भारत-यूएई द्वीपक्षीय व्यापार बढ़ाकर १०० अरब डॉलर्स करने का निर्धार

अबू धाबी – भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने अपना द्वीपक्षीय व्यापार अगले पांच सालों में बढ़ाकर १०० अरब डॉलर्स करने का निर्धार किया हैं। भारत के विदेशमंत्री जयशंकर के तीन दिवसीय यूएई यात्रा के दौरान दोनों देशों ने फिर से यह ऐलान किया। विदेशमंत्री जयशंकर और यूएई के विदेशमंत्री शेख अब्दुल्ला बिन झायेद अल नह्यान की मौजूदगी में दोनों देशों की १४ वीं ‘जॉर्इंट कमिशन’ की बैठक हुई। यह बैठक बड़ी कामयाब होने का बयान विदेशमंत्री जयशंकर ने किया है।

द्वीपक्षीय व्यापारभारत और यूएई ने १ मई २०२२ को मुक्त व्यापारी समझौता किया था। इसके बाद में द्विपक्षीय व्यापार मे हुई बढ़ोतरी पर दोनों देशों के विदेशमंत्री ने संतोष व्यक्त किया हैं। साथ ही अगले पांच सालों में द्विपक्षीय व्यापार १०० अरब डॉलर्स तक बढ़ाने का महत्वाकांक्षी ध्येय दोनों देशों ने सामने रखा हैं। साथ ही भारत के विभिन्न क्षेत्र में यूएई भारी मात्रा में निवेष कर रहा हैं और इसकी प्रगति की भी दोनों देशों के विदेशमंत्रियों की चर्चा में समीक्षा की गई। इसी दौरान ‘यूएई’ के ‘अन्वर गारगश डिप्लोमैटिक एकेडमी’ में व्याख्यान देते समय विदेशमंत्री जयशंकर ने अगले २५ सालों में विश्‍व मौजूदा विश्‍व से काफी अलग होगा, ऐसा कहकर इसमें यूएई का स्थान अहम होगा, यह दावा भी किया।

पूरे विश्‍व की अर्थव्यवस्थाएँ, राजनीतिक क्षेत्र और जनसांख्यिकी बदलावों पर ध्यान दिया तो अगले समय में विश्‍व अधिक बहुस्तंभीय होगा, यह अनुमान दर्ज़ करना मुमकिन होगा। ऐसें समय में भारत का यूएई के साथ जारी सहयोग काफी अहम होगा, यह विश्‍वास विदेशमंत्री जयशंकर ने इस व्याख्यान में व्यक्त किया। आनेवाले समय में भारत की जनसंख्या में युवाओं की मात्रा बढ़ती रहेगी और इससे भारत की उत्पादकता और प्रगति बढ़ेगी और इस कारण से सभी मोर्चों पर अग्रीम देश के तौर पर भारत आए आएगा, ऐसें दावे किए जा रहे हैं। अपने व्याख्यान में जनसांख्यिकी बदलावों का ज़िक्र करते हुए जयशंकर यह दाखिला दे रहे हैं। लेकिन आनेवाले दौर में विशश्‍व बहुस्तंभिय बनता हैं तो भी अमरीका की गिरावट होगी, यह दावा हमें स्वीकार नहीं हैं, यह ज़िक्र भी जयशंकर ने बड़ी तीव्रता से किया।

इसी बीच, आधुनिक और सुधार की विचारधारा रखनेवाले यूएई के साथ भारत का सहयोग बढ़ रहा हैं और आनेवाले दौर में इसका दायरा बढ़ेगा, यह भी जयशंकरने कहा। साथ ही र्इंधन से समृद्ध देश होने के बावजूद भविष्य का विचार करके यूएई ने हायड्रोजन पर आधारित अक्षय ऊर्जा पर काम शुरू किया हैं, इसके लिए जयशंकर ने यूएई की सराहना की।

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