पुरानी वैश्‍विक व्यवस्था फिर से स्थापित नहीं होगी – रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन की चेतावनी

मास्को – ‘यूक्रेन युद्ध से पहले थी वैसी वैश्‍विक व्यवस्था फिर से स्थापित होगी, यह विचार गलत है। विश्‍व में मौजूदा समय में हो रहे बदलाव बुनियादी, क्रांतिकारी एवं अपरिवर्तनीय हैं’, ऐसी कड़ी चेतावनी रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने दी। कुछ पश्‍चिमी देश इसे अनदेखा कर रहे हैं और उन्हें पश्‍चिमी देशों का प्रभाव कायम रहेगा, यह गलतफहमी भी हुई है, इस पर भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने ध्यान आकर्षित किया।

रशिया में ‘सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनैशनल इकॉनॉमिक फोरम’ का आयोजन किया गया है। शुक्रवार को इस कार्यक्रम में बोलते समय राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने पश्‍चिमी देशों की कड़ी आलोचना की। ‘अशांत और अस्थिर समय में हुए बदलाव मिटकर सब कुछ पहले की तरह सामान्य होगा, ऐसा अनुमान जताना गलत होगा। सबकुछ पहले था, वैसा नहीं रहेगा। लेकिन, पश्‍चिमी देशों के धनिक शासकों को इन बदलावों पर गौर ही नहीं करना है। उन्हें उनके अतीत की स्थिति को पकड़कर बैठना है’, ऐसा आरोप पुतिन ने लगाया।

‘वैश्‍विक राजनीति और अर्थव्यस्था में मौजूद पश्‍चिमी देशों का वर्चस्व यानी स्थिर और शाश्‍वत मूल्यों की भावना कुछ पश्‍चिमी देशों ने रखी है। लेकिन, कुछ भी शाश्‍वत नहीं है, यह जान लें। शीतयुद्ध में जीतने के बाद अमरीका का विचार है कि, उसी धरती पर ईश्‍वर के दूत ‘गॉडस्‌मेसेंजर’ हैं। इस दूत के लिए किसी भी तरह की ज़िम्मेदारियाँ नहीं हैं। उनके सिर्फ संबंध हैं और यह संबंध पवित्र हैं, ऐसी अमरीका की सोच है, ऐसे तीखे शब्दों में पुतिन ने अमरीका के साथ पश्‍चिमी देशों को आड़े हाथों लिया।

‘एकस्तंभी विश्‍व की संकल्पना असल में सदोष थी क्योंकि, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के निकष कभी भी सिर्फ एक ही ताकतवर देश की ओर झुकाव दिखाकर तय नहीं किए जाते। पिछले कुछ दशकों में विश्‍व में सत्ता के नए केंद्र उभर रहे हैं। उन्हें उनके संबंध और सार्वभौमता की रक्षा करने का पूरा अधिकार है। लेकिन, अमरीका इस बात को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं है’, ऐसी आलोचना रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने की। इस दौरान पुतिन ने यूरोपिय देशों की भी जोरदार आलोचना की।

‘यूरोपिय महासंघ ने अपनी राजनीतिक संप्रभुता खो दी है और महासंघ का नेतृत्व दूसरों के इशारों पर नाचकर निर्णय कर रहा है। ऊपर से जो कुछ कहा जाता है, उस पर महासंघ सिर्फ कार्यान्वयन करता है। इससे देश की अर्थव्यवस्था और जनता बेहाल हो तब भी उस पर ध्यान नहीं दिया जाता’, यह आरोप राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने लगाया। यूरोपिय महासंघ के नेतृत्व जो नीति अपना रही है उससे पश्‍चिमी देशों की आर्थिक और सामाजिक एवं सैद्धांतिक स्तर की दूरी अधिक बढ़ती रहेगी, यह इशारा भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने दिया।

‘यूरोपियन नेतृत्व सच्चाई से परे हटकर जनता की माँगों को अनदेखा करता रहा तो इन देशों में लोकलुभावन समूह एवं आक्रामक विचारधारा की गतिविधियां बलवान होंगी। इससे गंभीर आर्थिक और सामाजिक बदलाव एवं मूल्यों का नुकसान होगा और करीबी भविष्य में उच्च वर्गीय नेतृत्व में बड़े बदलाव होंगे’, यह इशारा भी रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने दिया।

जर्मनी के चान्सलर ओलाफ शोल्झ ने कुछ दिन पहले माना था कि, पुतिन ने यूक्रेन पर किए हमले से वैश्‍विकीकरण की प्रक्रिया को बड़ा नुकसान पहुँचा है। इसके कारण नए बहुस्तंभीय विश्‍व ने आकार लिया है और वैश्वीकरण के चरण का अन्त शुरू हुआ है, ऐसा दावा भी चान्सलर शोल्झ ने किया था। जर्मनी के चान्सलर ने पेश की हुई यह रचना रशियन राष्ट्राध्यक्ष केए दावे से मेल रखती है। यूक्रेन युद्ध के बाद अमरीका की क्षमता और उससे अधिक विश्‍वासार्हता खतरे में है। इस वजह से पूरे विश्‍व में मौजूद सहयोगी और मित्रदेश अमरीका को शक की नजर से देखने लगे हैं। खाड़ी क्षेत्र एवं इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में इसकी गूंज तीव्रता से सुनाई दे रही है।

ऐसी स्थिति में राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने ऐलान किया कि, अमरीका के नेतृत्व पर आधारित पुरानी वैश्‍विक व्यवस्था टूट गई है और यह व्यवस्था फिर से स्थापित नहीं होगी, यह संदेश भी उन्होंने विश्‍व को दिया है।

एवं आक्रामक विचारधारा की गतिविधियों का बल प्राप्त होगा। इससे गंभीर आर्थिक और सामाजिक बदलाव एवं मूल्यों का नुकसान होगा और करीबी भविष्य में उच्च वर्गीय नेतृत्व में बड़े बदलाव होंगे’, यह इशारा भी रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने दिया।

जर्मनी के चान्सलर ओलाफ शोल्झ ने कुछ दिन पहले माना था कि, पुतिन ने यूक्रेन पर किए हमले से वैश्‍विकीकरण की प्रक्रिया को बड़ा नुकसान पहुँचा है। इसके कारण नए बहुस्तंभीय विश्‍व ने आकार लिया है और वैश्वीकरण के चरण का अन्त शुरू हुआ है, ऐसा दावा भी चान्सलर शोल्झ ने किया था। जर्मनी के चान्सलर ने पेश की हुई यह रचना रशियन राष्ट्राध्यक्ष केए दावे से मेल रखती है। यूक्रेन युद्ध के बाद अमरीका की क्षमता और उससे अधिक विश्‍वासार्हता खतरे में है। इस वजह से पूरे विश्‍व में मौजूद सहयोगी और मित्रदेश अमरीका को शक की नजर से देखने लगे हैं। खाड़ी क्षेत्र एवं इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में इसकी गूंज तीव्रता से सुनाई दे रही है।

ऐसी स्थिति में राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने ऐलान किया कि, अमरीका के नेतृत्व पर आधारित पुरानी वैश्‍विक व्यवस्था टूट गई है और यह व्यवस्था फिर से स्थापित नहीं होगी, यह संदेश भी उन्होंने विश्‍व को दिया है।

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