क्रान्तिगाथा-९४

क्रान्तिगाथा-९४

‘मुण्डा’ आदिम जनजातिद्वारा अँग्रेज़ों के खिलाफ किये गये संघर्ष में उन्हें उन्हीं की जनजाति में से एक युवक का नेतृत्व प्राप्त हुआ था। इस युवक का नाम था – बिरसा मुण्डा। आज भारत स्वतंत्र होकर इतना समय बीत जाने के बाद भी इस देशभक्त का नाम भारतीयों के स्मरण में है। १५ नवंबर १८७५ में […]

Read More »

११७. भारतमित्र इस्रायल

११७. भारतमित्र इस्रायल

भारत तथा इस्रायल ये हालॉंकि क्रमानुसार सन १९४७ एवं १९४८ में बतौर स्वतंत्र देश अस्तित्व में आये, मग़र फिर भी भारत एवं इस्रायल के बीच के अनौपचारिक संबंध सैंकड़ों साल पुराने हैं| पहले ज्यूधर्मीय भारत में तक़रीबन दो हज़ार वर्ष पहले आये, ऐसा बताया जाता है| फिर अगली कुछ सदियों में विभिन्न स्थानों से ज्यूधर्मियों […]

Read More »

११५. इस्रायल की महाप्रभावी गुप्तचरसंस्था- मोस्साद

११५. इस्रायल की महाप्रभावी गुप्तचरसंस्था- मोस्साद

    ‘रफी ऐतान’, ‘एली कोहेन’, …. इन नामों से शायद इस्रायली जनता परिचित हो सकती है, लेकिन दुनिया के अन्य लोग इन नामों से परिचित होंगे ही, ऐसा नहीं है| लेकिन ये हैं, इस्रायल में मानो दंतकथा (‘लिजेंड्स’) ही बन चुके हीरोज् के नाम – इस्रायल की विश्‍वविख्यात गुप्तचरसंस्था ‘मोस्साद’ के सिक्रेट एजंट्स के […]

Read More »

११३. सदा संघर्षग्रस्त इस्रायल-२

११३. सदा संघर्षग्रस्त इस्रायल-२

    सन १९५६ के सुएझ युद्ध के बाद आंतर्राष्ट्रीय पटल पर इस्रायल का दबदबा बहुत ही बढ़ गया गया था| लेकिन सशस्त्र पॅलेस्टिनी अरबों से इस्रायल पर होनेवाले हमलें कुछ कम नहीं हुए थे, बल्कि वे धीरे धीरे बढ़ते ही जा रहे थे| इस कारण पहले के दशकों की तरह ही, युद्धों के बीच […]

Read More »

११२. सदा संघर्षग्रस्त इस्रायल-१

११२. सदा संघर्षग्रस्त इस्रायल-१

    अथक संघर्ष के बाद ‘एक देश’ के रूप में इस्रायल का जन्म हुआ| उससे पहले के लगभग तीन हज़ार वर्ष ज्यूधर्मीय निरंतर संघर्ष करते आये थे और उस उस समय की विभिन्न ताकतवर सत्ताओं की ग़ुलामी में फँस रहे थे| सन १९४८ में इस्रायल ने आज़ादी प्राप्त की| लेकिन उसके बाद भी, एक […]

Read More »

११०. सदा सुसज्जित ‘आयडीएफ’

११०. सदा सुसज्जित ‘आयडीएफ’

इस्रायल देश उसके जन्म से ही इतने संघर्षों में उलझा है कि आज हम यदि इंटरनेट पर ‘इस्रायल’ सर्च करते हैं, तो प्रायः इस्रायल से संबंधित किसी न किसी संघर्ष की ही, युद्ध की ही ख़बर ऊपर दिखायी देती है| इससे यह पता चलता है कि इस देश के लिए सेनादलों की कितनी अहमियत है| […]

Read More »

क्रान्तिगाथा-८८

क्रान्तिगाथा-८८

दक्षिण भारत के आंध्रप्रदेश में स्थित विझागपटम् के पहाड़ी इलाके में राम्पा नामक आदिम जनजाति सदियों से बस रही थी। कई सदियों से ये लोग आजादी का अनुभव कर रहे थे। अन्य आदिम जनजातियों के तरह ये लोग भी परंपरागत व्यवसाय कर रहे थे। ताड़ के पेड़ का रस जिसे प्रारंभिक अवस्था में नीरा और […]

Read More »

१०५. विज्ञान-तंत्रज्ञान क्षेत्र में उड़ान

१०५. विज्ञान-तंत्रज्ञान क्षेत्र में उड़ान

ज़रूरत यह खोज की माता होती है, ऐसा बोला जाता है| मानवी इतिहास में आज तक की गयीं प्रायः सभी खोजें, उनसे संबंधित कुछ न कुछ ज़रूरत के निर्माण होने के बाद ही हुईं दिखायी देती हैं| आज के दौर में जो समाज अपनी ज़रूरतों को पहचानकर, उनकी पूर्ति करने की दृष्टि से विज्ञान-तंत्रज्ञान (सायन्स […]

Read More »

क्रान्तिगाथा-८७

क्रान्तिगाथा-८७

१८वीं सदी के उत्तरार्ध से यानी कि अँग्रेज़ों का भारत में प्रवेश होने के बाद इन आदिम जनजातियों ने अँग्रेज़ों के खिलाफ़ लड़ना शुरू किया। सन १७७४–७९ में छत्तीसगड की हलबा नामक जनजाति अँग्रेज़ों से लडने के लिए सिद्ध हो गयी। सन १७७८ में छोटा नागपूर के पहारिया सरदार अँग्रेज़ों के खिलाफ़ खड़े हुए। १९वीं […]

Read More »

समय की करवट (भाग ८०) – व्हिएतनाम युद्ध तो ख़त्म हुआ, लेकिन….

समय की करवट (भाग ८०) – व्हिएतनाम युद्ध तो ख़त्म हुआ, लेकिन….

‘समय की करवट’ बदलने पर क्या स्थित्यंतर होते हैं, इसका अध्ययन करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। इसमें फिलहाल हम, १९९० के दशक के, पूर्व एवं पश्चिम जर्मनियों के एकत्रीकरण के बाद, बुज़ुर्ग अमरिकी राजनयिक हेन्री किसिंजर ने जो यह निम्नलिखित वक्तव्य किया था, उसके आधार पर दुनिया की गतिविधियों का अध्ययन कर रहे […]

Read More »
1 5 6 7 8 9 18