भारत विश्‍व की सबसे गतिमान अर्थव्यवस्था होने की राह पर – वित्त मंत्रालय की रपट

नई दिल्ली – भारत विश्‍व की सबसे तेज़ गति से बढ़ रही अर्थव्यवस्था होने की राह पर होने का विश्‍वास वित्त मंत्रालय की रपट में जताया गया है। इसके लिए आवश्‍यक घटकों से भारतीय अर्थव्यवस्था तैयार है और भारत में हो रहे निवेष के चक्र की गति भी फिर से सामान्य होगी, यह बयान भी वित्त मंत्रालय ने किया है। वित्त मंत्रालय की इस रपट को ‘रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया’ के प्रमुख ने भी समर्थन प्रदान किया है और भारत इस वर्ष ९.५ प्रतिशत विकास दर प्राप्त करेगा, ऐसा गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा।

वित्त मंत्रालयभारत के वित्त मंत्रालय ने ‘मंथली इकॉनॉमिक रिव्यु’ जारी किया है। इसमें कोरोना की महामारी की तीव्रता में आई गिरावट, गतिमान टीकाकरण और त्यौहारों के दिनों का भी इसमें ज़िक्र किया गया है। यह घटक भारतीय अर्थव्यवस्था को सामान्य होने के लिए गति प्रदान करेंगे, यह बात इस रपट में दर्ज़ है। इससे मांग और आपूर्ति में दूरियाँ कम होंगी और रोजगार के अवसर भी भारी मात्रा में बढ़ेंगे, यह दावा वित्त मंत्रालय ने किया।

‘आत्मनिर्भर भारत मिशन ने बड़े रचनात्मक सुधारों की प्रक्रिया शुरू की है और भारत की अर्थव्यवस्था सामान्य होने में इसकी भूमिका निर्णायक साबित हो रही है। इस मुहिम की वजह से औद्योगिक क्षेत्र में नए अवसर उपलब्ध होने का संदेश है और साथ ही खर्च के मार्ग का भी विस्तार होने की बात सामने आयी है’, इस ओर वित्त मंत्रालय ने ध्यान आकर्षित किया। भारत की अर्थव्यवस्था मौजूदा विकास को गति देनेवाले सभी तरह के घटकों से तैयार है और निवेष के चक्र को गति प्रदान करने की तैयारी भी पूरी हुई है, यह दावा इस रपट में किया गया है। विकास को गति प्रदान करनेवाले घटक और निवेष का चक्र भारतीय अर्थव्यवस्था को सामान्य करके विश्‍व की सबसे तेज़ अर्थव्यवस्था बनने की राह पर पहुँचाएंगे, यह विश्‍वास वित्त मंत्रालय ने व्यक्त किया।

वित्त मंत्रालयवित्त मंत्रालय की रपट में जताए गए इस विश्‍वास का रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी समर्थन किया है। भारत की अर्थव्यवस्था सामान्य होने की प्रक्रिया गतिमान हुई है और इस वर्ष भारत ९.५ प्रतिशत विकास दर प्राप्त करेगा, ऐसा दास ने कहा। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की रपट में भी यह दावा किया गया था कि, भारत इस वर्ष सबसे गतिमान बढ़ रही अर्थव्यवस्था साबित हो सकती है।

इसी बीच अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने की प्रक्रिया के तौर पर भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन अगले हफ्ते देश के बैंक और वित्तसंस्थाओं के प्रमुखों से मुलाकात करेंगी। इनमें सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकें एवं वित्तसंस्थाओं के साथ निजी क्षेत्र की प्रमुख बैंकें और ‘नॉन बैंकिंग फायनान्शियल कंपनीज्‌’ के प्रमुख भी शामिल होंगे। यह परिषद दो दिन चलेगी, यह जानकारी सूत्रों ने प्रदान की। अर्थव्यवस्था के सभी अहम क्षेत्रों में कर्ज़ की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में बगैर किसी अड़ंगे से हो, यही इस परिषद का प्रमुख अजेंड़ा होगा। वित्त मंत्रालय ने इससे संबंधित बैंक और कंपनियों के प्रमुखों को खत भी लिखे जाने की बात कही जा रही है। भारत के औद्योगिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करनेवाले प्रमुख संगठन को भी इस परिषद के लिए आमंत्रित किया गया है।

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