डॉलर के बजाय भारत-टांझानिया व्यापार में करेंगे रुपया-शिलिंग का इस्तेमाल – रिज़र्व बैंक की मंजूरी

नई दिल्ली – भारत और टांझानिया जैसे अफ्रीकी देश के व्यापार में अब डॉलर को स्थान नहीं रहेगा। दोनों देश अपने स्थानिय मुद्राओं से कारोबार करेंगे और रुपया और टांझानिया के शिलिंग से कारोबार करने के लिए भारत की ‘रिज़र्व बैंक’ ने अनुमति प्रदान की है। टांझानिया में भारत के उच्चायुक्त बिनय प्रधान ने यह जानकारी साझा की। सोना और अन्य धातू के साथ कृषि संबंधित उत्पाद भारत को निर्यात कर रहे टांझानिया के साथ व्यापार के मोर्चे पर हुआ यह बदलाव ध्यान आकर्षित करता हैं। आनेवाले दौर में और कुछ देश भारत के साथ ऐसे समझौते करेंगे और भारत के रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनाने की ओर बढ़ाया गया यह नया कदम है।

शिलिंगसाल २०२२ के मार्च महीने तक भारत और टांझानिया के बीच सालाना द्विपक्षीय व्यापार करीबन ४.५ अरब डॉलर्स था। लेकिन, रुपया और शिलिंग से कारोबार होने के बाद दोनों देशों के व्यापार में काफी बड़ी वृद्धि होगी, यह विश्वास भारत के राजदूत ने टांझानिया में व्यक्त किया है। जल्द ही यह द्विपक्षी व्यापार छह अरब डॉलर्स तक बढ़ सकता हैं, ऐसा उच्चायुक्त बिनय प्रधान ने कहा है। नैसर्गिक खनिज संपत्ति से समृद्ध टांझानिया भारत को सोना, अन्य धातू के साथ ही कृषि उत्पाद की निर्यात करता हैं। यह निर्यात आगे के समय में अधिक बढ़ेगी, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

भारत से टांझानिया को पेट्रोलियम उत्पाद, दवाईयां और इंजिनिरिंग से संबंधित सामान निर्यात होता हैं। रुपया-शिलिंग कारोबार की वजह से भारत की यह निर्यात भी काफी बढ़ने के आसार दिख रहे हैं। रिज़र्व बैंक ने रुपया-शिलिंग के कारोबार को मंजूरी प्रदान करने से भारतीय बैंकों को टांझिनियन बैंकों में वोस्त्रो खाता शुरू करना आसान होगा, यह विश्वास उच्चायुक्त बिनय प्रधान ने व्यक्त किया।

इसी बीच दो दिन पहले राज्यसभा में जानकारी रखते हुए केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री भगवंत कराड़ ने यह कहा कि, अबतक १८ देशों ने कारोबार में रुपये का इस्तेमाल करना स्वीकार किया है। इन देशों को रिज़र्व बैंक ने वोस्त्रो खाता शुरू करने की अनुमति भी प्रदान की हैं। करीबन ३० विदेशी बैंकों ने ३० भारतीय बैंकों से सहयोग के समझौते किए होने की बात भी कराड ने कही। इनमें बोटस्वाना, फिजी, जर्मनी, गयाना, इस्रायल, केनिया, मलेशिया, मॉरिशस, म्यांमार, न्यूजीलैण्ड, ओमान, रशिया, सेशेल्स, सिंगापूर, श्रीलंका, युगांडा और ब्रिटेन एवं टांझानिया का समावेश हैं।

इस वजह से भारत का रुपया अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनने लगा हैं और इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़े लाभ प्राप्त होंगे। खास तौर पर इन देशों के कारोबार से अमरिकी डॉलर की ज़रूरत ना रहने से देश की विदेशी मुद्रा भंड़ार पर आयात करने के लिए बढ़ रहा भार काफी कम होगा। भारत जिन देशों से ईंधन और सोने की आयात करता हैं, उन देशों ने भारत के साथ स्थानिय मुद्रा से कारोबार किया तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का आर्थिक और राजनीतिक स्थान अधिक मज़बूत होगा। इसकी तैयारी केंद्र सरकार और रिज़र्व बैंक ने की हैं।

एक ही दिन पहले रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास ने भारत ने अपनी ‘यूपीआई’ और ‘रुपे’ पेमेंट सिस्टिम को प्राप्त हुई सफलता की जानकारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े जोरोंशोरों से रखने की मांग की थी। भारत को प्राप्त हुई ‘जी २०’ की अध्यक्षता का इसके लिए प्रभावी इस्तेमाल हो सकता हैं, ऐसा सुझाव रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने दिया हैं। साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रुपये का प्रभाव बढ़ रहा हैं, यह कहकर गवर्नर शक्तिकांता दास ने इसपर संतोष भी व्यक्त किया हैं।

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