भारत अमरीका से ‘प्रिडेटर-बी’ ड्रोन खरीदने की तैयारी में

नई दिल्ली – भारत ने अमरीका से ‘प्रिडेटर-बी’ ड्रोन खरीदने की उत्सुकता दर्शायी है। ‘सुलेमानी कीलर’ इस नाम से मशहूर हुए इस ड्रोन की माँग भारत ने अमरीका के पास की होकर, तीनों रक्षा बलों के बेड़े के लिए इन ड्रोन्स को खरीदने का भारत का प्रयास है। चीन और पाकिस्तान की सीमा पर की चुनौतियों को देखते हुए यह फैसला किया गया होने की बात कही जा रही है।Prediator-B Drone

चीन लद्दाख सीमा पर ‘विंग लॉन्ग’ इस सशस्त्र ड्रोन का उपयोग कर रहा है। साथ ही, चार ‘विंग लॉन्ग’ ड्रोन चीन पाकिस्तान को दे रहा है, ऐसी ख़बर है। इसके अलावा पाकिस्तान, चीन के साथ ४८ ‘विंग लॉन्ग’ ड्रोन्स के संयुक्त निर्माण के लिए समझौता करने की तैयारी में है। चीन से पाकिस्तान को दिए जानेवाले ये ड्रोन्स ‘सीपीईसी’ परियोजना की रक्षा के लिये दिये जायेंगे, ऐसा हालाँकि कहा जा रहा है, मग़र फिर भी, भारत पर नज़र रखकर चीन ये ड्रोन्स पाकिस्तान को देने की बात स्पष्ट हो रही है। इस पृष्ठभूमि पर, भारत ने ‘प्रिडेटर-बी’ ड्रोन खरीदने के लिये प्रयास शुरू किये होने की ख़बर आई है।

इससे पहले इसी ‘प्रिडेटर-बी’ ड्रोन्स के नौसेना संस्करण होनेवाले और केवल निगरानी के लिये उपयोग किये जानेवाले ३० ‘गार्डियन’ ड्रोन्स देने की अमरीका ने तैयारी दर्शायी थी। लगभग चार अरब डॉलर्स का यह व्यवहार होनेवाला होकर, नौसेना द्वारा इस संबंध में चर्चा शुरू है। लेकिन ‘प्रिडेटर-बी’ के सशस्त्र संस्करण में भारतीय रक्षा बलों को अधिक उत्सुकता होकर, सेना द्वारा इस संदर्भ में बिनती की जाने पर, तीनों बलों के लिए ‘प्रिडेटर-बी’ खरीदने की तैयारी भारत ने की होने की ख़बरें हैं।

काफी ऊँचाई तक उड़ान भरने में सक्षम, रड़ार को भी चकमा देनेवाले, साथ ही, मिसाईल तथा लेजर गाईडेड बम से लैस, ऐसे इन ड्रोन्स का उपयोग, चीन एवं पाकिस्तान की सीमा पर के दुर्गम इलाकों में अत्यंत प्रभावी रूप से हो सकता है, ऐसा दावा किया जा रहा है। एक ही उड़ान में २३० किलोमीटर गति से ११५० मैल की दूरी तय करने के लिए सक्षम और ५० हजार फ़ीट की ऊँचाई पर भी उड़ सकनेवाला यह ड्रोन, ४,७०० किलो से ज़्यादा वजन अपने साथ ले जा सकता है। इस वजह से, यह ड्रोन्स यदि भारत के पास आता है, तो भारत की सामरिक क्षमता बड़े पैमाने पर बढ़ सकती है।

 ‘एमक्यू-९ रिपर ड्रोन’ इस नाम से भी पहचाने जानेवाले इन ड्रोन्स का, अमरीका ने इराक, सीरिया तथा अफगाणिस्तान में प्रभावी रूप से उपयोग किया है। ईरान के ‘रीव्हॉल्युशनरी गार्ड्स’ के मेजर जनरल कासीम सुलेमानी को अमरीका ने इसी ड्रोन का इस्तेमाल करके किये हमले में ढ़ेर किया था।

भारत को सामरिक साझेदार का दर्जा देनेवाली अमरीका ने, दो साल पहले ‘कोमकासा’ समझौता करके भारत को संवेदनशील तकनीक देने का मार्ग खुला किया था। इसके तहत भारत को यह ‘प्रिडेटर-बी’ ड्रोन देने के संदर्भ में अमरीका सोच रही है, ऐसीं ख़बरें आई थीं। लद्दाख में चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद, भारत ने ‘प्रिडेटर-बी’ ख़रीदने की माँग नये रूप से दर्ज़ की होने की ख़बर आ रही है।

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