‘अमरीका पाकिस्तानविषयक भूमिका पर पुनर्विचार करें’ : अफगानिस्तान स्थित अमरिकी सेना के अधिकारी की माँग

वॉशिंग्टन/काबुल/बंगळुरू, दि. १०: अमरीका के लगभग दस मान्यताप्राप्त अभ्यासगुटों के संयुक्त रिपोर्ट में, ट्रम्प प्रशासन को पाकिस्तानविषयक भूमिका सख़्त करने की सलाह दी गयी है; तभी अफगानिस्तान स्थित अमरिकी सेना के प्रमुख जॉन निकोल्सन ने भी अपने देश के नेतृत्व के पास, ‘पाकिस्तानविषयक नीति के बारे में दोबारा विचार करें’ ऐसी माँग की है| उनकी इस माँग को अफगानिस्तान के रक्षामंत्री ने समर्थन दिया है| वहीं, भारत दौरे पर आये अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष हमीद करझाई ने भी, अमरीका से इसी तरह की उम्मीद ज़ाहिर की है|

Hamid Karzai

‘तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के आतंकवादियों से अफगानिस्तान को सबसे बड़ा खतरा है| लेकिन इस आतंकी संगठन के प्रमुख पाकिस्तान में खुलेआम घुम रहे हैं| जब तक इस आतंकी संगठन को पाकिस्तान से मदद मिलती रहेगी, तब तक यह संगठन अमरीका के साथ बातचीत करने के लिए तैय्यार नही होगा| अब तक इस आतंकी संगठन के खिलाफ कार्रवाई करने में मिली विफलता के पीछे, पाकिस्तान से इस आतंकी संगठन को मिल रहा आश्रय जिम्मेदार है| ऐसी परिस्थिति में, पाकिस्तान के साथ रहनेवाले अमरीका के संबंधों पर पुनर्विचार करने की जरूरत निर्माण हुई है’, इन तीखे शब्दों में जनरल जॉन निकोल्सन ने पाकिस्तान के आतंकी नीति को लक्ष्य बनाया|

अमरीका के नये रक्षामंत्री भी इस पर जरूर विचार करेंगे, ऐसा भरोसा जनरल निकोल्सन ने जताया| इस दौरान, अफगानिस्तान के रक्षामंत्री ने जनरल निकोल्सन की माँग को समर्थन दिया| साथ ही, तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के साथ साथ कुछ और आतंकी संगठन भी इसमें शामिल करें, ऐसी माँग की| साथ ही, अफगानिस्तान में अमरीका के समेत नाटो सैनिकों की तादाद बढाने की योजना को भी अफगानी रक्षामंत्री ने समर्थन दिया| इसके अलावा अब भारत दौरे पर आ चुके अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष हमीद करझाई ने, अफगानिस्तान की अस्थिरता और हिंसाचार को पाकिस्तान में आतंकवादियों को मिल रहा आश्रय जिम्मेदार है, ऐसा इल्जाम लगाया|

‘मुझे पाकिस्तान के लोगों के बारे में बहुत प्यार है| लेकिन पाकिस्तान की सेना द्वारा आतंकवादियों को की जा रही मदद पर मुझे ऐतराज़ है| पाकिस्तान के आतंकी अड्डें अमरीका नष्ट करें, वरना यह समस्या खत्म नहीं होगी| लेकिन अमरीका इस संदर्भ में बहुत उलझानेवाले और विरोधी संदेश दे रही है, ऐसी आलोचना करझाई ने की|

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१९८० के दशक के बाद रशिया और चीन इन देशों ने अफगानिस्तान में विशेष भूमिका नहीं निभायी थी| लेकिन इस समय इन देशों का अफगानिस्तान में प्रभाव बढ रहा है| अफगानिस्तान की अमरीकाकेंद्री रक्षासंदर्भ नीति में इसी कारण बदलाव होते नजर आ रहे हैं| रशिया और चीन ये अफगानिस्तान के नज़दीकी देश होकर, उनकी कार्रवाई का अफगानिस्तान पर जल्द असर दिखाई देता है, इस बात पर करझाई ने ग़ौर फ़रमाया|

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