यूक्रैन के मसले पर भारत, रशिया के नहीं अमरीका के पक्ष में रहे – अमरीका के विदेश मंत्रालय का संदेश

वॉशिंग्टन – यूक्रैन के मसले पर भारत, रशिया के नहीं बल्कि अमरीका के पक्ष में रहे, यह संदेश अमरीका के विदेश मंत्रालय ने दिया है| इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में वर्चस्ववादी हरकतें करने वाले चीन के खिलाफ ‘क्वाड’ की एकजुट है| इसी तरह यूरोप में दबंगाई करने वाले रशिया के खिलाफ भी पुख्ता भूमिका अपनाना आवश्यक है, ऐसा बयान अमरीका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राईस ने किया है| चीन के वर्चस्ववाद का विरोध करते हैं तो रशिया का भी उतना ही तीव्र विरोध करना पडेगा, यह इशारा प्राईस ने दिया है| भारत यूक्रैन के विवाद में किसी एक का पक्ष ना लेते हुए तटस्थ रहा है|

india-russia-side-us-2यूक्रैन पर हमला नहीं करेंगे, यह रशिया द्वारा लगातार कहे जाने के बावजूद अमरीका का बायडेन प्रशासन इस बात पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं है| रशिया किसी भी क्षण यूक्रैन पर हमला करेगी और इसका वजह भी बताएगी, यह चिंता बायडेन प्रशासन व्यक्त कर रहा है| लेकिन, इस दावे को नाटो के यूरोपियन सदस्य देशों से भी समर्थन नहीं मिला है| ऐसी स्थिति में रशिया का साथ देनेवाले चीन को बायडेन प्रशासन ने धमकाया था| और, बायडेन प्रशासन अब भारत को भी इस मुद्दे पर इशारे देता हुआ दिख रहा है|

ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में ‘क्वाड’ के विदेशमंत्रियों की बैठक हुई थी| इसमें अमरीका के विदेशमंत्री ब्लिंकन ने यूरोप में रशिया की हरकतों का मुद्दा उपस्थित किया| यूक्रैन के मसले पर ब्लिंकन की भूमिका को ‘क्वाड’ के अन्य सदस्य देशों ने एक मत से समर्थन दिया, ऐसा प्राईस ने कहा है| रशिया और यूक्रैन के विवाद का हल राजनीतिक बातचीत के माध्यम से शांतिपूर्ण तरीके से निकाला जाए, इस पर क्वाड के सदस्य देशों की सहमति हुई, यह बात अमरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ड़टकर कह रहे हैं|

india-russia-side-us-1भारत को नियमों की नींव पर खड़ी वैश्विक व्यवस्था ‘इंटरनैशनल वर्ल्ड ऑर्डर’ की उम्मीद है| ऐसे नियमों के आधार पर व्यवस्था के सिद्धांतों को कुछ खतरे है| बलप्रयोग से सरहदें बदली नहीं जा सकतीं| इसके अलावा, अपने सहयोग एवं गुटों का चयन करने का अधिकार अन्य किसी को नहीं है, बल्कि उसी देश की जनता को हो सकता है| यह नियम ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र की तरह ही यूरोप पर भी लागू होता है’, ऐसे सूचक शब्दों में प्राईस ने बायडेन प्रशासन की भूमिका रखी|

लद्दाख के ‘एलएसी’ पर चीन एकतरफा बदलाव करने की कोशिश कर रहा है, यह आरोप भारत ने लगाया था| चीन की यह हरकतें दोनों देशों के तनाव का प्रमुख कारण होने का इशारा भारत लगातार दे रहा है| साथ ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की गतिविधियॉं इस क्षेत्र में छोटे देशों के क्षेत्र पर अधिकार जतानेवाली होने की बात स्पष्ट हुई थी| चीन की इन हरकतों के खिलाफ बना ‘क्वाड’ यूक्रैन पर ऐसी ही दबंगाई करने वाली रशिया के खिलाफ भी हो जाए, यह मॉंग बायडेन प्रशासन कर रहा है| इसके लिए भारत पर दबाव डालने की बायडेन प्रशासन ने और एक चाल चली है, यह बात नेड प्राईस के बयान से सामने आ रही है|

भारत को चीन के खिलाफ अमरीका की सहायता की उम्मीद है, तो रशिया के खिलाफ भारत भी अमरीका के पक्ष में रहे, ऐसा प्रस्ताव अमरिकी विदेश मंत्रालय के इस बयान से भारत के सामने रखा जा रहा है| भारत भले ही यूक्रैन के मसले पर तटस्थ है, फिर भी भारत की यह तटस्थता रशिया के लिए लाभकारी होने की बात बायडेन प्रशासन कह रहा है| १८ से २० के दौरान म्युनिक में सुरक्षा संबंधी परिषद शुरू हो रही है| वहां पर यूक्रैन का मसला उठाया जाएगा तब भारत रशिया के खिलाफ भूमिका अपनाएगा, यह उम्मीद अमरीका और यूरोपिय महासंघ की है| भारत ऐसा कभी नहीं करेगा, इसकी पूरी कल्पना सभी देशों को है| लेकिन, भारत पर दबाव डालने की पूरी तैयारी अमरीका ने की है| इससे बायडेन प्रशासन की भारत विरोधी भूमिका अधिक तीव्रता से सामने आयी है|

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