‘आर्मेनिया-अझरबैजान’ सीमा पर संघर्ष के कारण नया तनाव – सात जवानों की मृत्यु होने का दावा

ब्रुसेल्स/वॉशिंग्टन/मॉस्को – पिछले 24 घंटों में आर्मेनिया-अझरबैजान सीमा पर फिर से संघर्ष भड़क गया है। अज़रबैजान ने नागोर्नो-काराबाख सीमा में बसे गाँव पर ड्रोन तथा मॉर्टर्स के हमले करने का तथा एक गाँव पर कब्ज़ा करने का दावा आर्मेनिया ने किया है। इस समय हुई मुठभेड़ों में दोनों तरफ के सात जवानों की मृत्यु हुई होकर 10 से अधिक लोग घायल हुए बताए जाते हैं। अझरबैजान ने इन दावों का खंडन किया होकर, आर्मेनिया अपप्रचार कर रहा होने का आरोप किया है। पिछले चार महीनों में आर्मेनिया-अझरबैजान के बीच दूसरी बार संघर्ष भड़क उठा है।

‘आर्मेनिया-अझरबैजान’ सीमा पर संघर्ष के कारण नया तनाव - सात जवानों की मृत्यु होने का दावागुरुवार शाम से अझरबैजान की सेना द्वारा हमलों की शुरुआत की गई। अझरबैजान की सेना ने नागोर्नो-काराबाख के फारुख नामक गाँव में प्रवेश करके उस पर कब्ज़ा करने की बात सामने आई है। इस समय स्थानिक लष्करी टुकड़िया तथा रशियन शांति सेना के जवानों ने प्रत्युत्तर ना देने के कारण अचरज ज़ाहिर किया जा रहा है। अझरबैजान की सेना द्वारा हमले के लिए तुर्की ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया।

इस मुठभेड़ में नागोर्नो-काराबाख स्थित दो आर्मेनियन जवानों की जान गई होकर 5 जवान जख्मी हुए हैं। अझरबैजान के 5 जवान मारे गए होकर, कई जवान घायल हुए हैं, यह भी आर्मेनिया द्वारा बताया गया। नवंबर महीने के बाद आर्मेनिया और अझरबैजान के बीच दूसरी बार संघर्ष हुआ है। उस समय समय हुए संघर्ष में 22 जवानों की मृत्यु हुई थी। ‘आर्मेनिया-अझरबैजान’ सीमा पर संघर्ष के कारण नया तनाव - सात जवानों की मृत्यु होने का दावालेकिन रशिया ने फौरन मध्यस्थता करके संघर्ष विराम करवाया था। लेकिन इन दिनों रशिया युक्रेन के संघर्ष में उलझा रहा होने के कारण आर्मेनिया-अझरबैजान के बीच की मुठभेड़ों को वह अनदेखा करने की संभावना ज़ाहिर की जा रही है। नये संघर्ष पर अमरीका द्वारा प्रतिक्रिया आई होकर, अझरबैजानी लष्कर की गतिविधियों पर तीव्र चिंता ज़ाहिर की गई है।

सन 2020 में आर्मेनिया और अझरबैजान के बीच 44 दिन का संघर्ष भड़का था। नागोर्नो-काराबाख पर नियंत्रण करने के मुद्दे पर भड़के हुए इस संघर्ष में 6500 से अधिक लोगों की मृत्यु होने का दावा किया जाता है। अझरबैजान को इस संघर्ष में जीत हासिल हुई थी। आर्मेनिया के विरोध में इस संघर्ष में तुर्की तथा पाकिस्तान ने अझरबैजान की सहायता की होने का आरोप उस समय हुआ था। रशिया की मध्यस्थता के बाद ही यह संघर्ष रुका था।

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