री के बीच द्विपक्षीय संबंधों के सभी मुद्दों पर विस्तृत चर्चा होगी। इसमें सामरिक साझेदारी और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए दोनों देशों का सहयोग और क्षेत्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय समस्या इनका समावेश होगा, ऐसा फ्रान्स के विदेश मंत्री ने कहा है। दोनों देशों के बीच के द्विपक्षीय संबंध इससे अधिक ही मजबूत होंगे, ऐसा दावा किया जा रहा है। साथ ही, फ्रान्स के विदेश मंत्री नई दिल्ली में आयोजित रायसेना डायलॉग इस सुरक्षा विशेष परिषद में व्याख्यान देंगे, यह भी स्पष्ट हुआ है।

हालाँकि अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन भारत फ्रान्स से और रफाएल विमानों की खरीद करने की तैयारी में है। इस संदर्भ के व्यवहार की अभी तक अधिकृत स्तर पर घोषणा नहीं की गई है। लेकिन भारत फ्रान्स से और ३६ विमानों की खरीद करनेवाला होने की चर्चा कुछ महीनों से शुरू है। उसी समय, भारत ने १०८ लड़ाकू विमानों की खरीद पर भी काम शुरू किया होकर, फ्रान्स के रफाएल विमान इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए प्रबल दावेदार हैं, ऐसा वायुसेनाप्रमुख आरकेएस भदौरिया ने स्पष्ट किया था।

इस पृष्ठभूमि पर, फ्रेंच विदेश मंत्री का भारत दौरा बहुत ही अहम माना जा रहा है। इसके साथ ही, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र स्थित फ्रान्स के हितसंबंधों की सुरक्षा के लिए भारत अत्यंत महत्वपूर्ण देश है, ऐसा फ्रान्स द्वारा लगातार बताया जा रहा है। कुछ दिन पहले ‘ला पेरूस’ इस बंगाल की खाड़ी में संपन्न हुए फ्रान्स के नौसेना अभ्यास के लिए इस देश के रिअर ऍडमिरल फेयॉर्ड भारत आये थे। भारत यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संपूर्ण सुरक्षा की आपूर्ति करनेवाला देश है, ऐसा फ्रेंच रिअर ऍडमिरल ने इस समय कहा था। बंगाल की खाड़ी में क्वाड देशों के साथ युद्धाभ्यास करनेवाला फ्रान्स, आनेवाले समय में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अधिक सक्रिय भूमिका अदा करने के लिए उत्सुक होने के संकेत इससे मिले थे।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में लगभग १० लाख फ्रेंचों का निवास होकर, उनकी रक्षा यह फ्रान्स की ज़िम्मेदारी बनती है। इस कारण इस क्षेत्र में फ्रान्स के भी हितसंबंध उलझे हुए हैं। इसलिए इस संदर्भ में भारत के साथ सहयोग फ्रान्स के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होता है, ऐसा दावा फ्रान्स द्वारा किया जाता है। उसी समय, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की मगरूरी फ्रान्स बर्दाश्त नहीं करेगा और अन्तर्राष्ट्रीय परिवहन की आजादी का फ्रान्स द्वारा ज़ोरदार पुरस्कार किया जाएगा, ऐसा भी फ्रान्स ने समय-समय पर स्पष्ट किया था।

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