रशिया से सहयोग करने के मुद्दे पर भारत को अमरीका की नई धमकी

वॉशिंग्टन – रशिया से ईंधन की खरीद करना भारत के हित में नहीं है। भारत को इसका अहसास करा दिया गया है, ऐसे सूचक शब्दों में अमरीका ने फिर एक बार भारत को धमकी दी। लेकिन भारत रशिया से ईंधन की खरीद ना करें, यह बतानेवाली अमरीका ही रशिया से, पहले से भी अधिक मात्रा में ईंधन की खरीद कर रही है। रशियन माध्यमों ने अमरीका का यह दोगलापन जगज़ाहिर किया। पिछले हफ्ते में ही अमरीका ने रशिया से १ लाख बैरल प्रतिदिन इतने बड़े पैमाने पर ईंधन की खरीद की होने की जानकारी रशियन माध्यमों ने दी है।

रशिया से सहयोग करने के मुद्दे पर भारत को अमरीका की नई धमकीपिछले कुछ हफ्तों से अमरीका भारत पर दबाव बनाकर, रशिया के साथ भारत का सहयोग रोकने की कोशिश कर रही है। भारत के दौरे पर आए अमरीका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलिप सिंग ने ठेंठ शब्दों में इस संदर्भ में भारत को धमकाया था। अगर रशिया से ईंधन की खरीद की और अगर यह व्यवहार रूपया-रूबल में हुआ, तो उसके गंभीर परिणाम संभव हैं, ऐसी चेतावनी दलिप सिंग ने दी थी। चीन ने अगर भारत के साथ युद्ध का ऐलान किया, तो चीन का जूनियर पार्टनर होनेवाला रशिया उस समय भारत की मदद नहीं करेगा, ऐसी चेतावनी दलिप सिंग ने दी थी।

अमरीका के व्हाईट हाऊस की माध्यम सचिव जेन साकी ने कहा है कि दलिप सिंग ने इसका एहसास भारत को करा दिया है कि रशिया से ईंधन की खरीद करना भारत के हित में नहीं साबित होगा। उनके ये बयान जारी हो रहे हैं कि तभी अमरीका का रक्षा मुख्यालय होनेवाले पेंटागन ने भी भारत-रशिया के एस-400 के व्यवहार पर चिंता ज़ाहिर की है। पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा है कि भारत-रशिया के इस व्यवहार पर अमरीका को चिंता प्रतीत हो रही है। इस कारण अमरीका भारत पर हर संभव दबाव बनाकर, रशियाविषयक नीति बदलने के लिए मजबूर करने के सपने देख रही है, यह बात सामने आ रही है।

रशिया से सहयोग करने के मुद्दे पर भारत को अमरीका की नई धमकीभारत रशिया से अपनी कुल माँग के लगभग एक से दो प्रतिशत इतने ही प्रमाण में ईंधन की खरीद कर रहा है। भारत से कई गुना अधिक ईंधन की खरीद रशिया से युरोपीय देश कर रहे हैं। अन्य देशों को इस संदर्भ में नसीहत देनेवाली अमरीका, स्वयं भी रशिया से ईंधन की खरीद कर रही है, इस बात पर रशियन माध्यमों ने गौर फरमाया। इससे अमरीका का दोगलापन सामने आया होकर, केवल भारत-रशिया संबंधों को चुनौती देने के लिए ही अमरीका का बायडेन प्रशासन यह चाल चल रहा दिखाई देता है। लोकतंत्रवादी भारत अपना निकटतम सहयोगी देश है ऐसे दावे करनेवाले राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने सत्ता में आते ही भारत को लक्ष्य करनेवाली नीतियाँ अपनाई हैं। बायडेन सत्ता में आने से पहले ही कुछ विश्लेषकों ने इस संदर्भ में भारत की सरकार को चेतावनी दी थी।

चाहे कुछ भी हो जाए, भारत रशिया के विरोध में नहीं जाएगा, इसका बायडेन प्रशासन कोई यकीन हो चुका है। इसके बावजूद भी इसके लिए भारत पर दबाव बनाकर अमरीका भारत को अपने प्रतिबंधों के चंगुल में फँसाने की धमकी दे रही है। लेकिन वास्तव में इन प्रतिबंधों से भारत की अपेक्षा अमरीका का ही अधिक नुकसान होने की संभावना है। अमरीका के कुछ सिनेटर्स ने इस बात पर बायडेन प्रशासन का गौर फरमाया था। लेकिन अमरीका के प्रतिद्वंद्वियों के बजाय मित्र देशों को ही लक्ष्य करने की आत्मघाती नीति बायडेन प्रशासन ने अपनाई है। भारत जैसे देश को धमकियाँ देकर बायडेन प्रशासन अपनी इस बेतुकी नीति को अधिक तेज़ी से आगे ले जाने की कोशिश करता दिखाई दे रहा है।

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