पाकिस्तान के सेनाप्रमुख ने भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए दबाव बनाया था – पूर्व प्रधानमंत्री इम्रान खान का दावा

लाहोर – हम प्रधानमंत्री थे तब के समय के सेनाप्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने भारत के साथ संबंधों में सुधार करने के लिए दबाव बनाया था। लेकिन, हमने इसे स्वीकार नहीं किया। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा बहाल करने वाली धारा ३७० भारत फिर से लागू करता नहीं हैं तब तक भारत से चर्चा मुमकिन नहीं हैं, ऐसी पुख्ता भूमिका हमने अपनाई थी, ऐसा दावा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने की। पाकिस्तान में फिलहाल आटा पाने के लिए लगी लंबी कतारों में अब तक लोग मारे गए हैं। पाकिस्तान के भारत के साथ अच्छे ताल्लुकात होते तो यह संकट हमारे देश पर नहीं टूटता। लेकिन, इस स्थिति के लिए हम ही ज़िम्मेदार हैं, यही बात सार्वजनिक करके प्रधानमंत्री इम्रान खान इसपर अभिमान व्यक्त कर रहे हैं। पाकिस्तान की राजनीति का फिसला स्तर इससे फिर एक बार विश्व के सामने आया है।

भारत के साथ संबंधलाहोर के झमान पार्क में दिए एक साक्षात्कार के दौरान इम्रान खान ने पूर्व सेनाप्रमुख बाजवा की आलोचना की। बाजवा को भारत के साथ अच्छे ताल्लुकात बनाने थे। इसके लिए उन्होंने हमपर दबाव बनाया। लेकिन, उनका कहना हमने स्वीकार नहीं किया, यह कहकर इम्रान खान ने अपनी बड़ी भूल की बड़े गर्व से कबुली दी। पाकिस्तान के चरम भारत द्वेषी कहे ा रहे पत्रकार और विश्लेषक फिलहाल अपने देश की बनी बड़ी कमज़ोर स्थिति को देखकर भारत के संबंधों में सुधार करने करने की मांग कर रहे हैं। भारत के संबंधों में सुधार हुआ तो पाकिस्तान की आम जनता को गेंहू और चावल से सब्ज़ी तक की सब कुछ सस्ते में उपलब्ध होगा, इसका अहसास इन भारत द्वेषी लोगों को हुआ हैं। इसके अलावा श्रीलंका, नेपाल और बांगलादेश इन पड़ोसी देशों को अरबों डॉलर्स की सहायता मुहैया कर रहा भारत पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को भी बचा सकता है, यह भी भारत द्वेषी लोगों का गुट स्वीकार करने लगा है।

इसी वजह से भारत पाकिस्तान की सहायता करें, ऐसी मांग पाकिस्तान में होने लगी है। इसके साथ ही भारत को प्रगति की राह पर आगे बढ़ा रहे नेतृत्व की पाकिस्तान में सराहना शुरू हुई है। भ्रष्ट और खराब बुद्धिमत्ता के नेताओं की वजह से पाकिस्तान की यह स्थिति हुई है। एक ओर भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महाशक्ति बनकर उभरने की तैयारी कर रहा हैं। वहीं, दूसरी ओर पाकिस्तान एक अरब डॉलर्स कर्ज सहायता पाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के सामने गिड़गिड़ा रहा हैं। यह फरक पाकिस्तानी जनता को नज़र आ रहा हैं और भारत की आर्थिक एवं विज्ञान-प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हुई प्रगति को पाकिस्तान की जनता बेबसी में देख रही हैं। साथ ही भारत में गरीबों को प्राप्त हो रहे मुख्त अनाज़ से पाकिस्तान की तुलना में काफी कम कीमत पर उपलब्ध सब्ज़ी और फलों को देखकर पाकिस्तान की जनता अपने नेताओं की आलोचना कर रही हैं।

पाकिस्तान में महंगाई का भारी उछाल हुआ हैं और भारत से आवश्यक सामान की आपूर्ति पाकिस्तान को बड़ी आसानी से हो सकती हैं। इससे कीमतों का उछाल बर्दाश्त नहीं करना होगा, इसे समझे पाकिस्तानी नागरिकों ने अब सीधे भारत को सहायता देने की बिनती की थी। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की सरकार ने भारत से यह सहायता पाने के लिए ताल्लुकात सुधारने की तैयारी भी दर्शायी थी। लेकिन, विपक्षी नेता इम्रान खान ने पाकिस्तान के सरकार भारत के सामने घुटने टिक रही हैं, यह आरोप लगाना शुरू किया। इस वजह से प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को पीछे हटना पड़ा।

इस पृष्ठभूमि पर इम्रान खान ने फिर से अपनी भारत विरोधी राजनीति आगे बढ़ाकर हम ही अधिक राष्ट्रवादी होने का प्रचार शुरू किया है। पूर्व सेनाप्रमुख जनरल बाजवा भारत की ओर झुकाव रखते है, ऐसी इम्रान खान ने की हुई आलोचना पाकिस्तान की अंदरुनि राजनीति विद्वेष पर खड़ी होने का संदेश दे रही है। इससे अन्य किसी को नहीं, बल्कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को ही नुकसान पहुंच रहा हैं और ऐसी खराब राजनीति के कारण पाकिस्तान के टुकड़े होने का समय बना है, फिर भी हमारे नेताओं को इसकी परवाह नहीं। वह अपना स्वार्थ पाने में मशगूल हैं, ऐसी तीखीं आलोचना कुछ पत्रकार और विश्लेषक कर रहे हैं।

सेनाप्रमुख होते हुए जनरल बाजवा ने कुछ पत्रकारों से भारत के साथ ताल्लुकात सुधारना पाकिस्तान के हित में होगा, ऐसा कहा था। इससे पाकिस्तान की कई समस्याओं का हल निकलेगा, यह विश्वास बाजवा रखते थे। इसी वजह से उन्होंने खुलेआम भारत को मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार करने के लिए मार्ग खुला करने की तैयारी भी दर्शायी थी। 

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