पसिफिक क्षेत्र में किसी एक देश का एकाधिकार नही – चीन से अपने विरोधी देशों चेतावनी

बीजिंग: इंडो-पसिफिक क्षेत्र में लष्करी सहयोग बढाने के लिये सिंगापूर में भारत, अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख नेताओं की चर्चा होनी है| इस पर बेचैन हुए चीन से अपेक्षित प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है| ‘पसिफिक’ क्षेत्र किसी एक देश की एकाधिकार नही हो सकता, यह दावा चीन के उप विदेशमंत्री ने किया है| साथ ही कुछ देश शीतयुद्ध के दौरान बनी विचारधारा छोड दे, ऐसी सलाह भी उन्होंने दी है|

पिछले कुछ दिनों से अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इंडो-पसिफिक क्षेत्र में यातायात की स्वतंत्रता और अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करने के लिये अनुरोध कर रहे है| फिल हाल चीन ने अंतरराष्ट्रीय नियम लांघ कर इस क्षेत्र में अपने बल का प्रदर्शन शुरू किया है| चीन के इस रवैये के विरोध में अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया गतिरोध कर रहे है| ब्रिटेन और फ्रान्स यह युरोपिय देशों को भी इस क्षेत्र में चीन के बढते प्रभाव से खतरे का एहसास हो रहा है| इस दौरान चीन के गैर जिम्मेदाराना बर्ताव के विरोध में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहमती बन रही है|

पसिफिक क्षेत्र, एक देश, एकाधिकार, नही,  चीन, विरोधी देशों, चेतावनीअमरिकन नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी ने इंडो-पसिफिक क्षेत्र में भारत सहयोग बढाए, ऐसी आशा जताई है| जापान और ऑस्ट्रेलिया भी भारत को इसी तरह की अपील कर रहे है| सिंगापूर में हो रही ‘इस्ट एशिया समिट’ के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह जापान और ऑस्ट्रेलिया के अहम नेताओं के साथ चर्चा करेंगे| इस चर्चा में ‘इंडो-पसिफिक’ क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता यह मुद्दे आगे रहेंगे| इस कारण बेचैन हुए चीन ने विरोध जताना शुरू किया है|

चीन के उप विदेशमंत्री झेंग झेंगुआंग इन्होंने कुछ देश अभी भी शीतयुद्ध के विचारधारा में अटके हुए है, ऐसी टिप्पणी की है| लेकिन अब यह विचारधारा पुरानी हो चुकी है और पसिफिक क्षेत्र किसी भी एक देश की एकाधिकार का हिस्सा नही हो सकता, यह झेंगुआंग ने कहा है| सभी देशों ने सहयोग से इस क्षेत्र की देशों को विकसित करना और शांती एवं स्थिरता के लिये योगदान देने की जरूरत है, यह? भी उन्होंने आगे कहा| चीन इस के लिये कोशिश कर रहा है, यह संकेत भी झेंगुआंग इन्होंने इस दौरान दिये है|

वास्तव में पसिफिक और हिंद महासागर क्षेत्र की देशों को अपने कर्जे के चंगुल में फांस कर चीन उनसे नैसर्गिक संपत्ती और अहम बंदरगाह कब्जे में करने की तैयारी में है, ऐसा स्पष्ट तौर पर दिख रहा है|

श्रीलंका का हंबंटोटा बंदरगाह चीनने इसी तरीके से हथियाया था| अमरिका ने भी इस घटना पर ध्यान दिया है और चीन के इस शिकारी अर्थ नीति के भयंकर परिणामों से सतर्क रहने की चेतावनी अमरिका के रक्षामंत्री जेम्स मैटिस इन्होंने दी थी| इंडो-पसिफिक क्षेत्र में भी चीन यही खेल शुरू कर रहा है और यहा के छोटे देशों पर प्रभाव बढाने के लिये आर्थिक क्षमता का इस्तमाल कर रहा है| जो देश चीन के निवेश से सतर्कता बरत देशों को धमकाने की कोशिश चीन कर रहा है|

इंडो-पसिफिक क्षेत्र अपने प्रभाव में लाने की चीन की कोशिश संपूर्ण विश्‍व के लिये खतरा बनेगी, यह एहसास हुए देश चीन के विरोध में भुमिका अपना रहे है| भारत, अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन देशों में विकसित हो रहा ‘क्वाड’ सहयोग इसी चीन विरोधी रणनिती का हिस्सा माना जा रहा है| सिंगापूर में ‘क्वाड’ देशों की नेताओं में हो रही चर्चा इसी वजह से चीन को बेचैन कर रही है|

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