रशिया में आयोजित अफगानिस्तान संबंधी परिषद में भारत शामिल होगा

मॉस्को, दि. ८ : रशिया द्वारा आयोजित की गयी अफगानिस्तानविषयक परिषद में इस बार अफगानिस्तान समेत भारत को भी न्योता दिया गया है| १५ फरवरी को होनेवाली इस परिषद में भारत की मौजूदगी काफी अहम साबित होनेवाली है, जिसमें भारत और पाकिस्तान आमने सामने आनेवाले हैं| इससे पहले रशिया ने आयोजित की हुई अफगानिस्तानविषयक परिषद में भारत को शामिल नहीं किया गया था|

परिषदअफगानिस्तान के विदेशमंत्री सलाहुद्दीन रब्बानी फिलहाल रशिया के दौरे पर हैं| उनके इस दौरे में, १५ फरवरी को रशिया में होनेवाली अफगानिस्तानसंबंधी परिषद के सिलसिले में चर्चा हुई| इससे पहले हुई परिषद में, रशिया ने चीन और पाकिस्तान को शामिल किया था| इसके बाद अफगानिस्तान से तीखी प्रतिक्रिया आई थी और भारत ने भी इस बात पर नाराज़गी जताई थी| तभी पाकिस्तान ने, इस परिषद में भारत की गैरहाज़िरी का मतलब हमारी राजनीतिक जीत है, ऐसा दावा किया था| आनेवाले समय में रशिया, चीन और ईरान के सहयोग से पाकिस्तान अफगानिस्तान पर रहनेवाला भारत का प्रभाव खत्म करेगा, ऐसे दावे पाकिस्तान के भारतविद्वेषी सामरिक विश्‍लेषको ने किया है|

इसलिए रशिया में होनेवाली इस परिषद में भारत का शामिल होना अहम बात है| भारत के साथ ईरान को भी इस परिषद में शामिल किया जायेगा, ऐसा दावा रशिया के अधिकारियों ने किया है| अफगानिस्तान में रहनेवाले भारत और पाकिस्तान के हितसंबंध एकदूसरे के खिलाफ हैं, यह इससे पहले भी सामने आया था| पाकिस्तान को अफगानिस्तान तालिबान के नियंत्रण में लाना है| वहीं, भारत ने, अफगानिस्तान के लोगों ने चुनी हुई सरकार के पीछे अपना पूरा समर्थन खड़ा किया है| लेकिन पिछले कुछ महीनों में, रशिया ने तालिबान के साथ चर्चा शुरू की थी| इस बात पर अफगानी सरकार के साथ साथ भारत ने भी नाराज़गी जताई थी| लेकिन तालिबान के साथ रशिया का सहयोग केवल ‘आयएस’ इस आतंकी संगठन को रोकने तक सीमित है, ऐसा खुलासा रशिया द्वारा किया गया था|

रशिया में होनेवाली इस परिषद की अहमियत इस वजह से बढ़ी है, ऐसा दिखाई दे रहा है| एशिया क्षेत्र की शांति और स्थिरता बनाये रखने के लिए अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता अनिवार्य है और इसके लिए रशिया कदम उठा रहा है, ऐसा रशियन विदेश मंत्री सर्जेई लॅव्हरोव्ह ने कहा है| लेकिन अफगानिस्तान के सिलसिले में भिन्न हितसंबंध रखनेवाले भारत और पाकिस्तान की इस परिषद में सह-भागिता को देखते हुए और अफगानिस्तान का भी पाकिस्तान की आतंकवादपरस्त नीति को रहनेवाला विरोध देखते हुए, इस परिषद में एकमत होना काफी कठिन है, ऐसा दिखाई दे रहा है|

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