भारत के विद्यार्थियों को प्रवेश ना देनेवाले चीन के नागरिकों को विसा रोकने का भारत का निर्णय

नवी दिल्ली – चीन में कोरोना संक्रमण बढने के बाद वहाँ शिक्षा ग्रहण करनेवाले २२ हजार भारतीय विद्यार्थियों को अपने देश लौट आए थे। इन विद्यार्थियों को फिर से चीन में प्रवेश देकर उनकी शिक्षा शुरु करने के लिए चीन तैयार नहीं है। इसलिए इन विद्यार्थियों की शिक्षा धोखे में पड़ गई है। भारत ने बारंबार चीन के साथ चर्चा के दौरान यह मुद्द उपस्थित किया था। पर चीन दाद नहीं दे रहा है। यह देखकर भारत ने चीन से भारत आनेवालों की विसा रोकने का निर्णय लिया है। अब केवल राजनैतिक तथा व्यापारी कारण हेतु भारत आनेवाले चीनी नागरिकों को भारत की विसा मिलेगी।

india-chinese-visaद्वेष के कारण चीन भारतीय विद्यार्थियों को अपने देश में प्रवेश देने से इन्कार कर रहा है। इसकी वजह से भारतीय विद्यार्थियों का भवितव्य टंग हुआ है। इनमें से कुछ विद्यार्थियों ने चीनी दूतावास के सामने निदर्शन करके अपना असंतोष व्यक्त किया था। मगर चीन ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। बल्कि, कुछ अन्य देशों के विद्यार्थियों को अनुमति देकर चीन ने भारतीय विद्यार्थियों के संताप को बढाया है। भारत सरकार ने बारंबार चीन के साथ यह मुद्द उपस्थित किया, फिर भी चीन ने कोई दाद नहीं दी थी। इस पृष्ठभूमि पर भारत ने चीनी नागरिकों को भारत का विसा नाकारने का निर्णय लिया हुआ दिख रहा है।

इसके बाद केवल राजनैतिक तथा कारोबारी कारणों के लिए चीनी नागरिकों को भारत का विसा दिया जाएगा। अन्य कारणों के लिए चीनी नागरिक भारत नाहीं आ पाएंगे। भारतीय विद्यार्थियों के बारे में चीन ने लिए हुए निर्णय का दोनों देशों के संबंधों पर परिणाम हो रहा है, भारत ने चीन को इसके द्वारा इस बात का अहसास दिलाया है। कुछ सप्ताह पहले चीन के विदेशमंत्री वैंग ई ने भारत का दौरा किया था। सीमावाद का दोनों देशों के संबंधों पर परिणाम ना हो, ऐसी आदर्शवादी अपेक्षा व्यक्त करके चीन के विदेशमंत्री ने दावा किया था कि उनका देश भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए तैयार है। मगर भारतीय विद्यार्थियों के बारे में चीन ने लिया हुआ निर्णय दर्शा रहा है कि, विदेशमंत्री वैंग ई के दावों में सच्चाई नहीं थी।

द्विपक्षीय सहयोग के बारे में कितने भी बडे क्यों न किए जाएं, पर चीन अपनी भारतद्वेश निति को बदलना नहीं चाहता, ऐसे स्पष्ट संकेत इसके जरिए मिल रहे हैं। इसकी वजह से चीन पर कभी भी विश्वास नहीं किया जा सकता, भारत की यह सोच अधिक दृढ होगी। भारत से व्यापारी लाभ निचोडने की मंशा रखनेवाले चीन को आनेवाले समय में इसके परिणाम भुगतने पडेंगे। भविष्य में भारतीय विद्यार्थी शिक्षा के चीन का विकल्प चुनने का धोखा नहीं स्वीकारेंगे। यह जोखिम उठाकर चीन भारतीय विद्यार्थियों का नुकसान करना चाहता है, ऐसा दिखाई दे रहा है।

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