परमाणु समझौता बचाने के लिए अमरीका और ईरान के बीच अप्रत्यक्ष चर्चा

us-iran-talks-nuclear-dealवियना/तेहरान/वॉशिंग्टन – वर्ष २०१५ में किए गए परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए अमरीका और ईरान के बीच अप्रत्यक्ष चर्चा शुरू हुई है। परमाणु समझौते को बचाने के लिए अमरीका ने सकारात्मक कदम उठाने का बयान अमरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राईस ने किया है। इसी बीच अपने चुनाव अभियान के दौरान किए गए वादे पूरे करने के लिए राष्ट्राध्यक्ष बायडेन के सामने यही अवसर होने का इशारा ईरान ने दिया है।

ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में अमरीका और ईरान के प्रतिनिधियों की अप्रत्यक्ष चर्चा जारी है। यूरोपिय महासंघ ने इसके लिए मध्यस्थता की भूमिका स्वीकारी है। इस चर्चा से पहले अमरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राईस ने माध्यमों से बातचीत के दौरान बायडेन प्रशासन ईरान के साथ सीधी बातचीत करने के लिए तैयार होने की बात स्पष्ट की। दोनों देशों की बातचीत का यह पहला चरण है। इस वजह से इसे तुरंत बड़ी कामयाबी प्राप्त होगी ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती, फिर भी अमरीका ने इसके लिए सकारात्मक कदम उठाया है, ऐसा प्राईस ने कहा। लेकिन, ईरान परमाणु समझौते में शामिल हो, ऐसी इच्छा रखता है तो प्रशासन के सामने परमाणु समझौते के मुद्दों पर कायम रहने के अलावा अन्य विकल्प ना होने की बात इरान के प्रवकता अली राबेई ने ड़टकर कही है। ‘नियमों से परे जाकर ईरान पर एक तरफा लगाए गए प्रतिबंध अमरीका के तुरंत हटाने होंगे। इस समझौते में जल्द से जल्द दोबारा शामिल कब होना है, इसका निर्णय संबंधित सदस्य देशों को करना ही होगा। इसके अलावा अन्य विकल्प नहीं है’, यह बात राबेई ने वियना की बैठक से पहले ही स्पष्ट की थी।

us-iran-talks-nuclear-dealसंयुक्त राष्ट्रसंघ में नियुक्त ईरान के राजदूत माजिद तख्त-रवांची ने अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष बायडेन पर ही हमला किया। बीते वर्ष चुनाव अभियान के दौरान बायडेन ने वर्ष २०१५ के परमाणु समझौते का दोबारा हिस्सा होने का ऐलान किया था। लेकिन, सरकार स्थापित करने के डेढ़ महीने बाद भी बायडेन प्रशासन ने परमाणु समझौते में शामिल होने के लिए कदम उठाया ना होने की बात रवांची ने कही। मंगलवार की चर्चा में ही अमरीका ने ईरान को प्रतिबंधों से मुक्त किया तो ईरान भी अपने परमाणु कार्यक्रम की गतिविधियाँ रोकेगा, ऐसा रवांची ने कहा। बायडेन प्रशासन अब तक अपनी ईरान संबंधित भूमिका में स्पष्ट तौर पर नाकाम हुआ है। लेकिन, उसके एक निर्णय से सभी का लाभ होगा, यह दावा भी रवांची ने किया।

us-iran-talks-nuclear-dealवर्ष २०१५ में ईरान, सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य और यूरोपिय महासंघ के बीच ‘जॉर्इंट कॉम्प्रिहेन्सिव प्लान ऑफ ऐक्शन’ (जीसीपीओए) समझौता हुआ था। अमरीका के उस समय के राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने ईरान के साथ इस परमाणु समझौते के लिए पहल की थी। लेकिन, इसके बाद अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने इस समझौते पर आलोचना की। इस समझौते के पीछे छुपकर ईरान परमाणु अस्त्रों का निर्माण करने में जुटा होने का आरोप ट्रम्प ने लगाया था। वर्ष २०१८ में ट्रम्प ने इस समझौते से पीछे हटकर ईरान पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे।

राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने अमरीका की सरकार बनाने के बाद ईरान के साथ फिर से परमाणु समझौता करेंगे, यह बात पहले ही स्पष्ट की थी। लेकिन, यह निर्णय करना आसान नहीं रहा। क्योंकि, अमरीका का विपक्ष और इस्राइल, सौदी एवं खाड़ी क्षेत्र के देश बायडेन की ईरान संबंधित भूमिका की ओर काफी बारिकी से देख रहे हैं। साथ ही ईरान की बढ़ती आक्रामकता बायडेन प्रशासन के लिए सरदर्द साबित हो रही है। ऐसी स्थिति में ईरान के साथ अप्रत्यक्ष बातचीत करके बायडेन प्रशासन ईरान के परमाणु समझौते में फिर से शामिल होने के लिए अनुकूल महौल निर्माण कर रहा है, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

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