एलएसी पर चिनी हरकतों पर नज़र रखने के लिए भारत द्वारा प्रगत ‘हेरॉन’ ड्रोन्स तैनात

नई दिल्ली – पिछले ही महीने में चीनी लक्ष्य करने लद्दाख की एलएसी के पास बड़े पैमाने पर गतिविधियाँ शुरू करने की खबर जारी हुई थी। चीन द्वारा जारी इन हरकतों पर बारीकी से नज़र रखने के लिए भारत ने चार हेरॉन ड्रोन्स एलएसी पर तैनात किए हैं। फिलहाल भारतीय रक्षा बलों में होनेवाले ड्रोन्स की तुलना में यह ड्रोन्स अधिक प्रगत होने की जानकारी दी सूत्रों ने दी।

Heron-Drone-LACभारत सरकार ने रक्षा बलों को दिए ‘इमर्जन्सी फायान्शिअल पॉवर्स’ का इस्तेमाल करके इजराइल से अतिरिक्त ड्रोन्स लिए गए थे। पिछले ही महीने यह ड्रोन्स भारत में दाखिल हुए थे। उसके बाद उन्हें फौरन लद्दाख की एलएसी पर तैनात किया गया, ऐसा सूत्रों द्वारा बताया गया। भारत ने इससे पहले के लिए हेरॉन ड्रोन्स का यह प्रगत संस्करण होकर, इन नए ड्रोन्स का अँटी जॅमिंग तंत्रज्ञान अधिक प्रगत होने का दावा किया गया है।

पिछले साल हुए संघर्ष के बाद भारत ने अपनी रक्षासिद्धता तथा एलएसी पर तैनाती बढ़ाने के लिए तेज़ कदम उठाए हैं। चीन के कारनामों का प्रत्युत्तर देने के लिए भारत लड़ाकू विमान, क्षेपणास्त्र, तोपें तथा ड्रोन्स इनकी बड़ी तैनाती कर रहा है। इस्रायल से लिए गए हेरॉन ड्रोन्स की तैनाती भी उसी का भाग साबित होती है।

इस्रायल के अलावा भारतीय रक्षा बलों ने अमरीका तथा स्वदेशी कंपनियों से भी बड़े पैमाने पर ड्रोन्स की खरीद करने की शुरुआत की होकर, उसका इस्तेमाल सीमा के नज़दीक जारी हरकतों पर नज़र रखने के लिए किया जा रहा है। आनेवाले कुछ सालों में भारत अमरीका से ३० प्रिडेटर ड्रोन्स की खरीद करनेवाला है, ऐसी जानकारी दी सूत्रों ने दी।

पिछले कुछ महीनों में, चीन ने एलएसी पर अपनी सेना के कारनामे अधिक ही बढ़ाए थे। रक्षा सामग्री और हत्यारों की नई तैनाती करके चीन ने भारत पर दबाव डालने की भी कोशिश की। लेकिन भारत ने टक्कर की तैनाती करके चीन के कारनामों को उसी भाषा में प्रत्युत्तर दिया है। भारतीय सेना चिनी सेना की घुसपैंठ बर्दाश्त नहीं करेगी। उसे ज़बरदस्त प्रत्युत्तर मिलेगा, ऐसी स्पष्ट भूमिका देश के रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत तथा सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे लगातार रख रहे हैं।

भारत ने अपनाई इस आक्रामक भूमिका का बहुत बड़ा दबाव चीन पर आया होकर, उसकी गूँजें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सुनाई दे रहीं हैं। भारत ने चीन का लष्करी दबाव ठुकरा दिया और चीन को सबक सिखाया, ऐसी चर्चा पिछले साल गलवान में हुए संघर्ष के बाद शुरू हुई थी। इससे बेचैन हुआ चीन, भारत के विरोध में वह बहुत कुछ कर रहा होने का आभास निर्माण कर रहा है। लेकिन इसके लिए प्रचारयुद्ध छेड़कर भी चीन को अपेक्षित कामयाबी नहीं मिल सकी है।

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