भारत ने पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता कृति के माध्यम से साबित की – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

एल्माउ – पर्यावरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता कृति के माध्यम से साबित हो रही है। ‘जी ७’ देश इससे प्रेरणा लें, ऐसा संदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया। जर्मनी में जारी ‘जी ७’ की बैठक में प्रधानमंत्री बोल रहे थे। पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति भारत ने की कोशिश अधिक पुख्ता होने की बात पर प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान विकसित दशों का ध्यान आकर्षित किया। जर्मनी में इस बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने जर्मनी के चान्सलर एवं फ्रान्स, कनाड़ा, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया के राष्ट्राध्यक्षों से चर्चा की।

पर्यावरण‘इन्वेस्टिंग इन अ बेटर फ्युचर – क्लायमेट, एनर्जी, हेल्थ’ के विषय पर ‘जी ७’ की परिषद में आयोजित सेमिनार में प्रधानमंत्री बोल रहे थे। पेट्रोल में १० प्रतिशत इथेनॉल मिलाकर प्रदूषण कम करने का ध्येय भारत ने नियोजित समय से पांच महीने पहले ही प्राप्त किया है। पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर आधारित विश्‍व का पहला हवाई अड्डा भारत में कार्यरत है। इसके अलावा इस दशक में भारत का विशाल रेल नेटवर्क अपना कार्बन उत्सर्जन शून्य करेगा, यह जानकारी प्रधानमंत्री ने इस दौरान साझा की।

भारत जैसा विशाल देश यह परिवर्तन कर सकता है, यह देखकर अन्य विकसनशील देश इससे प्रेरणा ले सकते हैं। ऐसी स्थिति में ‘जी ७’ के सदस्य होनेवाले धनिक देश भारत की इस कोशिशों की सहायता करेंगे, यह विश्‍वास प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया। ऊर्जा के स्वच्छ विकल्पों की तकनीक का बड़ा बाज़ार भारत में विकसित हो रहा है। इससे संबंधित तकनीक में ‘जी ७’ के सदस्य देश भारी मात्रा में निवेश कर सकते हैं। नई तकनीक के लिए भारत का काफी बड़ा बाज़ार बहुत उपकारक साबित हो सकता है। नई तकनीक की भारत में हो रही माँग की वजह से यह तकनीक विश्‍व को अधिक सस्ती कीमत में उपलब्ध होगी, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा।

गरीब देश और इन देशों की जनता पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रही है, ऐसी गलतफहमी पूरे विश्‍व में है। लेकिन, भारत इस गलतफहमी का खंड़न करनेवाला देश है। प्राचीन समय में भारत ने काफी बड़ी समृद्धी का अनुभव किया है। साथ ही सदियों की गुलामी भी भारत ने बर्दाश्‍त की है। अब स्वतंत्र भारत विश्‍व में सबसे तेज़ प्रगति करनेवाली अर्थव्यवस्था बना है। लेकिन, इस पूरे दौर में भारत ने अपने पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता से कभी भी समझौता नहीं किया, इसका दाखिला प्रधानमंत्री ने इस दौरान बड़े गर्व से दिया।

विश्‍व की १७ प्रतिशत जनसंख्या भारत में है। इसके बावजूद विश्‍व की तुलना में भारत से कार्बन उत्सर्जन मात्र पांच प्रतिशत है। यह विरासत में प्राप्त हुई सहजीवन की तकनीक का प्रभाव होने का बयान प्रधानमंत्री ने इस दौरान किया।

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